2016-07-31

December notes part one


"वो खूबसूरत थी और इसे बात का इल्म भी था ,हर खूबसूरत शख्स को होता है। हमारे कॉलेज की छुट्टी उसके कॉलेज से कुछ पहले होती थी, उस मोड़ पर उसके आने के वक़्त से कुछ देर पहले मै वहां पहुँच जाता ,वो जानती थी मै वहां उस कोने में किसलिए खड़ा हूँ ! उस उम्र में इतनी तवज़्ज़ो अच्छी लगती है!
वो इस तवज़्ज़ो को एक्नॉलेज करती और तिरछी आँखों से मुझे देखते हुए मुस्कराते अपनी सहेलियों के साथ निकल जाती।
कुछ आँखों को काजल बहुत फबता है ! उसकी आँखे उसके चेहरे में सबसे ज्यादा बोलती थी, मै उन आँखों के लिए 5 किलोमीटर साइकिल चला कर रोज वो कोना पकड़ता "
वो ,चाय के घूँट भरता है उसका यूँ " पॉज़ "लेना मुझे खलता है ! मैंने इस दौरान एक इमेजनरी स्केच खींच लिया है।
फिर ?
"उस रोज मै थोड़ा पहले पहुँच गया था ,मेरी साइकिल में पंक्चर भी था ,मै कोने से थोड़ा पहले पंक्चर वाले से पंक्चर लगवा रहा था। अचानक वो आती दिखी अपनी सहेलियों के साथ ,उस रोज उनके ग्रुप में कोई एक लड़की और थी ,जिसके पैरो में उतनी चुस्ती नहीं थी वो एक हाथ से अपने एक पैर को दबाती फिर आगे कदम बढ़ाती । वो पीछे रह गयी थी ,ऐसा लगा जैसे वो उन्हें आवाजे दे रही थी के वे अपने कदम थामे ,पर आगे वाली लड़की जैसे सुन नहीं रही थी। मै एक खम्भे की ओट में था। उस एक पॉइंट पर सड़क एक सी नहीं थी सो पीछे रह गयी वाली लड़की जैसे बेलेंस संभाल नहीं पायी और गिर पड़ी !
आगे वाली तीनो लडकिया जोर से हंसी ,वो भी , उसने अपनी दोनों सहेलियों से कुछ कहा और उसके हँसते हँसते मेरी उसकी आँखे मिली !
उस रोज पहली दफा उसकी आँखे मुझे खूबसूरत नहीं लगी !
उस दिन के बाद से मै कभी उस मोड़ पर दोबारा नहीं गया !"
वो फिर कुछ सेकण्ड के लिए खामोश हो गया है ! अपनी चाय का आखिरी घूँट भरता है
मेरी चाय भी ख़त्म हो गयी है !
"अजीब बात है ना फकत एक सेकण्ड में आदमी आपके दिल से उतर जाता है ,फकत एक सेकण्ड में " नहीं मालूम वो मुझसे पूछ रहा है के बता रहा है !
मुझे सिगरेट की तलब लगी है !
दिसंबर के पास कई तजुर्बे है








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