2008-06-21

तीन बरस की जिंदगी


सोचता था थाम लूँगा हाथो में
वक़्त है मगर ठहरता नही

जब उसे दरवाजे तक छोड़ कर वापस मुडा तो मेरे स्टाफ की लड़की पानी के गिलास उठाते हुए बोली "एक बात कहूँ सर 'बोलो मैंने कहा ...ये डॉ कितनी सुंदर थी ना,..मै मुस्करा दिया ,ये मुस्कराहट भी अजीब शै है अपने पीछे ढेरो दास्तान छुपाये रखती है .मेघा मेरे क्लीनिक पर आयी थी अपने किसी relative को दिखाने..बड़े ही ओपचारिक तरीके से हम मिले ,साथ में उसकी मदर -इन-ला भी थी .. आजकल ऑस्ट्रेलिया में थी ... ९ साल बीत गये ..

उस रात ११ बजे हॉस्पिटल के बाहर चाय की लारी पर था तब मोबाइल बजा था ..अजय था .."शेखर का एक्सीडेंट हो गया है... ..मोदीनगर के पास हुआ है किसी ट्रक ने टक्कर मार दी है...?क्या सब ठीक है ..मैंने डरते डरते पूछा था "कह नही सकता अभी बेहोश है "काफी fractures है शरीर में....मै स्टेशन पर खड़ा हूँ.... सुबह तक पहुँच जायूँगा ...तू कल सुबह वाली किसी ट्रेन से बैठ जाना......
दो दिन पहले ही तो उससे बात हुई थी ......साले छट्टी रखना २६ तारीख की ..एंगेजमेंट है ... नही आ सकता ..एक्साम है..मैंने कहा ..अबे हमने भी residency की है ..भाईसाहब आप पास हो गए है...उसका रिजल्ट अभी २० दिन पहले ही आया था. अभी ६ महीने है एक्साम में ....उसने गाली दी ...अभी अपनी होने वाली भाभी को तो देख ले .... वही है मैगी वाली ?. या कोई दूसरी है ?..मैंने छेडा…...चिंता मत कर अब राजमा चावल मिलेगे ..बहुत अच्छा बनाती है....उसने कहा ..राजमा चावल मेरी कमजोरी रहे है..वो जानता था बस तू आ जा यार ..ड्रामे मत कर... . वो गुस्सा हो गया था ...."ठीक है भाई" मैंने कहा .... आप हमेशा आगे रहे है.. ..पहले सेलेक्शन,पहले अफेयर ,पहले शादी ..मैंने "ओपनिंग बैट्समैन हूँ न.......वैसे फर्स्ट विकेट डाउन तू था न ? वो हंसा था ...
हम तीनो का ११ क्लास से साइकिलों से पूरा दिन तय करते ...क्रिकेट ओर badminton .दोनों ही टीमो का हिस्सा रहे ...वो ओपनिंग बैट्समैन था ,एक बार मेरठ में एक जगह हालात ख़राब होने की खबरे फैली ..कुछ दुकानों के शटर गिर गए थे ओर हमारा क्रिकेट मैच था ... तो मै ओर अजय साइकिलों से छोटी छोटी गलिया तय करते हुए उसके घर पहुंचे ..उसके घरवालो ने मना कर दिया ,वो बाहर छोड़ने आया तो अजय ने उसे साईकिल पर बिठा लिया ...वो मैच तो बीच में ही रोकना पड़ा था ..पर उसके बाद का मैच कई महीनो तक चला ......उसके घर में हमारी एंट्री बैन हो गयी थी...

फिरोजपुर जनता में ही T.T.को कुछ पैसे देकर मैंने हाथो हाथ जुगाड़ करवाया था ,थकी हुई ट्रेन थी पर कोई ओर आप्शन नही था ..ट्रेन में याद आया कि "मेघा से पहली मुलाकात कैसे हुई थी ? मेरठ में सर्दियों में रात भी ठिठुरती है ओर वो भी दिसम्बर के आखिरी दिनों में ,उस रात उसके होस्टल में हम लोग ये सोचकर बैठे थे की एक एक बियर पी कर कुछ खाने निकल जायेंगे ..लेकिन लंबे अरसे के बाद मिले थे तो वक़्त गुजर गया रात १२ बजे खाना कहाँ मिलता ?मैंने कहा यार भूख लगी है ?बहुत लगी है उसने पूछा .हाँ मैंने कहा था .."चल फ़िर "उसने जैकेट पहनी "इतनी रात को "कहाँ मिलेगा "है एक जगह वो बोला ....उसके पास सफ़ेद रंग का LML वेस्पा था ,हम उस पर बैठे ओर वो लेडीज होस्टल में घुस गये,हमें काटो तो खून नही "अबे पिटवायेगा '? मै फुसफुसाया था ..कही झाडियों के पीछे उसने स्कूटर खड़ा किया ओर पत्थर फेका ...कोई खिड़की खुली ..उसने सीटी बजायी ..अंधेरे में एक छाया बाहर आयी..भूख लगी है ..साथ में कौन है उसने पूछा ....अनुराग है ... ...अबे इधर आ ...उसने मुझे बुलाया मुझे उस माहोल में मिलने में बड़ी शर्म आयी ये साला कौन सा तरीका है रात के १२ बजे बियर पी कर उसके होस्टल में घुस कर खाना मांगो फ़िर छाती ठोककर कहो .."ये है मेरा बेस्ट फ्रेंड " खैर कुल मिलाकर १० मिनट बाद मैगी ,कुछ बिस्कुट लेकर हम स्कूटर पर बैठकर वापस रवाना हुए थे
 

दोपहर ४ बजे तक मै मेरठ पहुँचा था ..सीधा नर्सिंग होम पहुँचा तो नर्सिंग होम के बाहर ही अजय मिल गया
रात को ही घंटो उसका ऑपरेशन चला था ,डॉ होने के नाते उसे ये फायदा हुआ था ..
.. ऑपरेशन तो हो गया है ..multiple fracture है.'सीधे हाथ का अंगूठा ओर दो उन्गुलिया गयी वो कहता कहता रुक गया ....ये बहुत बुरी ख़बर थी.... " मन कही गहरे तक बैठ गया ...उसका तो सपना था की आगे न्यूरो सर्जरी करेगा ...सर्जन के सीधे हाथ का अंगूठा ओर अंगुलिया जाना मतलब ..कैरिएर ख़त्म ....होश आया मैंने पुछा ..."हाँ अभी आधा घंटा पहले ही आया है..' उसने कहा ...जा उससे मिल आ ..पर कदम उठ नही रहे थे .... अन्दर कमरे में घुसा तो उसकी मम्मी देखते ही फूट फूट कर रोने लगी... अंकल ने चेहरा उधर घुमा लिया था ...
मुझे देख वो मुस्कराया उसके चेहरे पर दाढ़ी बड़ी हुई थी चेहरे पर कई घाव थे बाकि शरीर पट्टियों में लिपटा हुआ था , उसके खूबसूरत चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी .. ..कितनी देर कमरे में खामोशी रही.. कई मिलने जुलने वाले आते रहे ....
तकरीबन ४५ मिनट बाद हम दोनों अकेले हुये..मै उसके पास उठकर गया .."कैसा है ? “सब ख़त्म हो गया यार” वो बोला .."वो मुझसे लिपटना चाहता था पर शायद शरीर ने उसका साथ नही दिया ..उसकी आँख से आंसू बह निकले सब ठीक हो जायेगा मैंने उससे कहा ...क्या ठीक होगा मै भी नही जानता था .. कुछ मिनट हम रोते रहे ........जाने कितनी देर से गुबार अपने अन्दर रोके हुए था ..मै हिल गया था ,हम तीनो में वो सबसे मजबूत था ओर मुश्किल वक़्त में हम उसका कन्धा ही ढूंढते थे ....
दरवाजा खुला तो मेघा ओर उसके परेंट्स थे .....मै उठा ओर आहिस्ता आहिस्ता बाहर निकल गया ....
अगले तीन दीन बाद उसका दूसरा ऑपरेशन हुआ ... उसके एक पैर में रोड डली ओर उसके fracture कि हालत देखते हुये बतोर एक डॉ हम जान गये थे कि उसका एक पैर अब नोर्मल नही रहेगा , उसकी चाल में उम्र भर एक लंगडाहट रहेगी .ज्यादा छुट्टी नही ले सकता था इसलिए ५ दीन बाद मै भी सूरत वापस रवाना हो गया ...अगले १ महीने वो हॉस्पिटल में रहा , ओर तकरीबन ६ महीने तक वो बिस्तर में रहा ..उससे फोन पर लगातार संपर्क में रहा ...३ महीने बाद एक दिन रात को उसका फोन आया ..वो सिसक रहा था..क्या हुआ ?..मेघा के घर वालो ने शादी से इनकार कर दिया था ..वे उसकी शादी ऑस्ट्रेलिया के किसी लड़के से कर रहे थे ..मै सन्न रह गया ..उसके पैर में जिंदगी भर खराबी रहेगी ये तय था ,अब वो सर्जरी भी नही कर पायेगा ..पर प्यार ?३ सालो से उनका अफेयर था....
मै बात करूँ मेघा से ?मैंने कहा ..नही ..उसके स्वर में सख्ती थी .. मै जानता था कुछ मामलो में उसके असूल पक्के थे "..प्यार में कोई शर्त नही होती" वो अक्सर कहा करता था ओर प्यार अपनी सूरत नही बदलता वो हर मौसम में एक सा रहता है....फ़िर भी अजय ने मेघा से बात की थी... नतीजा कुछ नही निकला था... उसके बाद हमारी फोन पर बातें होती पर वो कभी मेघा का जिक्र नही करता ..बात करने पर बात को घुमा देता ...अजय से मालूम हुआ ...वो ऑस्ट्रेलिया चली गयी है . वो लगभग ६ महीने बिस्तर पर रहा ...मै एक्साम में उलझ गया ओर रिजल्ट आने के बाद मुंबई जाने से पहले एक बार घर आया तो हम दोनों एक रेस्टोरेंट में खाना खाने बाहर गये तब तक वो एक छड़ी का सहारा लेकर चलता था .."अब क्या इरादा है ?मैंने पूछा ..पता नही ?सोचता हूँ USMLE दे दूँ ?"हूँ "मै सुनता रहा ... ,नानावटी हॉस्पिटल में ...

जिन दिनों मुंबई नानावती में था तब मालूम चला वो अपने बड़े भाई के पास इंदोर चला गया है ओर वही रहकर USMLE की तैयारी कर रहा है ... बाद में घर वाले भी वही शिफ्ट कर गये ....उसने एक्साम पास कर लिया ओर नॉन क्लीनिकल ब्रांच में पी.जी की.....फ़िर वही वही किसी पाकिस्तानी डॉ लड़की से शादी कर ली... अभी उसके एक प्यारी सी गुडिया है फिलहाल वे दोनों वहां के मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्ट पर है.. ,.
आज से ३ साल पहले वो जब इंडिया आया था तो हम तीनो दोस्त दिल्ली में मिले थे उसके पास वक़्त की कमी थी ओर अजय तब दिल्ली में हिंदू राव हॉस्पिटल में ही था ... उन तीन सालो में जिस जिंदगी को मैंने जिया है उन्ही में मै समझा हूँ..कि जिंदगी क्या है...इसलिये सच मायनो में मेरी उम्र अभी ५ साल ही है उस रात वो बोला था ..
अभी कुछ दिन पहले मै अपने पुराने फोटो निकालकर उन्हें ठीक कर रहा था तो मेरे बेटे ने उसकी फोटो देखकर पूछा था" ये कौन है ?"
ये हीरो है बेटे असली हीरो "मै बुदबुदाया था


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