2008-07-03

शबे-फुरकत का जागा हूँ ....तुम आयो तो कुछ बात बने ......


दो ख़्याल चले थे साथ-साथ
इक नज्म के वास्ते
रास्ते मे मगर...... जुदा हो गये
अधूरी नज्म लिए बैठा हूँ कब-से.......

ना जाने कब हम-ख्यालात हो जाये

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