2008-09-11

ओ ...तुसी चिंता न करो ... मजहब भी एडजस्ट हो जायेगा


हमारे मेडिसिन के हेड डॉ त्रिवेदी कहते थे की इस भोजन को नमस्कार करो .क्यूंकि ..जितने लोग भूख से नही मरते है उससे कही ज्यादा इसे खाकर बीमार होते है

नवरात्रे नजदीक है ,इसलिए अब लोगो का व्यवहार बदलने से लगा है ,राज ठाकरे भी बदल रहे है ऐसा अमर सिंह आज के टाईम्स ऑफ़ इंडिया में कह रहे है ........इन दिनों कई किस्से होते है ... मैं अगर मरीजो से पूछता हूँ की क्या वे मदिरा का सेवन करते है ? ये एक सामान्य सा प्रशन है जो कि आम तौर से दवा लिखने से पहले पूछा जाता है ओर कई बार उनकी किसी बीमारी से सम्बन्ध प्राप्त करने के लिए ?मरीज हाथो को कानो पे लगाता है ...क्या बात कर रहे है डॉ साहेब ?नवरातो मे?तभी मोबाइल बज उठा है शायद उधर से पूछा गया है "कहाँ हो " अभी शहर से बाहर हूँ सोमवार को मिलना होगा ?बिना शरमाये वे मोबाइल जेब मे रखते है .... झूठ बोलना कोई नही छोड़ता ?चालाकी कोई नही छोडेगा?परायी औरतो को घूरना कोई नही छोडेगा ....पर साहेब शराब नही पियेगे ...नवराते मे .. ......कोई कम नही है ..... मेक्डोनल ने "नवराते बर्गर" लॉन्च किया है ,मोबाइल कम्पनिया स्पेशल कलर ट्यून दे रही है .टीवी सीरियल भी नवरातो को अपनी कथा मे शामिल कर रहे है ..ओर तो ओर जूस वाला भी पूछता है की "साहेब व्रत वाला की सादा?जय माता की .......धर्म को भी लोग अपने हिसाब अनुसार एडजस्ट कर देते है .... ये नवराते अगर ६ महीने रुक जाये तो शराब कम्पनिया ठप हो जायेगी आधा भारत संतमय हो जाएगा .... हर शख्स अपनी - अपनी जुगाड़ मे लगा है .....ऐसे भी कई लोग है भारी भारी मालाये गले मे डाले भरी भरकम शरीर के साथ उंगलियों में कई अंगूठी फंसाये आयेगे ......बस डॉ साहब मंगलवार को नही पीता हूँ चाहे कुछ हो जाये.....फ़िर माला को हाथ में लेकर चूमते है ...उनकी बीवी सर हिलाकर अपने पति को गर्व से देखते हुए इस बात की तस्दीक़ भी कर देती है ..... ये मंगलवार के संत है ,कोई शनिवार का है........ जैसे की भगवान् पे अहसान कर रहे हो ....अजीब फिलोसफी है लोगो की ..... .......

खैर .....जय माता दी

हमारे पेशे मे मरीज ही हमे अनुभवी बनाता है .....एक साहेब ने मुझे बड़ा परेशां किया अक्सर रात ११ बजे फ़ोन आता कि "डॉ साहेब उलटी सी होने को हो रही है !क्या करू ?,मैं उन्हें फ़िर कुछ दवाई बताता ओर सुबह मिलने को बुलाता ....वो सहेब सुबह तो नही आते पर रात ११ बजे हमारा मोबाइल फ़िर बज उठता "डॉ साहेब उलटी सी होने को हो रही है ! 'तीन रात हो गई चौथी रात हम बिफर गये "अमा तुम सुबह क्यों नही दिखाते हो .....?खैर चार रात के बाद वे अगली सुबह आये ...हमने सब कुछ तस्दीक़ की फ़िर पूछा "दारू तो नही पीते हो ??नही डॉ साहेब......हमने दवा मे कुछ बदलाव किये ,खाने की कुछ सलाह दी.....रात ११ बजे फ़िर फोन बज गया ......अब हमने नोटिस किया की एक खास तरह का बेक ग्राउंड म्यूजिक सुनाई दे रहा है .....हमने पूछा कहाँ बैठे हो ? उन साहेब ने एक बार का नाम लिया.....हमने फोन काट कर उन्हें सुबह मिलने को कहा ....वे साहब सुबह आये ....तुम तो कहते थे की तुम दारु नही पीते हो ...मैंने कहा .....जी हाँ ! उन्होंने भोलेपन से कहा ....तो फ़िर बार मे क्या कर रहे थे ? बियर पी रहा था उन्होंने फरमाया मैंने आँखे तरेरी तो वे फ़ौरन बोले ....."हाँ तो बियर दारू थोड़े ही ना होती है !

अब मैं मरीज से कुछ इस तरह सवाल पूछता हूँ कोई शौंक है आपका?पीने का ?बियर भी नही ना?

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