2008-07-05

टुकडा- टुकडा जिंदगी


पहला टुकडा

इन अहसासों को जरा कसकर पकडो
बहुत मशहूर है इनकी बेवफाई के किस्से






दूसरा टुकडा

तुमसे जो होकर गुजरा है ,
मुझ तक पहले पहुँचा था
इन लम्हों का सफर बहुत लंबा है



तीसरा टुकडा

कई बार आधा प्याली चाय ,
ओर एक बंटी सिगरेट मे ही
आसान हो जाती है मुश्किलें


चौथा टुकडा

रोटी दाल की फ़िक्र में गुम गये
मुफलिसी ने कितने हुनर जाया किये



पांचवा टुकडा

कुछ कांटो से चुभते है
सब रिश्ते गुलाब नही होते

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