आपने कभी उस आदमी को शुक्रिया कहा है ......... जिसने रुई के टुकडो को चद्दर में लपेट कर रजाई नाम की ये खूबसूरत शै इजाद की .... .... ऐसे कितने शुक्रिया उधार है हम पर ...साल का सबसे पहला फोन मेहता अंकल का आया , "है कोई ख्वाहिश "?? चेस खेलने के शौकीन मेरे दोस्त के इसी पिता ने पिछले साल इन्ही दिनों में अस्पताल के उस बिस्तर पर दिल का दौरा पढने के बाद मुझसे मुस्कराते हुए कहा था ..वो "चेक" दे चुका है....ये "ढाई घर" चलने की कोशिशों में जुटे है .....तय करना मुश्किल है कि गुजरे सालो में .जिंदगी मुश्किल हुई है या इंसान .... काश हर इंसान के लिए ऊपर वाला आसमान में "चेक " का साइन बोर्ड लगाये ....
"गर .....
अच्छे दिनों को " जेरोक्स" करके अलमारी में रखा जाता ...... जमीर की खरोंचे डेटॉल से साफ़ होती .....उसूल स्पीड पोस्ट से डिलीवर होते....अठन्नी में वही खालिस दुआ मिलती ....... एक जोर की सीटी से सूरज नुमाया होता ... सर्द रात पश्मीने का शाल झोपडो पे गिराती ... ओर ........ओर ... कोई हमउम्र खुदा होता ....
जिंदगी किस कदर आसां होती !
आज की त्रिवेणी.... साल के आखिरी दिनों में आते आते ऊपर आसमान में रहने वालो की आदतों में भी कुछ तबदीलिया आ जाती है ....शायद देर रात महफ़िल सजती है ..चिल्मे जलती है सुबह वही धूआ नीचे जमीन पर उतरने की मशक्कत करता है .... "परिंदे तय कर लेगे अपना सफर मौसम की दीवानगी से वाकिफ है .. मुए एरोप्लेन ही होश खो बैठे है " चलते चलते ... पिछले साल की खता मुआफ करे...ताकि अगले साल उन्हें फ़िर कर सके..... वैसे खुदा की उम्र क्या होगी तकरीबन ! |