2011-05-25

वो क्या कहते थे तुम जिसे .....प्यार !

"अ" का प्यार-
मेर बाप अब भी मुझे उंगुली पकड़ के चलाना चाहता है ..वो समझता है मुझमे अक्ल नहीं है ....ये मेरी जिंदगी है यार
"....वो पूरे कमरे में   चहलकदमी कर रहा है ..वो जब भी परेशां होता है ..बहुत चलता है ..यहां वहां .बेवजह .सन्डे की सुबह सुबह उसकी एंट्री हुई है ..घडी में आठ बजे है..वार्ड का रायूंड भी है ...
मै मेज पर पड़ी आखिरी सिगरेट को देखता हूँ ..फिर.अलमारी पर टंगे उस ब्लेक बोर्ड को जिस पर रात में मैंने बड़ा बड़ा चोक से लिखा था ..."क्विट स्मोकिंग "
  .तेरा अच्छा है साला ब्रेक अप हो गया इन लफ़डो  से छूट गया ..मै उसे याद दिलाना चाहता हूँ के मेरा ब्रेक अप नहीं हुआ मुझे लड़की ने छोड़ा है ..पर मै सिर्फ सिगरेट सुलगाता हूँ
तू साला मेरी बात भी सुन रहा हूँ या सिर्फ सिगरेट पी रहा है
 
मै उसकी ओर देखने लगा हूँ....

"तुम कवि शायरों का पता नहीं साला कब क्या सोचते रहते हो'.. !  तुम लोगो के  क्या कहते है उसे ....' ज़मीर" को   बेवक्त आने की आदत है ...... !.उसके हाथ में जावेद की तरकश " है ..ये डाइलोग उसने उसके पन्ने  पलटते  हुए बोला है...फिर उसे पलंग पे उछाल दिया है ..पूयर जावेद!
उसका मोबाइल बज उठा है...वो बिना कुछ कहे बात करता बाहर निकल गया है..ठीक वैसे ही जैसे आया था .
पता नहीं मेरा  ज़मीर अब कितने  टके का होगा   !!!!
 "ब ""का प्यार ...
मुझे हाल्फ फ्राई खाने की तलब लगी है
.झोपड़ा केन्टीन पे बाइक खड़ी करता हूं .इस केन्टीन में सिर्फ शोहदे आते है ओर सिगरेट पीने वाले सारे शोहदे होते है! हॉस्टल ओर हॉस्पिटल के बीचो बीच एक टीन  का शेड है...जिसे झोपड़ा केन्टीन कहते है .....ऑर्डर देने की जरुरत नहीं है..उसे मालूम है  मुझे क्या चाहिए ... मै  गुजराती अखबार उठाकर पढने की कोशिश करता हूं .ऐसा नहीं है के गुजराती मुश्किल है पर मैंने कभी सीरयसली सीखने की कोशिश नहीं की ."ब " की मोटर साइकल आकर रुकी है..उसने चाय का ऑर्डर देकर सिगरेट सुलगाई है ..अपने म्यूजिक लाइटर से ...
"रायूंड   हो गया " मै उससे पूछता हूं
हूम..म...उसने लम्बा कश लेकर सिगरेट मेरी ओर बढाई है ...

"नहीं  अभी पी है " मै कहता हूं...
"**** कैसी है" मै उसकी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछता हूँ....जो आजकल बरोदा में है .उससे एक साल सीनियर
'ठीक है'
तू गया नहीं ..अमूमन सन्डे वो ट्रेन से बरोदा निकल जाता था ...
साला छुट्टी मिले तो फिर  इमरजेंसी ... एक्जाम टर्म  ..घर जाना चाहता  हूँ.. एक ब्रेक ..थक  गया हूँ
"क्या हुआ "..मै जान गया हूँ वो डिस्टर्ब है ..ये लाइने उसकी नहीं है . 
गुलाब कविताएं रोमांस ..उसी मुझमे वही चाहिए ..वो कम्फर्ट ज़ोन में है यार ..पर  मेरा स्ट्रगलिंग पीरियड है... ..वो अब भी मुझमे  चार साल पुराना  मै ढूंढती  है ....सब कुछ उस के सामने तो है . ऐसे में रोमांस ....एक लम्बा कश....
.केन्टीन वाला हाल्फ फ्राई रख के गया है .समझदार है सिर्फ चुपचाप सुनता है ..मुझे भूख बहुत लगी है ..मै कहना चाहता हूं  ये पाव बासी है पर  सामने वाले की सूरत देखकर पता नहीं क्यों नहीं कहता! ..वो क्यों नहीं समझती....चार  साल का रिश्ता है हमारा पर........उसकी आवाज धीमी हुई है.....कंधे झुक से  गये है .... जानते हो अन्दर से मै डरा हुआ हूँ...पिछले एक महीने से  उसकी बातो में एक ओर बन्दे की तारीफ होती है ...उसकी आवाज की टोन   बदल गयी है या मेरा भ्रम है के  जैसे भर्रा  गयी हो.....मै जानबूझ कर उसके सामने नहीं देखता ...."क्विट स्मोकिंग" को एक दिन ओर आगे बढाकर मै सिगरेट  उसके म्यूजिक लाइटर से जलाता हूँ...खाते खाते .
.मेरा" मेल एगो " इस डर को  उसके आगे............ वो रुक गया है .सिगरेट जल रही है पर वो कश नहीं लेता ......
पर
  प्यार का मतलब समझना भी तो होता है न यार "
 मै  सिगरेट का  बड़ा कश  लेता हूँ.....फिर दूसरा .......लाइटर को  उलट पुलट के देखता हूँ ...ये लाइटर उसकी गर्लेफ्रेंड सिंगापूर से लायी थी ....स्लीक !
 तू  सुन रहा है  ना या सिर्फ सिगरेट पी रहा है .मै उसकी ओर देखता हूं.... पर उसने कवि- शायर के मुताल्लिक कुछ नहीं कहा है !
ब्रेक में "क" की गर्लफ्रेंड
 ...हॉस्पिटल केन्टीन में मै चाय पीते वक़्त अंग्रेजी का अखबार पढने की सोचता हूं ..सूरत में अंग्रेजी अखबार लेट आता है ..चाय के पहला  घूँट भरता हूं....तुम सिगरेट क्यों पीते हो यार ? ‘-“वाली है ....मेरे सामने बैठ गयी है ... मेरी शर्ट के जेब से झांकते पैकेट को देख कुड जाती है.. कहना चाहता हूं  .तुम्हारे बॉय फ्रेंड के वास्ते है उसे वार्ड में देने जाना  है .महँगी  सिगरेट है .साले ने मोबाइल पर फोन करके मंगाई है ..इनकमिंग काल ४ रुपये की है ...सिगरेट २२ की....पर कहता नहीं... जानते हुए भी की ये पैसे कभी वापस नहीं मिलेगे ..उन हालातो में जब आपकी जेब में केवल चालीस रुपये हो.....यूँ भी के ....लोग कहेगे कितने कमीने आदमी हो दोस्ती बड़ी के २६ रुपये !
केन्टीन बॉय उसके लिए चाय रखकर गया है .उसकी टी शर्ट पे "प्ले बॉय ' लिखा है ..! केन्टीन में "वो "आयी है अपने डिपार्टमेंट के साथ ...उससे  आंखे  मिलती है ...उन आंखो में अजीब सा कुछ है ..मै अफ़सोस मनाता हूं के मैंने शेव नहीं बनायीं ..वो हमारे बाए तरफ वाली सीट पर  बैठ  गयी है..उन आँखों में मै फिर देखता हूँ ...वे अब भी मुझे देख रही है 
उधर देखने का कोई फायदा नहीं ..वो फिक्स है "क" वाली ने जैसे मेरी मूवमेंट  को पकड़ लिया है
(फिक्स ! पर उसकी आँखे तो कुछ ओर बोलती है .)
 "हमारी शादी की डेट भी नक्की  हो गयी है ."क वाली  बोले जा रही है .नक्की गुजराती वर्ड है ...मै उन आँखों से फिर टकराता हूं...बड़ी बड़ी  आँखे ... .(ऐ खुदा  फिक्स वालो की आँखे इतनी स्टेयरनिंग तो नहीं होती.)
वैसे तुम क्या सजेस्ट करते हो..मैरून कलर का लहंगा ठीक रहेगा ...क वाली शादी में इन्वोल्व है....पर '.वे आँखे ' सीट से उठ गयी है ....उसने सीट से उठते उठते मुझे फिर देखा है ....मै भी उठ गया हूं .बाय कहकर ...सोच रहा हूं" क" को सिगरेट का पैकेट देते वक़्त कहूँगा "अब भी वक़्त है सोच ले '...पर बिना कहे ही सिगरेट का पैकेट दे आया हूं ..जेब में अब केवल १८ रुपये है .
"स" का प्यार जैसा कुछ  -
पूरा कोलेज मानता था  के वो पिछले दो सालो से कोलेज की सबसे सेक्सी लड़की  के साथ है ! मै  भी ! पर मेरी उसकी दोस्ती उससे कही पहले  थी . वो बहुत खूबसूरत तो नहीं था पर उसे  भीड़ में  भी इग्नोर नहीं किया जा  सकता था . ...झूठ बोलने का भी एक सलीका होता है ...कोंफिड़ेंस..."स " उसमे माहिर है ..पर वो ये आर्ट सिर्फ लडकियों ओर टीचरों के आगे दिखता है दोस्तों के आगे नहीं...... पीकर तो बिलकुल नहीं! ...वो रूम में शिवास लेकर आया है ..सूरत में ..शिवास मिलना एक लक्ज़री है ..ट्रेन में सूटकेस में कई कपड़ो के  नीचे दबा कर लाया है ..कहता है पापा ने गिफ्ट की है ..मुझे अपने याद आते है .सिगरेट का पता चलेगा तो बन्दूक निकाल लेगे ...

उसका तीसरा है ..ओर मेरा दूसरा ..मै  अपने ग्लास में आइस डालता हूं....मेरी औकात  दो तक की है ओर मुझे मालूम है ..कमरे में छोटा  फ्रिज भी एक लोकालाईट ने रखा है इसी वास्ते ...
"रिलेशन शिप में कभी कभी आप उबने लगते हो '..अचानक उसकी   बातो  का दायरा  बदलने  लगा है ..अपना स्पेस ढूँढने की छटपटाहट सी होती है ..तुझे कभी ऐसा नहीं लगा ..वो मुझसे पूछता है मै जवाब नहीं देता सिर्फ मुस्कराता हूँ..
"साली दुनिया सोचती है मै कोलेज की सबसे सेक्सी लड़की के साथ घूम रहा हूँ...पर कोई मुझसे पूछे ..'
मै उसकी ओर देखता हूँ ...
गर कोई मुझसे पूछे उसके साथ जिंदगी गुजार लेगा ..तो ईमानदारी से कहूँ डर लगता है यार
मुझे सिगरेट जलाने पड़ेगी ....ऐसे  फिलोस्फिकल माहोल में वो बड़ा सहारा देती है !
मुझसे उसपे यकीन नहीं है यार !
 "उसने तुझसे शादी के लिए कहा .क्या" मै पूछता हूं .
नहीं 
गर पूछेगी तो ....उसका डर है !
गर न पूछे तो
?
वो भी हर्ट  करेगा ..
..ब्लेक बोर्ड हवा से हिला है ..सोचता हूं उसके जाने के बाद  क्विट स्मोकिंग मिटा दूंगा ..पिछले तीन हफ्ते में चौथी बार मिटाया है .केसेट ख़त्म हो गयी है ...मै उठकर पलटता हूं उसका पैग ख़त्म हो गया है .वो आगे कुछ नहीं बताना चाहता .न मै उससे पूछना .

लिखा था जिस किताब में इश्क तो हराम है ...

सुबह मोबाइल के अलार्म ने आँख खोली है ..फोन उठाकर बंद करता हूं..उनीदी आँखों से  एक मेसेज दिखता है ... ....मेरी एक्स  का मेसेज है ..."
  मिलना चाहती हूं..मिलोगे"
मै फिर से तकिये में मुंह छिपाकर सो जाता हूं .


 ये तसल्ली है की इसे वो नहीं पढेगी.....जो कभी पढ़कर  "किसी" से कहा करती थी "तुम्हारे दोस्त की कहानियो में इतनी सिगरेटे क्यों आती है !

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