स्कूल की छुट्टी के वक़्त माँ गेट पर खड़ी है कुछ कुछ तैयार सी। रिक्शे में वो मुझे अपने साथ लाये परांठे खिलाती है और याद दिलाती है मैंने कब "गुड आफ्टरनून" बोलना है । रिक्शा दूर तक चलता है माँ ने मेरी कंघी कर दी है और गीले रुमाल से मेरा मुंह भी साफ़ कर दिया है।
ये बड़ा सा स्कूल है जिसके गेट के बाहर दो चौकीदार है ड्रेस में । बड़ी मुश्किल से वो हमें अंदर जाने देते है । उस स्कूल में सब कुछ साफ़ सुथरा है । रंग बिरंगे गमले। माँ प्रिंसिपल से मिलना चाहती है । कोई हमें ऑफिस के बाहर बेंच पर बैठने को कहता है । हम देर तक बैठे रहते है फिर कुछ देर बाद एक आदमी आकर कहता है
"कल मिलेगे"
हम तीन दिन तक रोज यही करते है । माँ रस्ते में मुझे "गुड आफ्टरनून "बोलना याद कराती है और रोज कंघी करती है । हम रोज बिना मिले वापस आ जाते है ।
दादी नाराज है, दादी हमेशा माँ से नाराज रहती है । माँ को कितना कहती है पर माँ कभी कुछ नहीं कहती पापा से भी शिकायत नहीं करती । पर दादी रोज पापा से शिकायत करती है । दादी कहती है वो स्कूल महंगा है दूर भी है । पांचवे दिन प्रिंसिपल सर मिल जाते है ।
मैं उन्हें "गुड आफ्टरनून "कह देता हूँ । माँ उनसे कुछ रिक्वेस्ट कर रही है वे मना कर रहे है ।मां मेरे पुराने स्कूल के रिजल्ट एक फ़ाइल में रखकर लायी है । वे कुछ देर उन्हें देखते है फिर कुछ सवाल पूछते है ।मैं सबके जवाब दे देता हूँ । वे घंटी बजाकर किसी को बुलाते है । माँ दूसरे ऑफिस में मुझे ले जाती है । मैं बाहर बोर्ड पर लिखे इंग्लिश के कोटेशन पढ़ने लगा हूँ । माँ उन अंकल से बात कर रही है । कितना साफ़ सुथरा और बड़ा बड़ा लिखा है ना। रिक्शे से लौटते वक़्त माँ किसी किताब की दूकान पर रुकी है ।उन्होंने कुछ किताबे ली है ।अगले हफ्ते मेरा टेस्ट है ।रात को माँ को नयी किताबो में उलझा देखता हूँ । सुबह मेरे उठने से पहले माँ रोज उठ जाती है पर आज टेबल पर किताबे खुली पड़ी है । दो दिन तक माँ की डांट पढ़ने पर पड़ती है । दादी माँ को पढ़ने पर क्यों डांटती है । मैं सोच रहा हूँ माँ सोती कब है ।
दो दिन बाद माँ मुझे नया नया सब सिखाती है । मेरी पसंद की खीर भी बनाती है और आलू शिमला मिर्च की सब्जी भी । अगले हफ्ते मैं स्कूल से छुट्टी लेकर दूसरे स्कूल में टेस्ट देंने जाता हूँ । सारे सवाल मुझे आते है । दो दिन बाद माँ फिर मुझे स्कूल में लेने आई है । सबके सामने मेरा माथा चूमती है । मेरा नए स्कूल में एडमिशन हो गया है ।
माँ आज बहुत खुश है ।
माँ जब खुश होती है तो कितना अच्छी दिखती है
यकीनो के ग्राफ्स
इंजियरिंग कॉलेज में मेरा चौथा समेस्टर है । कुछ दिनों से पीठ में दर्द है ,दर्द अब बढ़ने लगा है
एक रोज सुबह मुझसे उठा नहीं जाता । पापा मुझे लेने आये है । कितने टेस्ट ,कितने एक्स रे। डॉ कहते है मुझ अब बिस्तर पर प्लास्टर के साथ रहना पड़ेगा।दादी रो रही है । मैं बिस्तर पर हूँ । सारा दिन लेटा रहता हूँ ।माँ कुर्सी पर मेरे सामने बैठकर गीता पढती है । सारा दिन गीता पढ़ती है
कभी कभो मेरे आंसू निकलते है तो पोंछ देती है । अब वो कुछ श्लोको का अर्थ भी समझाने लगी है ।
दिन रात जब भी आँख खुलती है माँ को कुर्सी पर बैठा पाता हूँ ।माँ मेरी पंसन्द की खीर भी बनाती है ,ताई जी ,बुआ जब मेरे आगे रोती है के मैं अब ठीक नहीं हूँगा माँ उनसे झगड़ पड़ती है । दो महीने बीत गए है ऐसा लगता है मैं बरसो से हिला नहीं हूँ ।मैं माँ से पूछता हूँ क्या मैं ठीक नहीं हूँगा
माँ मुस्करा देती है और कलेंडर की तारीख पर लगा लाल निशान दिखा देती है । वो मेरे पैरो की उंगलियो की मालिश करती है और हाथो को कई बार उठवाती है ।
कलेंडर की तारीखे रुक गयी है ।माँ नया रेडियो लेकर आई है ।बी .बी .सी से लेकर सब स्टेशन पूछ कर लगाती है । ताई और बुआ को मैंने कई रोज से घर पर नहीं देखा। दादी माँ को उसी के लिए कुछ कह रही है ।
इतने सालो में पहली बार माँ ने दादी को कुछ कहा है ।
माँ ने कई सारी किताबे इकठ्ठी कर ली है ।रोज एक कहानी उसमे से सुनाती है । सच्ची कहानी । हिम्मतो की कहानी ।
"जब ठीक हो जायूँगा माँ तो तेरी भी कहानी मैं लोगो को सुनाऊंगा" मैं माँ से कहता हूँ ।
माँ बस मुस्करा देती है । पापा इन दिनों खामोश से हो गए है ।आजकल मेरी आँखों में देखते नहीं ।जब आँखे बंद कर लेटा रहता हूँ तब मेरे पैर सहलाते रहते है । एक रोज मुझे सोया जान कर चुप चुप रोते है माँ से पूछते है "मेरा बच्चा ठीक भी होगा "
माँ उन्हें भी संभालती है ।
मैं बिस्तर में पडा रोता हूँ।
अगले रोज माँ अपनी दोनों टाँगे खोये पाइलट की कहानी मुझे सुनाती है ।उसने अपनी आर्टिफिशियल टांगो से दोबारा फाइटर प्लेन उड़ा लिया है ।उसकी लंबी कहानी को माँ एक सीटिंग में सुना देती है । कई दिनों बाद मुझे अपनी रीढ़ की हड्डी में सरसराहट महसूस होती है ।
रात को मेरी आँख खुलती है ।
माँ मैं कुर्सी पर सोई माँ को आवाज देता हूँ ।
वही कहानी वापस सुनाओगी
आधी रात माँ वही कहानी वापस सुनाती है ।
कलेंडर की कई तारीखों बाद मैं अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ ।
______________
इतने सालो बाद डॉ कहते है उन्हें पार्किंसंस हो गया है ।मैं मेडिकल साइंस की गलियो में उम्मीदे ढूंढ रहा हूँ । मै माँ के लिए कुछ करने को छटपटा रहा हूँ
मैं माँ को गीता सुनाने बैठा हूँ।
(एक दोस्त की ज़िन्दगी से , असल ज़िन्दगी से ,बिना उसकी इज़ाज़त के )
ये बड़ा सा स्कूल है जिसके गेट के बाहर दो चौकीदार है ड्रेस में । बड़ी मुश्किल से वो हमें अंदर जाने देते है । उस स्कूल में सब कुछ साफ़ सुथरा है । रंग बिरंगे गमले। माँ प्रिंसिपल से मिलना चाहती है । कोई हमें ऑफिस के बाहर बेंच पर बैठने को कहता है । हम देर तक बैठे रहते है फिर कुछ देर बाद एक आदमी आकर कहता है
"कल मिलेगे"
हम तीन दिन तक रोज यही करते है । माँ रस्ते में मुझे "गुड आफ्टरनून "बोलना याद कराती है और रोज कंघी करती है । हम रोज बिना मिले वापस आ जाते है ।
दादी नाराज है, दादी हमेशा माँ से नाराज रहती है । माँ को कितना कहती है पर माँ कभी कुछ नहीं कहती पापा से भी शिकायत नहीं करती । पर दादी रोज पापा से शिकायत करती है । दादी कहती है वो स्कूल महंगा है दूर भी है । पांचवे दिन प्रिंसिपल सर मिल जाते है ।
मैं उन्हें "गुड आफ्टरनून "कह देता हूँ । माँ उनसे कुछ रिक्वेस्ट कर रही है वे मना कर रहे है ।मां मेरे पुराने स्कूल के रिजल्ट एक फ़ाइल में रखकर लायी है । वे कुछ देर उन्हें देखते है फिर कुछ सवाल पूछते है ।मैं सबके जवाब दे देता हूँ । वे घंटी बजाकर किसी को बुलाते है । माँ दूसरे ऑफिस में मुझे ले जाती है । मैं बाहर बोर्ड पर लिखे इंग्लिश के कोटेशन पढ़ने लगा हूँ । माँ उन अंकल से बात कर रही है । कितना साफ़ सुथरा और बड़ा बड़ा लिखा है ना। रिक्शे से लौटते वक़्त माँ किसी किताब की दूकान पर रुकी है ।उन्होंने कुछ किताबे ली है ।अगले हफ्ते मेरा टेस्ट है ।रात को माँ को नयी किताबो में उलझा देखता हूँ । सुबह मेरे उठने से पहले माँ रोज उठ जाती है पर आज टेबल पर किताबे खुली पड़ी है । दो दिन तक माँ की डांट पढ़ने पर पड़ती है । दादी माँ को पढ़ने पर क्यों डांटती है । मैं सोच रहा हूँ माँ सोती कब है ।
दो दिन बाद माँ मुझे नया नया सब सिखाती है । मेरी पसंद की खीर भी बनाती है और आलू शिमला मिर्च की सब्जी भी । अगले हफ्ते मैं स्कूल से छुट्टी लेकर दूसरे स्कूल में टेस्ट देंने जाता हूँ । सारे सवाल मुझे आते है । दो दिन बाद माँ फिर मुझे स्कूल में लेने आई है । सबके सामने मेरा माथा चूमती है । मेरा नए स्कूल में एडमिशन हो गया है ।
माँ आज बहुत खुश है ।
माँ जब खुश होती है तो कितना अच्छी दिखती है
यकीनो के ग्राफ्स
इंजियरिंग कॉलेज में मेरा चौथा समेस्टर है । कुछ दिनों से पीठ में दर्द है ,दर्द अब बढ़ने लगा है
एक रोज सुबह मुझसे उठा नहीं जाता । पापा मुझे लेने आये है । कितने टेस्ट ,कितने एक्स रे। डॉ कहते है मुझ अब बिस्तर पर प्लास्टर के साथ रहना पड़ेगा।दादी रो रही है । मैं बिस्तर पर हूँ । सारा दिन लेटा रहता हूँ ।माँ कुर्सी पर मेरे सामने बैठकर गीता पढती है । सारा दिन गीता पढ़ती है
कभी कभो मेरे आंसू निकलते है तो पोंछ देती है । अब वो कुछ श्लोको का अर्थ भी समझाने लगी है ।
दिन रात जब भी आँख खुलती है माँ को कुर्सी पर बैठा पाता हूँ ।माँ मेरी पंसन्द की खीर भी बनाती है ,ताई जी ,बुआ जब मेरे आगे रोती है के मैं अब ठीक नहीं हूँगा माँ उनसे झगड़ पड़ती है । दो महीने बीत गए है ऐसा लगता है मैं बरसो से हिला नहीं हूँ ।मैं माँ से पूछता हूँ क्या मैं ठीक नहीं हूँगा
माँ मुस्करा देती है और कलेंडर की तारीख पर लगा लाल निशान दिखा देती है । वो मेरे पैरो की उंगलियो की मालिश करती है और हाथो को कई बार उठवाती है ।
कलेंडर की तारीखे रुक गयी है ।माँ नया रेडियो लेकर आई है ।बी .बी .सी से लेकर सब स्टेशन पूछ कर लगाती है । ताई और बुआ को मैंने कई रोज से घर पर नहीं देखा। दादी माँ को उसी के लिए कुछ कह रही है ।
इतने सालो में पहली बार माँ ने दादी को कुछ कहा है ।
माँ ने कई सारी किताबे इकठ्ठी कर ली है ।रोज एक कहानी उसमे से सुनाती है । सच्ची कहानी । हिम्मतो की कहानी ।
"जब ठीक हो जायूँगा माँ तो तेरी भी कहानी मैं लोगो को सुनाऊंगा" मैं माँ से कहता हूँ ।
माँ बस मुस्करा देती है । पापा इन दिनों खामोश से हो गए है ।आजकल मेरी आँखों में देखते नहीं ।जब आँखे बंद कर लेटा रहता हूँ तब मेरे पैर सहलाते रहते है । एक रोज मुझे सोया जान कर चुप चुप रोते है माँ से पूछते है "मेरा बच्चा ठीक भी होगा "
माँ उन्हें भी संभालती है ।
मैं बिस्तर में पडा रोता हूँ।
अगले रोज माँ अपनी दोनों टाँगे खोये पाइलट की कहानी मुझे सुनाती है ।उसने अपनी आर्टिफिशियल टांगो से दोबारा फाइटर प्लेन उड़ा लिया है ।उसकी लंबी कहानी को माँ एक सीटिंग में सुना देती है । कई दिनों बाद मुझे अपनी रीढ़ की हड्डी में सरसराहट महसूस होती है ।
रात को मेरी आँख खुलती है ।
माँ मैं कुर्सी पर सोई माँ को आवाज देता हूँ ।
वही कहानी वापस सुनाओगी
आधी रात माँ वही कहानी वापस सुनाती है ।
कलेंडर की कई तारीखों बाद मैं अपने पैरो पर खड़ा हो गया हूँ ।
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इतने सालो बाद डॉ कहते है उन्हें पार्किंसंस हो गया है ।मैं मेडिकल साइंस की गलियो में उम्मीदे ढूंढ रहा हूँ । मै माँ के लिए कुछ करने को छटपटा रहा हूँ
मैं माँ को गीता सुनाने बैठा हूँ।
(एक दोस्त की ज़िन्दगी से , असल ज़िन्दगी से ,बिना उसकी इज़ाज़त के )