2008-07-07

"आई ऍम सॉरी बेटा "


तुम्हे नही लगता तुमने ग़लत किया है ...wife मुझसे कहती है ..मन से जानता हूं कि शायद आज ग़लत कर दिया है फ़िर भी मुंह से कुछ नही बोलता हूँ ..मै उसे छोड़ने आया हूँ ..वो कार पूल कर कॉलेज जाती है..... मन अजीब सा हो उठा है .उसकी कार आज इतनी देर क्यों लगा रही है आने में ?खामोशी चुभ रही है आज....कुछ लम्हे ऐसी ही चुभन में गुजरते है .उसकी कार आ गई है ,गाड़ी का दरवाजा खोलकर वो मुझे देखती है .."उसके साथ थोड़ा वक़्त बिताना 'वो कहती है ,मै सर हिलाता हूं...घर पहुँचता हूं...ऊपर सीडिया चढ़ कर जाता हूं..इधर उधर कमरों में झांकता हूं....मम्मी की तरफ़ सवालिया निगाह उठती है..."तेरे पापा छोड़ने गये है...मै निढाल कदमो से वापस ऊपर आता हूं.....
वो सुबह भी ओर दिन जैसी ही थी....सुबह कभी उसके पेट पर फूंक मार के कभी कानो में कोई गाना गा के उसे उठाया था .. .बहला फुसला कर दूध पिलाने के लिये कुल ५ मिनट बचे थे ...घर से उसका स्कूल ५ मिनट के रस्ते पे है..मै अखबार पर एक सरसरी निगाह डालने के लिये नीचे चला गया ..ऊपर आया ..तो कार्टून चल रहा था ....
चलो आर्यन ..देर हो रही है फटाफट
पहले कार्टून....
नही बेटा .....स्कूल से आके देख लेना
तो ख़त्म हो जायेगा
नही पहले कार्टून.....वो नन्हा कहता है....
नही जानता क्या कारण था की मै उस ४ सल् के नन्हे बच्चे पर गुस्सा हो जाता हूं....टी.वी बंद करता हूं ,चलो उसका हाथ पकड़ कर खींचता हूं......नही पहले कार्टून....उसकी मासूम जिद बरकरार है......गुस्से में मै उसकी टाई उतारता हूं .एक दो थप्पड़ मारता हूं....पलंग पर धेकेल देता हूं ... .वो रोता है...नही जाना स्कूल,....बस कार्टून देख......वो लगातार रोता है....wife आती है...उसे बांहों में भर लेती है.....४ सालो में पहली बार मैंने उस पर इस तरह से हाथ उठाया है....wife का मोबाइल बजा है...यानि उसकी गाड़ी आने वाली है ,अमूमन उसका ओर आर्यन के जाने के समय में ५-१० मिनट का अन्तर रहता है...आज इसे स्कूल नही भेजना ..मै गुस्से में कहता हूं.....उसे घूर कर देखता हूं....पापा ऊपर आ गये है....मुझे डांटते है ,इतने छोटे बच्चो पर कोई हाथ उठाता है..वे आर्यन को गोद में उठाते है.......मै नीचे आकर wife को छोड़ने के लिये गाड़ी स्टार्ट करता हूं ...
मरे में जहाँ तहां उसके खिलोने बिखरे है..मन में अजीब सी ग्लानि है ..शेव करता हूं....एक दो फोन रिसीव करके हॉस्पिटल निकलता हूं...क्लिनिक जाने से पहले आज कुछ रेफेरेंस देखने है...मम्मी नाश्ते को कहती है...पापा आ गये है ....पापा से पूछना चाहता हूं की रो तो नही रहा था ?पर पूछ नही पाता.....
हॉस्पिटल से बाहर निकलने के बाद ..जब क्लीनिक के लिये रवाना होता हूं तो कुछ सोचकर उसकी टीचर को फोन करता हूं..

आया था तो सुबक रहा था .अब ठीक है ".
.वो कहती है. सुबह सुबह मैंने अपने बच्चे को.मैंने ....मै उदास हो जाता हूं.
.ब वो डेड महीने का था तबसे मेरी गोदी में गाने सुनसुन कर सोया है..ढाई साल का होने तक वो मेरी गोदी में ही सोता था ,अगर मुझे किस पार्टी में जाना होता तो मै देर रात तक लौट कर आता तो वो जगा मिलता ....बीच में कांफेरेंस के सिलसिले में पुणे या बॉम्बे जाना हुआ तो पूरे घर में मुझे तलाशता फिर था ...आज उसे लेने मै जायूँगा स्कूल से ....मै सोचता हूं...
जिस दिन आप वक़्त चाहते है ,उस दिन ही वक़्त नही मिलता .क्लीनिक में आकर व्यस्त हो जाता हूं...११.३० बजे उसके स्कूल की छुट्टी है पर मरीजो के बीच से मै निकल नही पाता ..सर आज आपके दो लेजर है....मेरा स्टाफ कहता है...मै कैसे भूल गया ...इसका मतलब दोपहर में भी लेट हो जायूँगा ..मना भी नहीकर सकता..दोनों patient बाहर के है ,एक देहरादून का दूसरा बुलंदशहर का..दोनों की शादी है....pre appointment है . बीच में १० मिनट का ब्रेक मिलता है तो चाय पीते पीते सोचता हूं....कुछ लेकर जायूँगा घर उसे गाड़ी पसंद है.....कोई भी कार ले लूँगा ,बीवी का फोन है...उसे सॉरी कहता हूं....मेरी wife को भी हर कामकाजी औरत की तरह guilt है ..वो अक्सर मुझसे सवाल पूछती है....नौकरी छोड़ दूँ क्या अनुराग ?
कितने सालो से मेरी कोशिश यही रहती है की २.३० बजे के बाद घर पहुँच जायूं ,वो अक्सर मेरी इन्तजार में रहता है की मै आयूँ तो वो भी मेरे साथ खाये,पापा मम्मी कोशिश तो करते है ...पर अक्सर वो आधी रोटी खाकर छोड़ देता है.. ... ,कुछ खिला कर फ़िर झूठ मूठ उसके साथ लेटता हूं ताकि वी भी सो जाये..अक्सर वो लेटते ही थोडी देर में सो जाता है....वैसे भी मेरा एक डॉ दोस्त कहता है डॉ के बच्चे दोपहर तक भूखे ही रहते है उसके बाद .....उनके सामने सब कुछ होता है.. ठीक २.३० बजे एक हॉस्पिटल से कॉल आती है......उसके बाद एक लेजर ..दूसरे सेंटर में.....घर लौटते लौटते ४ बज गये है...हाथ में एक नन्ही कार लिये मै घर में घुसा हूं...सो गया है..पापा कहते है.....कुछ खाया .मै पूछता हूं...नही वे सर हिलाते है....मै ऊपर कमरे में घुसता हूं...वो घुटने मोड़ कर सोया है......मेरी जेब में ढेर सारे पैसे है....पर किस काम के ? मेरा बच्चा तो भूखा सो रहा है ...मै ए.सी ओन करता हूं... उसका तकिया सीधा करके उसको धीमे से प्यार करता हूं....गाड़ी उसके पास रखता हूं.......उठने की कोशिश करता हूं तो देखता हूं उसकी आँख खुली है..वो मुझे देख कर पूछता है."आप अभी भी नाराज है पापा ?...मेरी आँखों से आंसू गिरते है "i am sorry बेटा '....मै कहता हूं ओर उससे लिपट जाता हूं.....



आज से ७ महीने पहले का वो दिन जिसे मै याद नही करना चाहता पर जिसे मै भूल नही पाता

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