गाड़ी चलाते फोन बजता है तो उठाता हूँ, "तुने सुना "उधर से मेरा दोस्त है.....
"नही यार अभी वक़्त नही मिल पाया "
... अमेरिका से उसने कोरियर करके एक सी .डी भेजी है .... साथ मे एक ख़त भी ...अब ख़त मिलना बहुत भला सा लगता है....लिखा है .रात के ३ बजे लिख रहा हूँ ...आज अचानक यहाँ एक स्टोरसे कुछ " रेयर" मिला है ... मालूम है तेरी पसंद के है "रंजिश ही सही .......मेहंदी हसन की आवाज मे भी है ओर अख्तर की भी.....slow वर्सन मे भी है ओर तेरा पसंदीदा "रात भर आपकी याद आती रही "भी है......मैं पढ़कर मुस्कराता हूँ उन दिनों मैं उसे लेकर कितना दौडा था इस गाने को ढूँढने के लिए अपनी यामहा पर ......
तब वो कैनी रोजर्स या दूसरे कंट्री सोंग्स सुना करता था ...झुंझला गया था ,"क्या है इस गाने मे . ? अब बदल गया है ...कितने किलोमीटर गाड़ी चला कर जगजीत का कन्सर्ट सुनने जाता है.....पिछले १० दिनों मे उसका तीसरा फोन है.....रात को १.३० बजे मोबाइल बज रहा है....... वही है...... "सुना "
मैं जवाब नही देता हूँ....
तू बदल गया है साले ...
वो फोन रख देता है....नाराज है......
वाकई जिंदगी हमे बदल रही है.....
मसलसल भागती ज़िंदगी मे
अहसान -फ़रामोश सा दिन
तजुर्बो को जब
शाम की ठंडी हथेली पर रखता है
ज़ेहन की जेब से
कुछ तसव्वुर फ़र्श पर बिछाता हूँ
फ़ुरसत की चादर खींचकर,
उसके तले पैर फैलाता हूँ
एक नज़्म गिरेबा पकड़ के मेरा
पूछती है मुझसे
"बता तो तू कहाँ था?
"नही यार अभी वक़्त नही मिल पाया "
... अमेरिका से उसने कोरियर करके एक सी .डी भेजी है .... साथ मे एक ख़त भी ...अब ख़त मिलना बहुत भला सा लगता है....लिखा है .रात के ३ बजे लिख रहा हूँ ...आज अचानक यहाँ एक स्टोरसे कुछ " रेयर" मिला है ... मालूम है तेरी पसंद के है "रंजिश ही सही .......मेहंदी हसन की आवाज मे भी है ओर अख्तर की भी.....slow वर्सन मे भी है ओर तेरा पसंदीदा "रात भर आपकी याद आती रही "भी है......मैं पढ़कर मुस्कराता हूँ उन दिनों मैं उसे लेकर कितना दौडा था इस गाने को ढूँढने के लिए अपनी यामहा पर ......
तब वो कैनी रोजर्स या दूसरे कंट्री सोंग्स सुना करता था ...झुंझला गया था ,"क्या है इस गाने मे . ? अब बदल गया है ...कितने किलोमीटर गाड़ी चला कर जगजीत का कन्सर्ट सुनने जाता है.....पिछले १० दिनों मे उसका तीसरा फोन है.....रात को १.३० बजे मोबाइल बज रहा है....... वही है...... "सुना "
मैं जवाब नही देता हूँ....
तू बदल गया है साले ...
वो फोन रख देता है....नाराज है......
वाकई जिंदगी हमे बदल रही है.....
मसलसल भागती ज़िंदगी मे
अहसान -फ़रामोश सा दिन
तजुर्बो को जब
शाम की ठंडी हथेली पर रखता है
ज़ेहन की जेब से
कुछ तसव्वुर फ़र्श पर बिछाता हूँ
फ़ुरसत की चादर खींचकर,
उसके तले पैर फैलाता हूँ
एक नज़्म गिरेबा पकड़ के मेरा
पूछती है मुझसे
"बता तो तू कहाँ था?