सीधी साधी सपाट चलती जिंदगी के किसी मोड़ पर मिले कुछ इत्तेफाक बहुत खूबसूरत होते है ,इन इत्तेफाको से कई लम्हे उधार मिलते है .... ये लम्हे कभी बारिश की बूंदों से लिपटे होते है .. कभी आसमान से झुककर नीचे झांकते है .......वो ना शायर था ना कोई दीवाना .......पर अक्सर होस्टल की छत की सबसे ऊँची मुंडेर पर लेटकर सिगरेट के कश भरता ओर देर तक चाँद को निहारा करता ...कई बार बारिशो में खींच कर ले जाता ....बदली वाले चाँद से उसे खासी मुहब्बत थी .......आज कल अमेरिका मे है ....
देर रात जब मोबाइल बजा .... छत पर घूमते घूमते नजर आसमान पर पड़ी....वही बदली वाला चाँद वहां खड़ा था.....
देर रात जब मोबाइल बजा .... छत पर घूमते घूमते नजर आसमान पर पड़ी....वही बदली वाला चाँद वहां खड़ा था.....
रोज शब
खींच कर लाते है परिंदे
ओर उठाकर
टांग देते है
आसमान के सीने में
आसमान के सीने में
मुआ चाँद
फ़िर सारी रात सताता है