2009-04-28

"देयर इस नो रूल इन इश्क " मेरी जान !!


इंटेलिजेंस की अपनी लिमिटेशंस है लेकिन बेवकूफी उसकी तरह मजबूर नहीं है....शुक्ला जी की दीवार पे लिखे इस जुमले का कापी राइट किसके पास था ये तो याद नहीं पर ...पर इस जुमले ने हॉस्टल के इन्टेलेकचुवलो में उनकी "एंट्री "करा दी थी ....
कुछ दिनों बाद उनके हिस्से की अलमारी पे लाल रंग से एक ओर नये जुमले ने उन्हें बतोर "विद्रोही" हिट करा दिया ..."जीनियस डोंट फाल इन लव "अलबत्ता इस जुमले से नाइत्तिफाकी रखने में हम भी शामिल थे ...फिर भी चूँकि शुक्ला जी हमारे सीनियर थे उस पे यू . पी के तो हमने कभी खुले आम नाइत्तेफाकी जाहिर नहीं की ....हमें यकीन था जिंदगी के किसी मोड़ पे इश्क अपनी एंट्री मारेगा ही......शुक्ला जी की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उनके जीवन में जबरदस्त ट्रांस-फोरमेशन कर दी .. अलबत्ता उसे खूबसूरत कहने पे कई यारो में कंट्रोवर्सी है.

.हुआ यूँ के हर साल AIIMS में दिनों का कल्चरल फेस्ट होता है जिसमे देश भर के मेडिकल कॉलेज शिरकत करते ...रात को खुले मैदान में "करोके कम्पीटीशन "होता जिसमे खासे रोमांटिक अंग्रेजी गाने स्क्रीन पे चलाये जाते ...ओर कोई एक बेचारा इस मजलिस में तन मन से गाता . .लोग यहाँ वहां किसी की गोद में लेटे होते ...कुछ माहोल से इंस्पायर हुए सिर्फ हाथो में हाथ डाले बैठे ...जिनके पास ना कोई गोद होती न ऐसा इंस्पायर्ड साथी ...वे आहे भरते ....कुछ बियर पीकर इश्क को गाली देते ...शुक्ला जी ने एक रात बियर पीकर इश्क को खूब कोसा ...गुजरात की मिलावटी शराब पीने का आदी उनके ब्लेडर ने दिल्ली की असली बियर से विद्रोह कर दिया .. ...आलस ओर परेशां शुक्ला जी ने रात के अँधेरे में दूर की झाडियों को फारिग होने के लिए मुनासिब समझा ..चैन खोलकर वे रिलेक्स होने की पहली मुद्रा में ही थे की अचानक झाडियों में एक लम्बा चौडा सरदार निकला ओर माँ बहन की गलिया देता इनके पीछे दौड़ लिया..एक .प्रेमी जोड़े .के प्रेमालाप में असमय पड़ी इस फुहार ने जो विघ्न डाला ....सरदार ने उसका क्लाइमेक्स बड़ी बेरहमी से किया .....
इस अपमान से आहत हॉस्टल वापस लौटे शुक्ला जी एक महीने के लिए कुछ किलोमीटर के दायरे के अज्ञातवास में बिना औपचारिक घोषणा के चले गये .. फिर वे अंग्रेजी के मोटे मोटे नोवल थामे सीडियो पे प्रकट हुए ...उनके अधखुले दरवाजे से अक्सर केनेजी की कैसट बजती सुनायी देती .इस दौरान कोई नया जुमला भी उनकी अलमारी पे आकर नहीं गिरा ... एक दिन "ब्रेकिंग- न्यूज़ "आयी शुक्ला जी ने "अंग्रेजी मेजर "को परपोज कर दिया है ...इश्क से उनके असहयोग आन्दोलन की अचानक मौत ....वो भी अंग्रेजी दा किस्म की लड़की से...बुजुर्वा किस्म के छोटे से क्रन्तिकारी तबके को अपने इस युवा संभावित नेता के इस कदम से गहरा धक्का लगा .... होस्टल में हंगामा बरपा हो गया... लड़को की एक अच्छी खासी परसेंटेज इन .अंग्रेजी दा लड़कियों को "आउट ऑफ़ कोर्स "मानती थी .जिसका सीधा ओर देसी अनुवाद था "औकात से बाहर ".....
हमेशा जींस ओर टीशर्ट में दिखाई देने वाली इन लड़कियों को प्रेम में लिखी हिंदी कविताये " वल्गर "लगती ओर "सेंटीमेंट्स " छिछोरे... .ओर ये थी मेजर की औलाद .....
उस रोज रात को शुक्ला जी ने अपने जुमले में संशोधन किया .."जीनियस डोंट फाल इन लव -इट हेप्पंस " .२ महीनो में ये वाकई हेप्पंस हो गया ....शुक्ला जी हॉस्टल के तमाम नाकाम प्रेमियों के लिए उम्मीद की एक साडे पॉँच फूटी लौ बन के उभरे ओर एक घटना ने इस लौ को ओर जगमगा दिया .....
कॉलेज की ऐसी मोहतरमा जिन्हें हर लड़के को भाई बनाने का शौंक था ..ओर कुल जमा उनके पास साडे छब्बीस भाई थे ...(एक अभी डिस्पोसल पे था )...पे एक साहब मर मिटे ...तीन ठो असफल प्रयास के बाद उन्होंने शुक्ला जी की शरण ली...शुक्ला जी ने उनके गिरे हुए मोरल को जाने कौन सी क्रेन से उठाया .की उनकी भी नैय्या पार हो गयी....... इश्क वालो के लिए शुक्ला जी पीर पैगम्बर हो गये . ...
इश्क के तमाम नाकाम , "हाँ ओर ना " के दोराहे पे खड़े प्रेमी उनके दर पे आते ....बिगडे हुए केस संभल जाते ..
यारो का बस चलता तो उन्हें पदमश्री दिलवा देते ......

शुक्ला जी अपनी प्रतिभा ओर अंग्रेजी मेजर के साथ विदेस में पलायन कर गये ...



किसी भी हॉस्टल के पिछले दस -पंद्रह सालो को गर फ्रेम दर फ्रेम केप्चर किया जाये ओर मेग्निफाइंग ग्लास से सूक्ष्म निरीक्षण .. तो इश्क हर साल किसी किसी फ्रेम में एक उपस्थित पात्र है ....कहते है इश्क का जींस हर हॉस्टल में दस साल में म्युटेट होता है और शुक्ला जी जैसे लोग हर पीढ़ी में जुदा - जुदा शक्लो जुदा -जुदा नामो से उस पीढ़ी का मार्ग दर्शन करते है जब भी आने वाली पीढिया इश्क लिखकर गूगल में खोजेंगी शुक्ला जी जैसे वहां कोई लौ थामे मिलेगे ...

इश्क में एक स्टेज ऐसी आती है जब हाँ ओर ना के बीच बालिश्त भर का फासला होता है जरा सा बेलेंस बिगडा नहीं के ........-कर्टसी शुकला

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