2008-07-04

मेरा बोरा कही देखा है आपने ?

हर सुबह चाय की चुस्कियो   के साथ चाचा चोधरी के दिमाग़ की तरह हमारा भी कॅल्क्युलेटर खुल जाता है..... आज क्या क्या काम करना है ....कौन सी चीज़ पहले करनी है ...., लिस्ट तैयार  होती है फिर इतवार का इन्तजार ....काम पेंडिंग होते चले जाते है .......हर सनडे ऐसा लगता है जैसे इस बार कोई बहुत बड़ा तीर मार देगे , हर सनडे ऐसे ही चला जाता है. .....
आज की सुबह कुछ अज़ीब आलस भरी है, ऐसा दिल किया की ........ छत फटे ओर अचानक कोई बोरा आकर गिरे..... रामानंद सागर के सीरीयलो की तरह आकाश से कोई बिज़ली बाक़ायदा म्यूज़िक के साथ कड़के ओर भगवान का कोई दूत प्रकट हो कर कहे “बालक पिछले कई सालो से हमारे अकाउंटेंट की ग़लत कॅल्क्युलेशन की वजह से ये तुम्हारा बोरा स्टोर रूम मे पड़ा था,लो अपनी अमानत सम्भालो”……….. सोने से भरा वो बोरा !
ओर कुछ नही तो भगवान यही कह दे की “बालक फला फला बजे पेशेंट आयेगा. तुम अभी से काहे को तैयार हो कर जा रहे हो? पर ऐसा लगता है अब आकाशवाणी शायद इस कारण भी न होती हो की बाकि मोबाइल कंपनी वाले उन पर ही मुकदमा न ठोक दे की आप कैसे निशुल्क आकशवाणी कर सकते है ? वैसे भी जिंदगी का एक पाँव इस मोबाइल ने पकड़ रखा है ,बाथरूम मे भी लोग नल बंद करके बार बार कान लगाकर सुनते है की कम्ब्खत कही बजा तो नही ? सब्जी वाला हो या चाय वाला ओर तो ओर हमारे यहाँ तो पुताई वाला भी एक नम्बर आगे बढा देता है की साहेब नम्बर लिख लो जब काम पड़े तो तो फ़ोन कर देना...... सचमुच हम जैसे लोग थाली बैठे -बैठे कंप्यूटर पर अंगुलिया चलाते मिल जायेंगे पर पुताई वाला आपको फ्री नही मिलेगा ,साहेब इस हफ्ते टेम नही है अगले हफ्ते देखे? साहेब क्या करे ? 

भगवान सब कुछ जानता है ,पता नही सबका याद करने को कैसे मॅनेज करते होंगे. कमर अब 28 इंची का घेरा कब का छोड़ चुकी है,,आईना रोज बाहर निकल कर कहता है :इन गोभी ओर आलू के परन्ठो पर ज़रा कम ज़ोर दो, कोलेस्टरॉल का ध्यान रखो,अब खाते वक़्त कॅलोरी कॉन्षियस होना पड़ता है,बालो में शैंपू डालता हूँ तो फ़ौरन नीचे आ जाता है.......लेकिन क्या करे सुबह वॉक से होकर आते है ,माता-श्री पूछती है "बेटे क्या खायोगे आलू का परन्ठा या गोभी का?माता जी को नाराज नही कर सकते ........ जिसे देखो भागता दौड़ता फिर रहा है, कई दोस्त गाड़ी मे नाश्ता कर रहे है,कभी मदिरायालय मे भी बैठे है तो मोबाइल मे अलार्म लगा कर कि देखो ठीक 11 बजे उठ जाना है,सुबह बच्चे का स्कूल है यार? जिसके पास करोड़ो है वो भो दुखी है ,जिसके पास लाखो है वो भी. समय किसी के पास नही है,
हर आदमी सनडे के चाँद की तरह इंतज़ार करता है,किसी थियेटर मे रात को पिक्चर देख लेता है या मेकड़ोवनल मे अपने बच्चो को फ़्रेंच फ्राई खिलता मिल जाता है. किताबे जमा करता हूँ तो हफ्तों हफ्तों उन्हे पढने मे लग जाते है. कोई सी डी खरीद कर सोचता हूँ तसल्ली से सुनूंगा गाड़ी चलने के साथ कैलकुलेशन शुरू हो जाती है ..७ तारिख को ये लोन का पेमेंट है.. प्रिंटिंग को वाले को भी पेमेंट देना है ... .कोई पॉलिसी का पेमेंट तो नही रह गया........गाना एक तरफ़ रह जाता है......
दोपहर मे घर जाता हूँ. तो .. सारे चैनल साईं के भक्त बने हुए है ,किसी चैनल पर ज्योतषी म्हराज किसी लड़की की शादी का योग बता रहे है,मुलायम को अचानक कलाम देवता से लगने लगे है ......बेचारे कलाम शाहब सज्जन आदमी कहाँ फंस गए है उधर एक मह्श्य टी.वी मे ज़ोर शोर से दावे कर रहे कि "गारंटी है हमारी फेयर ए न्ड लवली इस्तेमाल करे पैसे वापस,......................................अरे हमारे दूध वाले की भैंस को ले जायो गोरी बना दो इसे..........शाम को क्लीनिक आने के लिए निकला हूँ कि रास्ते मे कश्यप साहेब का फोन आता है....कही गाड़ी ख़राब हो गयी है जिंदगी कहाँ से कहाँ पहुँच गयी इन्होने न बदलने कि कसम खा रखी है...ये .महाशय ऐसे है की जब स्कूटर ले कर निकलते है तो माँ कहते है की बेटे अन्दर आ जा अंकल स्कूटर लेकर निकले है ? ये महाशय स्कूटर चलते हुए भी बेहद सोचते है ......बुद्धिजीवी जों ठहरे ,हाथ देने से पहले सोचते है ,इंडिकेटर देने के बाद भी सोचते है की मोडूं या नही ? अगर स्कूटर चलते वक़्त पीछे से हार्न की आवाज आती है तो हडबडाकर यूं कच्चे मे उतारते है कि मुआ ट्रक उन्ही के पीछे आयेगा फ़िर देर तक उसकी धूल को देखते है ....जब आगे पीछे कुछ नजर नही आता तो स्कूटर दुबारा स्टार्ट करके सड़क पे निकलते है .....अनुशासन के इतने पक्के है की पार्किंग मे घंटो लगा देते है की स्कूटर ठीक सीधी line मे खड़ा है की नही ?बार बार अलग अलग कोने से निहारते है ओर उसकी पोसिशन निहारते है ? किसी चौराहे पर अगर ट्रैफिक तितर -बितर मिले तो समझ लीजेये वो अभी अभी वहां से गुजरे है .पर कमाल की बात है इतने सालो मे कभी ख़ुद नही ठुंके है.....दुर्भाग्य से मेरा नाम अनुराग है ओर मोबाइल मे सबसे पहले मेरा ही नाम है ,कही भी हो मुझे एक बार जरूर फोन करके बता देते है....ये होस्टल के उन प्राणियो मे से एक है जो आपको सोते से उठा कर पूछते थे "सो रहा था "
पता नही मेरा बोरा कहाँ अटका है यार ?

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