2008-05-27

"मोरल ऑफ़ दी स्टोरी "

सुबह की चाय ख़त्म  ही की  है के मोबाइल ने आवाज देकर  बुलाया है ......अमित का  एस एम् एस  है ..... ‘डॉ श्रीवास्तव के यहाँ आज पगड़ी रस्म है …मीट एट हिज़ प्लेस एट . 3.30 “….भूल गया था ...वे शहर के जाने माने डॉ थे ..कुछ दिन पहले ही दिल के दौरे से उनका निधन हुआ था .आदतन   अखबार    के  पन्ने   पलटता हूँ ……सी बी एस सी बोर्ड का रिजल्ट आया है …एक लड़के ने स्कूल टॉप किया है …अपने माँ -बाप के साथ उसकी फोटो है … फोटो देखकर मैं पहचान जाता हूँ ..डॉ गुप्ता का बेटा है …सदर मे  जनरल  फिजियशन  है

दोपहर पौने चार बजे ……
मोबाइल 
ने फिर आवाज दी है …कहाँ है ?मेरा दोस्त पूछता है … ...'..रस्ते में हूँ '...डॉ श्रीवास्तव  साकेत में रहते थे ......पोश कालोनी ....घर  के बाहर गाडियों की लम्बी कतारे है ....गाड़ी पार्क करने के लिए कोई मुनासिब जगह ढूंढ रहा हूँ   की   अगर कोई कॉल आए तो आराम से निकल सकूं ….एक जगह पार्क करके उतरता हूँ. ..सामने डॉ अरोड़ा किसी को मोबाइल पर इन्सट्रकशन  दे रहे है …ड्रिप मे …### डाल देना.... .स्पीड कम रखना ....आधे घंटे मे पहुँच जायूँगा …..मैं उन्हें अभिवादन करता हूँ ....वे मुस्करा कर सर झुकाते है ....फ़िर मोबाइल मे ही घुस जाते है .."चार नंबर वाले का क्या हुआ ? उसे गैस पास हुई की नही ?....मैं आगे बढ़  गया हूँ ..डॉ श्रीवास्तव  की एक हज़ार गज की बड़ी कोठी....आगे  बड़ा लोन है.... उसी में सफ़ेद रंग का टेंट सीना तान के    खड़ा है …......गेट पर ही डॉ मित्तल मोबाइल पर है ….ऐसा करो डॉ त्यागी को  साडे चार  का टाइम बता देना ….…"तुम ओ. टी तैयार करो मैं पहुँचता हूँ "….वे नीचे झुक गए है .....मुझसे १५ साल सीनियर है …ये उनकी खानदानी आदत है .......दोनों भाई अक्सर ऐसे ही झुके हुए मिलते है ........आगे जाकर  जरूर पीठ की तकलीफ होगी …पूरे शहर मे उनकी विनम्रता मशहूर है.

मैं अन्दर घुसता हूँ …कई सफ़ेद कुरते पाजामे है ,मैं थोड़ा अटपटा सा महसूस करता हूँ.... टी शर्ट ओर जींस मे ही चला आया हूँ   एक  सफ़ेद कुरता पाजामा अब 
सिलवा ही लेना चाहिए   ....नजर दौडाता हूँ की अपने वाले बन्दे कहाँ है .. .आदमी की अजीब  फितरत है ... अब  हर जगह कम्पनी ढूंढता है ......अभी शहर मे   सात  साल ही हुए है प्रक्टिस करते हुए अपनी वेवलेन्थ वाले कुछ ही लोग है …..डॉ श्रीवास्तव से आज तक मेरी मुलाकात बस एक दो बार  आई. एम्. ए  की मीटिंग्स मे तकल्लुफाना अंदाज मे हुई थी ....कोई बता रहा है .......समीर यहाँ कुछ ही दिनों के लिए आया है ...समीर उनका बेटा है फिहाल अमेरिका मे शिफ्ट हो गया है शायद  सॉफ्टवेयर इंजिनियर है .. 
“तेरे पास  डिस्पोसेबल बायोप्सी पञ्च है   है  तीन मिलीमीटर वाला “?मेरा दोस्त  फुसफुसाता है ...  …
".हाँ .."मैं धीमे से कहता हूँ...... मंत्रों उच्चारण हो रहा है ….भीड़ बहुत है …कई लोग रुमाल निकलकर उमस ओर बदलते मौसम की चर्चा कर रहे है .......
..मेरे आगे दो तीन लोग है ….".अंदाजन एक करोड़ की होगी "..पहला दूसरे से उस कोठी की कीमत का अंदाजा ले रहा है ,दोनों शहर के प्रतिष्ठित सर्जन है …हाँ …दूसरा कहता है ….”बेटा तो बाहर है …पहला फ़िर बात अधूरी छोड़ता है ….”कोई फायदा नही ..दूसरा उससे कहता है ..डील हो चुकी है …समीर  चार दिन बाद वापस जा रहा ..आपने पहले जिक्र नही किया …पहला नाराजगी दिखाता है .”मुझे भी आज ही मालूम चला है ‘.. डॉ .शर्मा हमारे पास आकर खड़े हो गए है ,साकेत मे ही रहते है उम्र पेंतालिस से ज्यादा ओर पचास से कम है.....,लेकिन फिट रहते है .......उन्हें बतियाने का शौंक भी है ...हम भी कभी उनकी कंपनी मे बोर नही होते है ,…थोडी देर मे पगड़ी की रस्म पूरी  हो गयी है ....लोग हाथ जोड़कर निकलने की कवायद में है .....   ..
हम बाहर  आये है .......  कोई कह रह रहा है " श्रीवास्तव जी सज्जन आदमी थे" ..मैं उसे गौर से देखता हूँ..ये पहला आदमी है अब तक जो वाकई शोक मे है ..
...शर्मा जी बाहर तक हमारे साथ है..गाड़ी के पास खड़े होकर वो कहते है ...मोरल ऑफ़ दा स्टोरी क्या है समझे ?......आराम से जियो अपने लिए जियो एक छोटा सा फ्लेट लो ....वरना बच्चे बड़े होकर बाहर जायेंगे ..तुम्हारी मौत पर बीस दिन की छुट्टी लेकर आयेंगे ..फ़िर प्रोपर्टी बेचकर अमेरिकन डॉलर मे कन्वर्ट करके चले जायेंगे.......छह : महीने मे चौथा किस्सा है साकेत मे........
तेरा बेटा कितना बड़ा है .....मुझसे पूछते है .....
चार साल..... मैं कहता हूँ.......
रात को मीटिंग मे आ रहा है ना...... वहां एक पंच लेता आना" मेरा दोस्त मुझसे कहता है.
रात  दस बजे
 
आई एम् ए  की मीटिंग है...मैं लेट पहुँचा हूँ ,  टाक ख़त्म हो गई है ,मैं अपने दोस्त को पंच पकड़ा देता हूँ ....लोग गिलास पकड़ कर खड़े है .... कुछ नेपकिन में दबाये ........डॉ मलिक पास आये है  ....अपने हाथ की प्लेट मे से एक पकोडा मुझे उठाने को कहते है ....."सामने   देख रहे हो ..".........  डॉ गुप्ता सामने    है....... उनके आस पास दो तीन लोग है ...."ये आदमी खाली  एम् . बी. बी. एस है लेकिन  इसके चेहरे  पर एक अजीब सा तेज है ..इस पूरी महफ़िल पे किसी के मुंह पे नहीं मिलेगा .....  जानते हो क्यों.......क्यूंकि उसके बेटे ने स्कूल टॉप किया है....."वे एक बड़ा घूँट भरते है...कंधे पे हाथ धरते है......मोरल ऑफ़ दी स्टोरी .क्या है समझे ?.तुम्हारी औलाद ही असल पूंजी है ...बाकी . सब बकवास है .......समझे .....
मै सर हामी में हिला देता हूँ ......वे एक बड़ा घूँट लेकर ओर नजदीक आ गये है     "तेरा बेटा कितने साल का है ?"



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