2008-09-15

ऍफ़ .आई .आर


थाने में अन्दर घुसते ही एक ओर गाडियों का ढेर नजर आया ,बरामदे में अधेड़ तोंद वाला सिपाही आपकी परेशानी तौलता है स्कूटर चोरी की F I R सुनकर उसकी दिलचस्पी आपमें ख़त्म हो जाती है..वो आपको बायीं ओर के कमरे की ओर इशारा करके भेज देता है ,बिन बिजली के उत्तर प्रदेश में पसीने में डूबे तीन लोग बैठे है मेरे साथ ५० साल के मेरे दोस्त के पिता है ,जिनका स्कूटर मेरे क्लीनिक से कुछ दूरी पर चोरी कर लिया गया है उनके सुपुत्र भी डॉ है ..ओर मै ओर मेरा एक मित्र उनके साथ FIR लिखवाने आये है ,मेरा मित्र डेंटिस्ट है ....FIR के नाम पर एक कागज देने से पहले वे हैरान होते है की हम स्कूटर की चोरी क्यों लिखवाना चाहते है ...."अरे बाउजी चार पाँच हज़ार की कीमत होगी अब तो उसकी."... ..खैर एक कागज देकर हमें अपनी भाषा में FIR लिखने को कहा जाता है...कोई नही बता रहा की कैसे लिखना है...लिखे .कागज को लेकर वे रख लेते है...ठीक है कोई आ जायेगा मौके पर ....आप चलो.....गर्मी ओर उमस में मुझे एक डी .एस. पी साहब याद आते है ....उन्होंने कई बार मुझसे फ्री में इलाज़ करवाया है....आजकल गाजियाबाद पोस्टेड है पर शायद इस थाने में कोई जान पहचान निकल आये ...उन्होंने फोन मिलाता हूँ.. ५ मिनट बाद थानेदार साहब अन्दर बुलाते है वे दाई ओर के कमरे में बैठे है .दरवाजे पर एक चिक लगी है......
अरे डॉ साहब आपको सीधे यही आना था ना...उनके पीछे खड़ा हवलदार बेवजह खीसे निपोर देता है...मेहंदी ने उनके बालो में एक अजीब सी लाली भर रखी है ,खिड़की से आती धूप में उनके सावले चेहरे पर लाल बाल ओर चमक उठते है ...वे एक सिपाही को बुलाकर बाउजी को बाहर FIR लिखवाने को कहते है..बाउजी बाहर गए है इतने में वे अपनी शर्ट उठाकर मुझे कुछ दिखाने लगते है ...बाहर शोर मचता है...किसी लड़की की आवाज है ....मुझे मिलना है ....कोई सिपाही मना कर रहा है .एक दो मिनट ऐसे ही शोर शराबा होता है फ़िर दो लड़किया धडधडाती हुई अन्दर घुस आती है थानेदार साहब हडबडा कर शैर्ट नीचे करके बैठ जाते है .......,तकरीबन २६-२७ साल की उम्र की....गुस्से में है....किसी ने उन्हें छेडा है .पर कोई रिपोर्ट लिखने को तैयार नही ...फ़िर वही कहानी ....मन ही मन मै सोचता हूँ...देखो हमसे ज्यादा हिम्मत है इस लड़की में ..अपने अधिकारों के लिये ..कुछ देर बहस चलती है फ़िर एक सादे कागज पर वो रिपोर्ट लिखती है.....वही सादा कागज ...लाईट अभी तक नही आयी है ..."वैसे एक बात कहूँ तुम भी ना ऐसे कपड़े लत्ते पहनोगी तो छोरे तो छेडेगे ही " थानेदार साहब उनकी जींस ओर स्लीवलेस कुरते को देखकर कहते है .....पीछा खड़ा हवलदार फ़िर खीसे निपोर देता है.....उसके दांत खैनी खा- खा के बदरंग हो गए है ....मन करता है.....इतने में बाउजी दिखे है...मै ओर मेरा दोस्त उठ जाते है....उन्हें शुक्रिया कहकर निकल आते है.....

सोमवार शाम ६.३० बजे .....फोन बजता है ..वही थानेदार साहब है ....अपनी बिटिया को दिखाना है.....पूछते है की मै कब तक हूँ ?तकरीबन साढे सात बजे वे क्लीनिक में आते है...बस डॉ साहेब वक़्त नही मिलता ओर बिटिया को अकेले भेज नही सकता ज़माना बहुत ख़राब है....आओ बेटे .....
स्लीवेलेस ऊँची टी शर्ट ओर जींस पहने एक २३ साल की लड़की अन्दर आती है ..."हेल्लो डॉ "

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