2008-04-02

यूं ही

जब किसी शाम
तेज बारिश मे ,
किसी शेड के नीचे ,
तुम अपना दुप्पटा
सर से ढके
शरीर हवायो से
जूझती नजर आती हो
तब एक ही बात सोचता हूँ
कि
इश्क के मौसम मे......
ये बरिशे कितनी लाजिमी है

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