कुछ प्यादे है
जात के
कुछ प्यादे है
धर्म के
कब आगे बढ़ेगे
नही जानते
इस खेल के
नियम नही
कही भी खेलो
जैसे भी
कैसे भी खेलो
तय है
दोनो सूरतो मे
वे जीतेंगे
प्यादा ही हारेंगा
फिर भी
ये खेल है
व्यवस्था का
जिसमे खेलने वाले
बदलते है
प्यादे वही है
हम तुम
देश हारता है
हारने दो
धर्म तो जीतेंगा
जात भी
इंसान हारता है
हारने दो
घ्र्णा तो जीतेंगी
अविश्वास भी
कितने प्यादे है
क़तार मे
क़वायद जारी है
खेल की........