2008-05-24

मोबाइल ..मुई technology ओर एक दिन ..

सुबह की शुरुआत एक मोबाइल बजने से हुई ,उनीदे होकर हमने फोन उठाया ,एक तो सुबह सुबह की नीद इतनी प्यारी होती है की पूछिये मत .
 ‘कैसे है ? उधर से कोई मोहतरमा थी “कौन ‘हमने घड़ी देखी सुबह के पौने छः बजे थे ... ….मैं बोल रही हूँ ……फ़िर कुछ सेकेंड का सन्नाटा क्यों मजाक कर रहे है ?...... आपको किससे बात करनी है ?मैंने झुंझला कर पूछा
आपसे ……देखिये आपने ग़लत नंबर मिलाया है ये डॉ अनुराग का नंबर है...……जाने दो शादाब बोल रहे हो ...क्या अब तक नाराज हो .....मोहतरमा मानने को तैयार नही थी ....हमने फोन काट दिया .. ,एक पोसिशन बनाई ओर वापस उस नींद मे जाने की पुरजोर कोशिश ….नही आयी …उधर करवट …इधर करवट ……ये साला शादाब ...….….!

चाय की चुस्किया लेते ओर अखबार सामने रख हमे भी एक भाई साहब की बड़ी याद आयी ,जब हमने नयी नयी प्रक्टिस शुरू की थी ओर हमारा नंबर दूसरा हुआ करता था ओर अगले डेड साल मे हमने नंबर बदल लिया. एक रोज हम अपने क्लिनिक पर बैठे हुए थे की एक साहब आये ओर हमसे मिलने ओर बात करने की फरमाइश करने लगे .लेकिन स्टाफ ने कहा पहले आप फीस जमा करिये तब भीतर जाइये .वैसे भी अक्सर लोग सिर्फ़ "बात करना" ओर मिलना ही चाहते है डॉ से ...
खैर उन साहेब ने बड़ी जोर मशक्कत की तो हमने उन्हें अन्दर बुलवा लिया .उन्होंने हमे देखा ,नमस्कार किया फ़िर चलने लगे ...हमारी माजरा समझ नही आया ...

.हमने पूछा मह्श्य तकलीफ क्या है ?
उन्होंने मोबाइल निकल कर सामने रख दिया ...."ये तकलीफ है ?"
मैं समझा नही . 

डॉ साहब मेरा तेल का व्यापार है पर जबसे मैंने आपका नंबर लिया हूँ लोग दवाइयों ओर बीमारियों के बारे में पूछते है  मैं परेशां हो गया   हूँ  .लोग मुझे फोन करके परेशां करते है ...तो मैं ये नंबर कटवाने जा रहा था सोचा उस आदमी की शक्ल भी देख लूँ जिसने मुझे इतनी तकलीफ दी है.
चाय पीने तक शुक्र है दुबारा फोन नही आया .

रात 10 बजे


A T.M से पैसे निकलने थे  .उसके बाहर एक चौकीदार खड़ा था हम गाड़ी सड़क पे लगा के जैसे ही वहां पहुंचे उसने हमारे पैरो को गौर से देखा ,मुझे लगा कोई कीचड तो नही लगा .सब ठीक ठाक था  .हमने चौकीदार को देखा ….वो मुस्कराया …तीन दिन से लात मारने पर ही पैसा निकाल रही है …complian दे रखी है कोई आता नही  क्या करे ?
"ओर अगर कोई लात मारके सारे पैसे निकाल ले तो ".हमने पूछा ..
अरे साहब इतनी बेवकूफ नही है …कार्ड डालोगे तभी लात असर करती है ….
जय भारत …..



उपरोक्त घटना के सभी पात्र वास्तविक है ओर उनका इन घटनायो से गहरा सम्बन्ध है ओर वे चाहे तो बुरा मान सकते है ,अगर शादाब कही पढ़ रहे हो तो अपना असली नंबर उन मोहतरमा को दे दे ....

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