2009-11-09

"फकत खामख्याली का कन्साइनमेंट "


औसत आदमी के लिए यह सोच लेने से बड़ा ढाढस   ओर कुछ  नहीं है  के सचाई की  हमेशा  जीत होती है -कर्टसी  नैतिक  शिक्षा ....यारो ने कहा है के लोभ भी एक कंटाजीयस बीमारी है ...जिसका डी एन ए हर साल म्युटेट  करता है  ..
इधर डिप्रेस होने के कई कारण. है ....सबसे बड़ा कौडा  भाई है .रोज इक नया खुलासा होता है .के इत्ते करोड़ वहां से मिले ...इत्ते करोड़ वहां है...करोड़ न हुए साले चिल्लर हो गये ...इधर नौ साला प्रेक्टिस में गिने चुने जुटा पाने के बाद कलेंडर में  इ एम् आई की  तारीखे  गोल  करके  जिंदगी . को  ..एडजस्ट करके सेटिंग करके आगे बढा रहे है ..  अगला डिप्रेशन तीन रनों  की हार का गम है ....सचिन के एक सौ पीचत्तर रन ... पता नहीं सचिन के मन में क्या उमड़ता होगा स्क्रीन को देख के ....  ..सोचिये अगर दिल की धडकनों का स्कोर स्क्रीन पे डिस प्ले होता तो आप कित्ती बार डबल सेंचुरी  के नजदीक पहुंचते ?.

..किबला सोचिये ..(.स्लो मोशन में .....)
एक्जाम हाल की सीडिया चढ़ते वक़्त.......१२५
प्रेक्टिकल एक्जाम में  वाइवा  से  ठीक  पहले एक्जाम्नर  की तरफ बढाये  गये वो चंद कदम ...160
रेड लाईट जम्प   करने के बाद   अगले चौराहे  पे  मोटर साइकिल   के ठीक सामने रुकी जीप  की  आवाज़...(किता फ़िल्मी है ).140
सुनो...मै ....(तीन बार दोहराने   के बाद ).. .... इजहारे  मोहब्बत का पहला   ख़त  देते वक़्त (इस मौके   पे आप कानो में घंटियों  सा  बेक ग्राउंड म्यूजिक  भी  दे  सकते है  )......155
  हाय उस पहले  चुम्बन  से पहले  का वो  वक़्त .... .....-जिसके पहले खायी हुई    मिंट की तीन गोलियों का   बकाया  आज  तक   उस पनवाडी  का आप  पर  है......165 ... .

अब टोटल  पूछने की ध्र्ष्टता नहीं करेगे ...  पता नहीं कौडा का कितना स्कोर होगा ..फिर कौडा.... इतने सालो फिर जीवन में किया क्या ?जालिम सवाल   है .......
सोचिये  अलादीन का चिराग गर प्रकट होकर कहे .....हा हा हा ....(हंसना राक्षसों की कम्पलसरी शर्त है जी )...
आका आप चाहे तो अपनी  पिछली  कुछ  मिस्टेक   रिपेयर  कर सकते  है ......तो आप कहाँ से शुरू करेगे ....तनिक उस बॉर्डर से जिसके लेफ्ट पे आप  बालक ओर राइट  पे  आप किशोर है ....
दसवी क्लास के उस गद्दार दोस्त को गाली देकर जिसने बोर्ड ..(बोर्ड को अंडर लाइन किया जाये.)..की दसवी की परीक्षा के मेथ्स के एक्जाम में मल्टिपल  चोयस क्वेश्चन में जानबूझ के   गलत अंसर  टिक कराया  था ....
बहुत सारे लोगो से सौरी भी बोलने का है ....
मसलन...
बारहवी .... क्लास में देहरादून की शादी में मिली उस लड़की को ढूंढकर जिसके भाई से आपने पूछा था ....ये  सेक्सी लड़की कौन है ...बहुत लाइन दे रही है ....

मसलन...
हमारे एक सीनियर   को ...जिन्हें हम दोस्तों ने" एक शर्मीली लड़की" के नाम से ख़त लिख कर चार बार एक होटल  बुलाया वे चारो बार अपनी फटफटिया  पे  सवार  होकर आये ...
मसलन .
.मजूरा गेट का वो ट्रेफिक हवालदार जिसको  हम तीन दोस्तों ने  मोटरसाइकिल पे पकडे जाने के बाद एक्जाम .भूख ओर मां के खाने  .की एक "ट्रेजिक स्टोरी "सुनाई ....जिसे सुनकर वो इतना इमोशनल हुआ के चलते वक़्त एक बीडी भी पिलाई..
मसलन .....
सरफ़रोश पिक्चर में मिले वो साहेब जिन्हें हमने जान बूझ के "लेडिस -टॉयलेट" में भेज दिया ....

लिस्ट बहुत  ही लम्बी है ठाकुर ....हमारे शुक्ला जी कहा करते थे "इश्क ही वो बहादुरी   है जिसे कमजोर  भी कर सकता है "
बदलू पांडे   अक्सर  सुबह सुबह दूध देने के वास्ते  आते  जाते  कभी भी  हमारी वाट   लगा देते है ...भैय्या  जी भैय्या  जी   करके.......आज   नज़र आये  .तो प्रतिशोध   की  ज्वाला  हमारे  भीतर धधक उठी ... हमने जिन्न वाला ऑप्शन बिना हंसे उन्हें दिया  .....बदलू पांडे   सकपका गये .. . दिमाग पे इत्ता जोर डाला के एक बाजू झुक गये ...फिर बोले .भैय्या ...पिछली बसंत पे वो आडा थोडा तिरछा लगाया होता तो ग्यारह पेंचे हो जाते ....जय हो बदलू मियां की.....
अभी चलते है .वैसे भी रेडियो पे "हीमेश भाई "गा रहे है .मन का रेडियो.......
पुनश्च :   एक आदमी का पश्चात्ताप दूसरे का  संस्मरण होता है -अज्ञात


त्रिवेणी -

रोज  सुबह पैनी  करता है अपनी दरांती माली
एक काटो  मगर  तो दूसरा उग आता है ......

कितने केक्टस अपने भीतर उगा रखे है तुमने

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