2008-11-06

तुम्हारे हिस्से का चाँद अब भी चमकता है .....

वो किसी सेमीनार में स्पीकर बनकर मेडिकल कॉलेज में आयी है ..इसलिए घर आकर लंच साथ करना मुश्किल है ...आज ही वापसी है रात ८ बजे की ट्रेन है। शाम साडे छ बजे तक वो फ्री हो जायेगी ......मै वक़्त से १५ मिनट पहले मेडिकल कॉलेज पहुँच जाता हूँ.एक मिस कॉल देता हूँ उसके फोन पर ..फ़िर गाड़ी में बैठकर उसका इंतज़ार करता हूँ.....बाहर आकर वो गाड़ी में बैठते ही एक नजर मुझ पर डालती है...
.तुम्हारे बाल उड़ रहे है अनुराग !
हाँ , तभी मुझे आजकल हॉलीवुड के हीरो पसंद आते है .मै मुस्कराकर उसको जवाब देता हूँ ......
तुम्हारे दोस्त ने तुम्हारे लिए कुछ भेजा है ...मै निगाह डालता हूँ एक शानदार टाई है ..तुम्हारे पहनने का शौंक उसे याद है...वो कहती है ..मै ड्राइव करता सिर्फ़ मुस्करा देता हूँ...ओर तुम्हारा दूसरा शौंक अभी जिंदा है या ?वो मेरे लिखने के बारे में पूछती है...हाँ कभी कभी कलम-घसीटी कर लेता हूँ....घर आ गया है.....हम तीनो ने सात आठ साल एक साथ एक ही मेडिकल कॉलेज में गुजारे है .उन दोनों की लव मेरिज है.
औपचारिकताओ के दौर के कारण हम घर में अपने तय समय से आगे है ...उसे स्टेशन छोड़ने के लिए मेरा बेटा भी साथ आता है मै उसे मॉल रोड वाले रास्ते से ले जाता हूँ ताकि मेरे शहर के बारे में उसके ख्याल अच्छे रहे ...ये इलाका थोड़ा साफ़ सुथरा है ..स्टेशन पर हम वक़्त से पहुंचे है....गाड़ी अभी खड़ी है.....
दोस्त कैसा है ?मै उससे पूछता हूँ .कॉलेज टाइम में वो उसे दोस्त ही कहा करती थी ...
दोस्त! .......अब सिर्फ़ पति है....
हम दोनों थोड़ा तेज चलकर उसके कम्पार्टमेंट तक पहुँचते है वो गाड़ी में चढ़ गयी है......."तुम सारे मर्द शादी के बाद सिर्फ़ पति हो जाते हो.....वो हंसती है......ट्रेन ने सीटी दे दी है..........मेरा बेटा उसे हाथ हिलाकर बाय करता है



 त्रिवेणी .....
याद है उस रोज बांटा था आधा आधा
तुम्हरी गोद से चकोर नजर आता था ....


तुम्हारे हिस्से का चाँद अब भी चमकता है !

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