2008-07-25

दस सालो मे कितना बदल गयी है शब ?


उसने जब सिगरेट बढाई तो दो कश मार कर मैंने वापस कर दी ...क्यों ?उसने पूछा ...बस यार अब आदत नही रही ..कभी कभी कोई मिल जाता है ख़ास तो कुछ सुट्टे मार लेते है .....मैंने कहा ....तू आ रहा था इसलिए खरीद ली ...मै उसे पैकेट पकडाता हूँ ...मै भी नही पीता आजकल ...वो मुस्कराया ..तो कहा क्यों नही ?....बेकार सुलगाई ..मै उससे कहता हूँ ....बस तूने जलायी तो मना नही कर पाया .वो कहता है .चाय पीयेगा अभी ट्रेन में वक़्त है ?मै उससे पूछता हूँ ....वो सर हिलाता है .चाय के कुल्हड़ को पकड़ हम वक़्त को समेटने की कोशिश करते है ...लोन ?बीवी ?बच्चे ?काम काज ?ओ पी डी?कोई मुश्किल केस ? हर घूँट के साथ हमारे सवाल बदलते है .....
ट्रेन की सीटी बजती है .....वो उठता है ...गले मिलता है "कितने साल हो गये हमें मिले ?१० साल मै याद करता हूँ ..वो ट्रेन की पटरी पर खड़ा होता है ....जाते जाते मेरे हाथ को छूता है....उसे दूर जाते देखता हूँ ..... हाथ हिलाता हूँ ....मेरे हाथ में गोल्ड फ्लेक का पैकेट है ...बाहर गाड़ी पार्किंग वाले से मै पूछता हूँ की वो सिगरेट पीता है फ़िर बिना उसका जवाब सुने मै पैकेट उसे पकड़ा देता हूँ....
M.B.B.S. करते ही उसने कॉलेज छोड़ दिया था .फ़िर मारीशस चला गया ..देहरादून अपनी मौसी के यहाँ आ रहा था ,मेरठ कुछ देर का स्टोपेज था ..गाड़ी को मोड़ता हूँ....शाम हो रही है.....मोबाइल बज रहा है ......क्लीनिक से फ़ोन है....दस साल ........दस सालो में ये शाम भी बदली सी लगती है ?.



अब
चाय की आधी प्यालियों मे
डूबे हुए ना वो नुकते है
ना बँटी सिगरेटो के साथ
जलते हुए
वो बेलगाम तस्सवुर
ना वो
मासूम उलझने है
ना
कहकहों के वो काफिले
बस
कुछ संजीदा मस्ले है
कुछ गमे -रोजगार के किस्से
ओर
जमा -खर्च के कुछ सफ्हे .........

"दस सालो मे कितना बदल गयी है शब "

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