2009-01-17

"वो लोग जो आसमान थे "

बंगलौर के उस हॉल में जहाँ देश भर के डरमेटोलोजिस्ट जमा है ,मेरे मित्र ओर AIIMS में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सोमेश गुप्ता विटिलोगो सर्जरी की उस टेक्नीक का श्रेय जब PGI चंडीगढ़ के .टी अस्सिटेंट को देते है ..तालियों के उस शोर में जाने क्यों मुझे अपने कॉलेज के सर्जरी विभाग का वो रेसिडेंट याद आ जाता है .जिसके हाथ में खुदा ने बरकत दी थी ...मुश्किल से मुश्किल सर्जरी को कम समय में इतनी सफाई से करना ...उसके स्टिच जिस्म पर चाकू की बेजोड़ कारीगिरी का नमूना होते ..चाकू का ये दोस्त मगर अंग्रेजी में लगभग संवाद हीनता की स्थिति के कारण जब दो बार एक्साम में असफल रहा ..निराशा के उस दौर में .. अगले एक्साम में सिस्टर इंचार्ज ने सीधे एक्साम्नर से गुजराती भाषा में ही संवाद की दरखवास्त की....ओर नतीजा सुखद रहा.... ईश्वर के भी खेल निराले है....
इंटरनेशनल एअरपोर्ट खूबसूरत ओर भव्य है ..काल मार्क्स ने कभी अमेरिका को "नींद की हत्या करने वाला देश" कहा था .बंगलौर आई टी का हब है ...सॉफ्टवेयर वाले मेरे दोस्त इसे भी "नींद की हत्या करने वाला शहर "कहते है .कांफ्रेंस से वापस लौटते वक़्त मै फ्लाईट में गाँधी के ब्रहमचर्य के प्रयोग किताब को पढता हूँ...सार्वजानिक रूप से अपनी पत्नी के साथ कोई देह संबंध न होने की घोषणा करने वाले गांधी ...क्यों अपने ब्रहमचर्य के प्रयोग करना चाहते है ?.जिसमे वे दो कम उम्र लड़कियों के साथ नग्न अवस्था में सोते है ...प्रखर तार्किकता से रखी गयी उनकी आत्म स्वीकृतिया मुझे छदम विमर्श ओर बौद्धिकता का दुरूपयोग लगता है....मन विशुब्ध होने लगता है ...आत्म्शुद्धियो की ये कोशिश मुझे पचती नही.......अपनी आत्मशुद्धि के लिए दूसरे की देह का बेजा इस्तेमाल नैतिकता का दिग्भर्मित रूप है ओर ईमानदारी का बेहूदा हस्तक्षेप ..... मै किताब बैचैन होकर बंद कर देता हूँ.....शायद एक बैठक में नही पढ़ पायूँगा ..... फ्लाईट में मुझे टहलने की इजाज़त नही है...मुझे तीन साल पहले ४८ पेज के संस्करण में निकले "सहारा- समय" में इसी विषय पर छपे लंबे श्रंखलाबद आलेख ध्यान आते है .....मै खिड़की से बाहर देखता हूँ ,खिड़की से बाहर केवल बादल है....केवल बादल....





LinkWithin

Related Posts with Thumbnails