2008-06-18

वो बरगद का पेड़ मुझे अब भी छाया देता है


१७ जून रात २ बजे मंगलवार
.......'GOD FATHER-१" ... अभी ख़त्म हुई है ..उसका नशा चढ़े चढ़े मै घड़ी को देखता हूँ...,२ बज गए है .नींद नही आ .बाहर हलकी हलकी बूंदा बांदी है ,चाय की तलब उठ गई है , चाय बनाने के लिये फ्रिज में दूध टटोलता हूँ.... मम्मी शायद सो गई है माइकल ,स्लो म्यूजिक ओर डार्क शेड में मूवी....
आज सुबह जब दिन को चाय की प्याली में डूबोया था तब मालूम नही था की रात भी इसी चाय की प्याली में डुबोनी पड़ेगी..दिन भर मसरूफ रहा ...सुबह पापा को बनारस जाना था छोटे भाई के पास तो उन्हें रेलवे स्टेशन छोडा था तो रात ९.३0 बजे घर में घुसा था . छोटू भी नानी के पास गया है सोचता था जाते ही नींद आ जायेगी
कई सालो बाद पापा ने कहा उन्हें पेंट लेनी है...वरना वो आज भी सिलवाना पसंद करते है ,तो उन्हें कल बाजार लेकर गया था ......
..यूँ तो वे क्लास-१ ऑफिसर की पोस्ट से रिटायर हुए थे ..पर बेहद सादा जीवन जीते आये है... घर में ज्यादातर सफ़ेद कुरता पजामा ही उन्हें भला लगता है , अपने ऑफिस में भी ऐ.सी बंद कर दिया करते थे ,अनुशासन प्रिया रहे हमेशा मुझे ओर छोटे को सुबह ५ बजे उठा दिया करते थे .... पैंट के दाम देखने को उसके टैग पर झुकते है..मुझ पर गुस्सा करेंगे इसलिए मै पेंट उनके हाथ से लेकर ट्रायल रूम की ओर चलने को कहता हूँ.... .वे सोचते है की दुनिया अभी भी उसी रुपये से चलती है..मै उन्हें टी शर्ट try करने को कहता हूँ...वे मना कर देते है ....एक बार try तो करो..वे हिचकिचाते है मै शोरूम वाले लड़के को सोबर से कलर निकालने को कहता हूँ..वे ट्रायल रूम में जाते है ..ओर शर्माते हुए बाहर आये है..मुझे बहुत अच्छा लगा है.. उन्हें जबरदस्ती एक ओर टी शर्ट दिलाता हूँ.....उन्हें एक व्हाइट टी शर्ट भी पसंद आई है.... कई दिनों बाद हम बाप बेटा अकेले बाहर निकले है...मै उन्हें वही टी शर्ट डाल कर चलने के लिए कहता हूँ....मम्मी उन्हें देखकर मुस्कराती है .......

चाय उबलने लगी है...मै कप में उडेलता हूँ...मोबाइल पर एक मेसेज . बिना पढ़े पड़ा है......आज दिन भर शायद मैंने इस मोबाइल से ढेरो बातें की होंगी....ओर अखबार बता रहा है radition के खतरे ......
चाय का एक घूँट भरता हूँ.........सोचता हूँ GOD FATHER -२ भी देख लूँ.....आज का दिन मसरूफ रहा दोपहर घर नही आ पाया .पता नही पापा सो रहे होंगे या नही ..?
सुबह जब रेलवे स्टेशन उन्हें छोड़ने आया हूँ..कई हिदायते दे रहा हूँ...मोबाइल का ध्यान रखना ..,चैन बाँध लेना ..ध्यान से उतरना वे सर झुकाकर चुपचाप सुनते है ..मै उन्हें गौर से देखता हूँ...अचानक बूढे से लगने लगे है... ट्रेन आ गयी है ...मै उन्हें अन्दर तक छोड़ के आता हूँ... मैंने कहना चाहता हूँ "पापा आई लव यू " पर कह नही पाता ..अंग्रेज अच्छे है ..जब जी चाहा बेबाकी से कह देते है.. पर हम... पता नही कौन सी हिचक है......मै पैर छूकर नीचे उतर जाता हूँ.....

वे ताउम्र
बोझ ढोते रहे
ताकि
मै सीधा चल सकूँ
वे ताउम्र
बोझ ढोते रहे
ताकि
मै अय्याशिया कर सकूँ
मै उनसे प्यार करता हूँ
वे मेरे पिता है ...

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