2008-05-31

mr .पटेल तुसी ग्रेट हो .........

यूं तो मुझे अपने नाम से खासा लगाव है , पर इम्तिहान के दिनों मे यही नाम दिक्कत करता था। रोल नंबर 1 .......यानी की ओपनिंग बेट्स मेन….इक्जाम लेने वाले भी फुरसत  में ताजादम   होते ओर खूब क्रिकेट खेली जाती ,इस खेल के नियम भी तो ये थे की कोई हेलमेट नही ,कोई  पेड नही. अमूमन हम या तो 'रिटायर्ड हर्ट' होते ……या फ़िर “क्लीन बोल्ड 
खैर हमारी बदनसीबी एक्साम के दिनों मे हमारे कमरे मे शिफ्ट कर जाती ......दूसरे साल में  पथोलोजी का  इक्जाम  होता था , जिसमे स्लाइड देखकर आपको spot पर पहचान लिखनी होती थी,  माइक्रोस्कोप सिलेवार लगाये जाते थे ……पूरे साल यूं भी हमे कभी माइक्रोस्कोप के खास मोहब्बत नही रही इसलिए हमने ओर हमारे कई दोस्तो ने  स्लाइड पहचानने का नया फलसफा तैयार किया .लाल ,पीले,ओर अलग रंगो से ये कोड बनाये कि फला शेप का ओर फलां कलर का दिखा तो ये है, नही तो वो . इसके अलावा हमने ये भी तय किया की शरीर के हिस्सों पर हाथ लगाकर दूसरे बन्दे को हिंट देंगे की ....... लिवर की स्लाइड है या किडनी की?
खैर किस्सा हमारी शहादत से शुरू होता , हम लगभग पहली माइक्रोस्कोप की तरफ़ धकेले जाते …नीचे झुकते तो रंग बिरंगी तितलिया सी नज़र आती ……..सारे कोड- वर्ड धरे धरे के रह जाते , इतने मे घंटी बजती ओर हमे अगली  स्लाइड पर हमे जिबह किया जाता ……हम अभी उन रंगो मे उलझ रहे होते ,की बराबर से रोल नंबर दो की श ..श ..श .श सुनाई पड़ती . वे महाशय पूछ रहे होते की क्या है? हम उन्हें ठंडी आंखो से घूरते ओर अगली  स्लाइड पर फ़िर हमारी बलि चडायी जाती.......बाहर आकर  रोल नंबर दो हमसे लड़ते “साले तुने बताया नही ”. हम उन्हें क्या कहते ?कुछ समझ मे आता तो बताते .बस बाहर आकर हम ठंडी साँस भर करकर अक्सर यही कहते की ‘ये  एल्फा बेटिकल तरीके से  तरीके से  रोल नंबर देने की परिपाटी गलत है
”(हमारी आवाज़ कभी नही सुनी गई ……आज भी कही किसी रोल नो १ की कही किसी जगह कोई शहादत हो रही होगी )...............
यूं तो हमने इसके लिए भी एक जुगाड़ ढूँढा हमारे एक ट्यूटर थे जिन्हें  अंडर - ग्रेज्युवेट सेसहानुभूति   रहती थे (वैसे इस कौम से सबको रखनी चाहिए )  तो तय हुआ की के साइड के दरवाजे से एक पर्ची सरकायेंगे जिसमे १ से १० तक रखी गई माइक्रोस्कोप की स्लाइड का  अंसर लिखा होगा। खैर एक्साम शुरू हुआ ,पर्ची हमारे हाथ आई ,बतोर इंटरल- इक्जाम्नर पटेल साहब थे  ....,सज्जन पुरूष थे ६ नंबर की स्लाइड पर वे खड़े थे ,ज्योंही हम पहुँच कर लिखने लगे .......वे थोड़ा नीचे झुके ओर दूसरी ओर मुह करके धीमे से बोले "अबे पहले माइक्रोस्कोप मे तो झांक ले"........



भगवान उनको  हेड ऑफ़ दी डिपार्टमेंट  बनाये........

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