Thank you god for the world so sweet
सार्दियो में शाम जैसे कम्पलीमेंटरी मिलती है, दिन का मूड हुआ तो दे दी. उस रोज शाम की अब्सेंट दर्ज है. जनवरी की कोई रात है. रेफेरेंस देखकर लौटते वक़्त मोबाइल बजा है. मेडिकल कॉलेज के बाहर अपनी गाडी में मेरा दोस्त है .अमूमन एक शहर में होकर भी आप कम मिलते है .अपने- अपने हिस्से की मसरूफियत के वास्ते .उस दिन इत्तेफाक से मिले है . शायद वो भी कोई रेफरेंस देखकर लौट रहा है . उसकी गाडी में हमेशा एक सिगरेट रहती है .पिछले कुछ सालो से मेरी छूट गयी है .गाहे बगाहे होती है .गेट से थोडा हटकर एक कोने में हम दोनों किसी पेशेंट के मुताल्लिक गुफ्तगू में उलझे है.
उसकी पीठ पीछे मेडिकल से एक स्ट्रेचर बाहर आ रहा है .दो लोग हाथ में उठाने वाले स्ट्रेचर पर किसी शरीर को ला रहे है . पीछे वाला एक आंख से आंसू पोछता है. फिर स्ट्रेचर संभालता है साथ में कम्बल लपेटे एक बूढ़ा. है सर झुकाए रोती बिलखती दो औरते ,पीछे नंगे पैरो चलते दो बच्चे नज़दीक ,नज़दीक . आगे वाले की आंखे लाल है .कोई सूखा नशा है शायद ,स्वेटर के नीचे से झांकती .शर्ट अस्पताल का नुमाइंदा है .एक बैलगाड़ी में डली चारपाई शरीर को वहां लिटा दिया गया है औरतो का रोना जारी है.
सड़क पर कोई बारात है .बाराते आहिस्ता -आहिस्ता चलती है , लगभग एक सी शक्ल लिए . सूखे नशे वाला रुक गया है ,जाने क्यों शरीर को देखता है ,फिर बूढ़े को फिर .एक ओर कोने में जाकर अपने हाथो में कुछ मलने लगा है . पीछे वाला कुछ देर उसे देखता है फिर खाली स्ट्रेचर धकेलता आंसू पोछता वापस अस्पताल की ओर जा रहा है.शायद जमा करने .बूढ़ा वही घुटनों में सर डाले बैठ गया है .बारात ओर नजदीक आ गयी है. आहिस्ता -आहिस्ता सड़क पर एक्सपेंड हो गयी है . हम दोनों के बीच संवाद में जैसे पॉज़ आ गया है .उसने सिगरेट सुलगा ली है .साथ चलते जनरेटर के शोर में सिक्के हवा में उछालते है ,फिर छन्न से सड़क पे बिखर जाते है ,अनजाने चेहरों का समूह उठाने के लिए टूट पड़ा है उनकी नज़र बचाकर अपनी मस्त चाल से चलता हुआ एक सिक्का ठीक बुग्गी के पहिये के पास कुछ देर घूम कर ठहरा है. बुग्गी पे बैठा बच्चा एक नज़र बारात की ओर देखता है. दूसरी बूढ़े की ओर ,बूढ़े का सर अब भी घुटनों में है ,कुछ सेकण्ड ......
वो नीचे झुक कर सिक्का उठाता है.
"सिगरेट पियेगा' ...मेरा दोस्त मुझसे पूछ रहा है .
बैंड का वाल्यूम बढ़ गया है .....