2010-05-04

मौजजे होते है ....ये बात सुना करते थे

उम्र तकरीबन एक साल.. गोरा  रंग ...घुंघराले लम्बे बाल ..एक हाथ में काले मोतियों से बना कड़ा ...बात करती आँखे ...जिनका स्केलेरा बिलकुल व्हाईट है...दुनियादारी से. .नॉन पोल्यूटिड ...  अभी अपने  छह साला भाई पर जमी है ....जो बेमन से बस्ते को पीठ पर टांग रहा है....कई दिनों की छुट्टी  उदासी को भी किताबो संग रख देती है .. ओर  ... .पैरो को धीमा ..हाथ में .पानी की बोतल  थामे...आहिस्ता आहिस्ता  सर झुकाये   बड़ा  स्कूल   के गेट  तक का फासला तय  कर रहा है..... ..कुछ कदम का फासला ........  नन्हे ने  उसे अपनी आवाज में बुलाया है ......बड़ा जैसे दुनियादारी की सोचो में अब भी गुम है ....कदम दर कदम भाई का पीछा करती.... नन्हे की निगाहों में एक अजीब  सी बैचेनी  है..... ......सड़क की दूसरी  जरूरी  -गैरजरूरी ... तमाम आवाजो के बीच .........नन्हे  ने  मां की   गोद से उचक कर... फिर आवाज दी है ..गेट के नजदीक ....बड़ा  पीछे मुड़ा है.....एक मुस्कराहट दी है........नन्हा खिलखिला उठा  है.....
......बट्टा रख दो इस गुजरते लम्हे पे..........हाय पॉज़ का बटन दबायो कोई.!!






आज की त्रिवेणी...

"सलेक्शन "

सफ़ेद चादर  पे फलक की....  सलवटे है सुबह से
 काले बादल के  कई टप्पे यहाँ वहां पड़े है ..

रंगरोगन करने वाला  तो कोई तजुर्बेकार  चुनना था  तुमने .

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