2010-06-14

तुम प्रेम कहानिया नहीं लिखते..!!!!!!


सफ़र में लोग बेवजह का कितना पढ़ते है ...एक ही अखबार को कितनी बार मोड़ तोड़ के  .... ...सामने वाले  शख्स ने तीसरी बार अखबार उठाया  है......वो  बरसो बाद ट्रेन में बैठा है ... ....सामने  की  सीट  के दूसरे हिस्से पर एक लड़का बैठा है ....घुंघराले लम्बे  बाल .......हाथ में गिटार...... कोई धुन बजा रहा है ..."केयर लेस व्हिस्पर  है  ..".....किनारे वाली सीट पर एक लड़की किताब हाथ में लिए बैठी है ....एक लम्हे में कितनी पेरेलल स्टोरिया चलती है ...

वो भी इसी शहर में है ....पांच महीने पहले मारीशस से इंडिया शिफ्ट  हुई है ....कितना अजीब वर्ड है न "शिफ्ट ".....नयी जगह भीतर भी शायद "कुछ शिफ्ट "कर देती है   ...चार दिन पहले मानसी से उसका नंबर लिया था उसने ..
..कितना कुछ तो बांटा था  हम  दोनों ने ..कई साल ....फिर भी उसे  फोन करते वक़्त वो  नोर्मल नहीं था .....क्यों.?..
सन्डे  को  को मिलती हूँ .लंच साथ लेगे....उसने कहा था  फोन पर  वही आवाज ... ....कितने सालो बाद.....शायद १३ साल ........
. शहर शायद नजदीक है .ट्रेन मिनट दो मिनट के लिए रुकी है ..नए .मुसाफिरों में कुछ स्कूली लडकिया भी है सरकारी  स्कूली की  हिंदी मीडियम नुमा  लडकिया जिनके .  दुपट्टे   उनसे भी बड़े है ....गोया इम्तिहान के नंबर दुपट्टे की चौड़ाई तय करती है...गिटार अब भी बज रहा है .धुन चेंज हो गयी है ....स्कूली लडकिया चुहल कर रही है .... . वो फोन पर दो चार एस एम् एस करता है ........ अखबार पढने वाला एक टक किसी  स्कूली लड़की  को  घूर रहा  रहा है....वो  अपनी सहेली   के  पीछे सिमट सी  गयी है ...शायद इसी कारण से

१३ साल छह महीने ओर उनत्तीस दिन बाद के एक सन्डे की दोपहर  ....

 होटल की लोबी में वो पिछले पैंतालिस  मिनट  से वक़्त काटने की कई तरकीबे आजमा चूका है ... ....शीशे के दरवाजे के उस पार  वो ब्लेक साड़ी में लिपटी खड़ी दिखती  है .ब्लेक साड़ी   उसकी  फेवरेट है.. वो जानती है  वो  खड़ा हुआ  है...काफी कुछ तब्दील हुआ है ..वो भर गयी है कई जगह से ...आँखों पर चश्मा है......
सोरी यार शहर में नयी हूँ इसलिए जगह नहीं पहचानती ...पूछते पूछते आयी हूँ....वो पास खड़ी हुई है ....उसी  बोडी ड्यूडेरेंट की खुशबु नथुनों में जा घुसी है .. वो अब भी वही ब्रांड इस्तेमाल करती  है
"तुम अब भी खुद ड्राइव करती हो..."
हाँ ....उसने चश्मा हटा दिया है .चेहरे पर आँख के नीचे उम्र के थोड़े निशान आये है ...हम्म्म..माथे पर भी .....
वो तुम किसका   शेर कहते थे ......के "कोई सौ बार तेरी गली से गुजरा हूँ .कोई सौ  बार तू अपनी खिड़की पे नहीं आयी.... सोचा आज उसी शेर को लोबी में याद करोगे
   वो   याद  करने  की  कोशिश  करता  है    पर  याद  नहीं    रहा  …
..कितना स्कोर हुआ  गालियों   का ...?वो पूछती है ....
वो सिर्फ मुस्कराया है.......
रेस्ट्रोरेन्ट तक जाते जाते उन्होंने कई कुछ औपचारिक बाते की है ......मसलन काम....मसलन ट्रेन का वक़्त ... रेस्ट्रोरेन्ट के उस सेक्शन को उन्होंने गाँव का लुक दिया है ..पांच सितारा होटलों में भी अब गाँव बसते है ... वो याद करता है उसे चाइनीज़ का टेस्ट उसी ने डवलप   कराया था..किसी खूबसूरत लड़की के सामने .पहली बार उन लकड़ी के इन्सट्रूमेंट से खाना बड़ा अजीब लगा था उसे....डरकर  सिर्फ  "ड्रम्स ऑफ़ हेवन" खाये  थे उसने .....
बैठते हुए  वो अपने हाथ में पकडे एक पेकेट उसे थमाता है ....केनेजी का इंस्ट्रुमेंटल. है........
"अजीब  सा लगता है ...कभी सोचा नहीं था ...हमारे बीच ये रस्म भी होगी.....".वो कहती है
कैसी हो?
एज यूजवल .खालिस  शादी शुदा   औरतो की माफिक... शादी के बाद औरत की जिंदगी  थोड़ी  स्लो मोशन में चलती है.........तुम्हारा क्या हाल है ….कविताये-शविताये    जिंदा   है.....?
उसके बांये गाल पर एक गढ्ढा पड़ता था ...अब भी पड़ता है पर इतना गहरा नहीं.......
"ऐसे मत देखो .मै कोंशियस  हो रही हूँ" ...वो कहती है  .तो वो झेंप उठा है .....
जानते हो ....बरसो बाद मैंने अपने शरीर को गौर से देखा ...ऐसा नहीं के मै ध्यान नहीं रखती पर आज यहाँ आने से पहले  थोड़ी कॉन्शियस हुई....फिर तुम्हारी कनपटी के सफ़ेद बालो ओर  सर के उड़े बालो को देखकर तसल्ली मिली....के तुम भी कहाँ पहले जैसे हो अब.....?
उसमे कुछ बाते अब भी वैसी है ...अजीब से सचो को यूं बोल देना ..
तुम अब भी वही ब्रांड पीते हो.....वो सिगरेट का पेकेट  निकालती है अपने पर्स से ....
वो हैरानी से उसे देखता है ....
नहीं….. मैंने पीना छोड़ दिया है .
. ..वो सिगरेट के पैकेट को थामे रुक गयी है  ...
वो मुस्कराता है.....ऐसी कोई शर्त नहीं है ...कोई पुराना मिल जाता है तो
पी  भी लेता हूँ....पर बाँट कर!
उसने सिगरेट का पेकेट टेबुल  पर रख दिया है
बाई गोंड !!तुम  बदल गए हो.....
वो मुस्कराता है... बाई गोंड अभी भी मौजूद है …….
कुछ नहीं बस भीतर कुछ चीजों ने अपना  क्रम बदल  लिया  है  ...
वो उसकी कनपटी  के सफ़ेद बाल देख रही है ."तुम्हारे बाल जल्दी सफ़ेद हो गए 'है ना..
कभी याद आती है मेरी”?
 .....ऐसे सवालों  के बाद  अक्सर पॉज़ स्वंय अपनी जगह तलाश लेता है .... ये सवाल तो उसके ज़ेहन में अक्सर उठता है…. इस सवाल को वो इस मुलाकात के दरमियाँ नहीं लाना चाहता था .पर कुछ सवाल  प्लान नहीं होते है ....
पर जवाब भी वो खुद ही देती है .".जब कभी टी. वी पर बॉम्बे आती है ...तुम्हे याद करती हूँ.... "
बॉम्बे उन्होंने तीन बार देखी है  .एक साथ .....पूरी मुलाकात में पहली बार उसके भीतर कुछ पिघला है ..छूने की तमन्ना भी हुई है ..
"तुमने जवाब नहीं दिया...."
जब कभी ड्रम्स ऑफ़ हेवन  खाता हूँ तुम्हे याद करता हूँ
वो हंसी है.
अब ख़ामोशी अपनी जगह ढूंढ कर  कुछ देर बैठती है......
"अच्छा है हम दोनों की शादी नहीं हुई.... उसने ख़ामोशी को हटाया है " एक दूसरे का सब कुछ जान लेने के बाद उसे उसी तरह प्यार करना मुश्किल होता होगा ना "
वो उसको देखता है ... जाने  क्यों सिगरेट पीने की  तलब उठी है ..पीछे कुछ इंस्ट्रूमेंटल बज रहा है ... खाने से पहले सूप आया है ..
.... …“जानती हो  उस  उम्र   में   हमें  बहुत    कुछ   चाहिए   होता  है …. प्यार की कई किस्मे होती है ....... कई  शक्ले..आहिस्ता - आहिस्ता  जब जिंदगी में दाखिल  होती है ...शर्ते    फ़िल्टर   होने  लगती  है’” …...कभी कभी हम वक़्त के साथ अपने हिस्से का  तजुर्मा गलत कर देते है ....शायद वक़्त की अपनी लिमिटेशंस होती हो...
वो उसकी आँखों में देखती है ..."डेस्टिनी”…. फिर हंसी है
खाने के दौरान  कई दूसरे मसले उठते है ....
जोइंट फेमिली में रहना मुश्किल है भाई...कई जगह स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ता है ....
पहले जब वो  इस तरह से झुंझला कर अपनी तकलीफ  किसी बात  पर जाहिर करती  थी ....   तो कितनी खूबसूरत लगती थी ..... .. वो चीजों को मेनेज करना सीख गयी है
जाने से पहले . उसकी आँखों में सीधे झांकती  है . .एक बात पूंछु?
... .. इस तरह से पूछे जाने वाले   सवाल  अक्सर  मुश्किल  होते है..
कितनी प्रतिशत बची हूँ मै तुम में ?
कुछ चीज़े ऐसे  ही छोड़ी जाती है ....अनडिस्टर्ब .... फ्लेश्बेक को  खूबसूरत ही रहना चाहिए …. 
एक ठंडी सांस!!
क्या तुम्हे ड्रॉप करूँ स्टेशन तक? वो पूछती है
नहीं .होटल की टेक्सी है ...थोडा सामान भी पेक करना है 

 चाइनीज़ खाते रहना..... खास तौर से ड्रम्स ऑफ़ हेवन ....विदा लेती वक़्त वो बोली है
रेलवे स्टेशन   की  ओर जाती टेक्सी में ....   उसे जाने क्यों लगता है .... इस मुलाकात में  प्यार नुमा  सा.. जायका नहीं था कुछ मिसिंग था .... तो क्या प्यार भी वक़्त के साथ रिसता है.?..

ट्रेन में चढ़ते हुए  हुए उसने देखा है
घुंघराले लम्बे  बालो वाला लड़का वही लड़का गिटार कंधे पे टाँगे ट्रेन में चढ़ रहा है ...उसके साथ एक लड़की है ..जिसके कान में वो कुछ फुफुसा रहा है ..सामन रखकर वो मुड़ा है ... वे दोनों उसी के  कम्पार्टमेंट में है  .... लड़की उसी देख के मुस्कराई है ..वही किताब वाली लड़की.... .ट्रेन ने आहिस्ता आहिस्ता रफ़्तार पकड़ी है ....उसने  दरवाजे के पास आकर  सिगरेट सुलगा ली है ..
एक लम्हे में कितनी पेरेलल स्टोरिया चलती है ...



ऑफ़ दी रिकोर्ड -
किसी ने मेल लिख कर पूछा था ...तुम प्रेम कहानिया नहीं लिखते....
 .
मेरे पास कहानिया नहीं है.......

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