2019-02-04

कोई क्यों होता है अपने जैसा ! क्या उसके इख़्तियार में होता है वैसा होना !!


तुम्हारी हंसी की आमद मेरी ज़िंदगी में पहले हुई थी .तुम्हारी हंसी उजली थी उसमे एक खनक थी। पोस्ट ऑफिस के बाहर तुम रेड स्कर्ट में अपनी सहेलियों के साथ खड़ी थी मै एडमिशन की फोर्मल्टी करने के लिए कुछ फॉर्म भरने और कुछ टिकट खरीदने आया था। कमर तक लम्बे बाल और तुम्हारे चश्मे की रेड फ्रेम , सब कुछ तो खूबसूरत था।
तीन दिन बाद सबसे अगली बेंच पर संजीदगी से नोट्स बनाती लड़की को देखा तो हैरानी और ख़ुशी हुई ,
तुम मेरे बैच में थी !
तुममे में बस एक ऐब था !
तुम पढ़ने में अव्वल थी !
बेहद संजीदा !
मेरी फितरत में आवारगी थी। सलीके की कभी आदत नहीं रही हॉस्टल की सोहबत ने कुछ और हुनर जोड़ दिए । मै शायद तुम्हारे लिए "अननोटीसेबल " था  .मै तुम्हारे ड्रेसिंग सेन्स का कायल था। उसने मेरा फलसफा तोडा था के ज्यादा पढ़ने लिखने वाली लड़किया फैशनेबल नहीं होती। तुम अपने आप को एलीगेंटली कैरी करती ! एक दफा सेकण्ड ईयर में पैथॉलजी लैब में तुम्हे इतना नजदीक पाकर मै नर्वस हो गया था ,तुम्हारे कानो में बड़े बड़े गोल ईयर रिंग थे। मै उन ईयर रिंग से बचने के लिए नीलम से सवाल पूछने लगा था !
और उस रोज हॉल में पहुँचने से पहले मैंने और रोशन ने धड़ाधड़ कई सिगरेट फूंक डाली थी। भागते दौड़ते हम अँधेरे में पहुंचे ,खाली सीटों में किसी तरह पहुँचने तक मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी थी ,मुझे तुम्हारी बगल में बैठना था
या खुदा !
नीलम ने एक दफे कहा था तुम्हे "सिगरेट" की स्मेल से "एलर्जी "है और मेरी जैकेट में सिगरेट जैसे उस रोज बसी हुई थी। मैंने रोशन को लगभग उस सीट की और धकेला था। तुम्हे शायद उस स्मेल ने परेशान कर दिया था ! तुम कितनी देर तक अनमनी सी रही। मुझे एक दो दफा गुस्से से देखा था
मै तुम्हारे लिए अब भी "अननोटीसेबल" शै था !
मै अपनी हदे जानता था !

उस रोज शदीद बारिश थी ,सुबह से गिरनी शुरू हुई थी। मै सिगरेट लेकर लौट रहा था ! तुम अपने स्कूटी के साथ खड़ी थी .तुमने ब्लैक सूट पहना हुआ था। उस पर वो लाल दुपट्टा जिस पर तुम कभी कभी बिंदी लगाती थी ,बड़ी सी !बड़ी बिंदिया मुझे पसंद थी ,अब भी है !
इत्तेफाकों के शायद कुछ सबब होते हो। जाने क्यों मै रुक गया था।
तुम्हारी स्कूटी को चेक करने !
मैंने बस यही दुआ की थी के ये स्कूटी स्टार्ट ना हो !
उस रोज खुदा मेरे साथ था
स्कूटी स्टार्ट नहीं हुई। मैंने तुम्हे हॉस्टल तक छोड़ने का ऑफर किया था
मैंने आहिस्ता आहिस्ता मोटर साइकिल चलायी थी मै उस लम्हे को जैसे रोक देना चाहता था !तुम पूरा भीग गयी थी ,बैठे हुए काँप रही थी शायद तुम्हे ठण्ड लग गयी थी मै तुम्हे महसूस कर सकता था मुझे अफ़सोस हुआ के मैंने खामखां तुम्हे बारिश में रोक के रखा ! हॉस्टल पहुंचकर भी तुम एक मिनट तक बाइक से उत्तरी नहीं तुम काँप रही थी।
हॉस्टल की उस चारदीवारी से मै कैसे बेदम होकर निकला था उस रोज !
अपने रूम में पहुंचकर अहसास हुआ मेरा सिगरेट का पैकेट तुम्हारे पास रह गया है। तुम्हे सिगरेट से कितनी नफरत थी
उस रात मै देर तक सोया नहीं था क्या सोचती होगी तुम मेरे बारे में
सुबह आँख देर से खुली थी रोशन मुझे उठाने आया था स्टेशन तक छोड़ने के लिए ! पापा को पैरालिटिक अटैक पड़ा था अगला एक महीना हॉस्पिटल और उसके बाद के दो महीने तकलीफ देह थे। पापा कुछ बोल नहीं पाते थे इशारो से बात करते थे। यूँ तो घर का बड़ा बेटा पहले भी था पर अचानक से बड़ा हो गया था। मां एक दम उदास हो गयी थी ,छोटी भी अचानक से सहम गयी थी ,मुझसे लड़ना छोड़ दिया था। पापा की वजह से मैंने पूरी इंटर्नशिप इसी शहर में लेने की रिकवेस्ट डाली जो खास केस की वजह से मंजूर हो गयी थी।
तकरीबन दस महीने बाद हम नार्मल हुए थे जब पापा बोलने और बिना सहारे के चलने लगे थे। चाचा के यू इस ए से के लगातार कई फोन से मुझसे पहले पापा कनविंस हुए थे। मैंने यू इस एम् ली दी थी। तुम्हारे बारे में दो चार लोगो से दरयाफ्त किया था। किसी ने बताया तुम भोपाल में हो ,कम्पीटिशन की तैयारी में हो। तुम्हार फोन भी हासिल हुआ था पर कभी कर नहीं पाया!
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आज यहाँ शदीद बारिश है ,सुबह से गिर रही है ! अपने वतन से दूर रहने वाले कुछ बाशिंदो ने एक रेडियो चैनल बनाया है। कार में हूँ ,रोजाना 25 किलोमीटर ड्राइव करता हूँ। अरिजीत सिंह जैसे रकीब बन गया है।
"जान जाती है जब उठकर जाते हो तुम
एक तलब सी सीने में उठी है !
तुम बेसबब याद आयी हो !
मैंने कार को किनारे लगा दिया है सिगरेट ढूंढ रहा हूँ।
कोई किसी को चूम रहा है !
"खुदा तुम्हे खुश रखे "


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कोई क्यों होता है अपने जैसा ! क्या उसके इख़्तियार में होता है वैसा होना !!
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तुम बेतरतीब बालो में अच्छे लगते थे ,जब कभी उन्हें तरतीब करके क्लास में आते मेरा मन करता उन्हें बिखेर दूँ। खास तौर से ग्रीन सी वो बढ़ी दाढ़ी तुम पर सूट होती। तुम पर क्या फबता है तुम्हे इल्म नहीं था ना तुम्हारे दोस्त तुम्हे कभी बताते। तुम्हारी डार्क ब्लू शर्ट भी मुझे पसंद थी। पता नहीं तुम मुझसे इतना खौफ क्यों खाते थे। एक दफा सेकंड ईयर में पैथोलॉजी स्लाइड्स देखते वक़्त तुम मेरी बगल में थे फिर भी बाबत नीलम से पूछा। नीलम को कभी कुछ मालूम था ,वो मुझसे पूछती फिर तुम्हे बताती। मै भी बेवकूफो की तरह उसके सवालों का जवाब देती रही। गुस्सा तो बहुत आया था। दूसरी मर्तबा हमारी पूरी क्लास फाइनल इयर में मूवी देखनी गयी थी। तुम्हारी सीट से इत्तेफ़ाक़ से मेरे बगल में आयी थी। मुझे बैठा देख तुम जैसे हड़बड़ा गए थे फिर तुमने रोशन को मेरे बराबर में बैठा दिया था। 
रोशन जिसे लगता था क्लास की सारी लड़किया उस पर मरती है। । मेरा सारा मूड ख़राब हो गया था ,सर दर्द में मैंने वो मूवी देखी थी। गुस्सा इतना आ रहा था के तुम्हारे कॉलर पकड़ कर झापड़ रसीद कर दूँ "समझते क्या हो तुम अपने आप को "
मैंने तय कर लिया था तुम्हे अब इग्नोर करुँगी। वैसे भी मेरे अलावा मेरे दिल का हाल कौन जानता था और तुम्हे पसंद करने वाले थे ही कितने लोग
एक वो सेकण्ड ईयर की जूनियर जो हमेशा जींस पहने रहती ऊपर से शर्ट का पहला बटन खुला रखती। हाँ मानती हूँ वो स्मार्ट थी पर उसमे अक़्ल कितनी थी !
उस शहर में बारिश बहुत होती थी पर उस रोज उसके मिज़ाज़ से ज्यादा हुई थी कॉलेज के अंदर आते वक़्त मेरा स्कूटी बंद पड़ गया था तुम ना जाने कहाँ से वापस आ रहे थे। अमूमन ना रुकने वाले जाने क्यों उस रोज मुझे देखा रुक गए थे स्कूटी में उलझने से पहले तुमने हिचकते हुए अपने हाथ से "सिगरेट का पैकेट" मुझे पकड़ाया था बारिश में भीगते हुए तुम मेरी स्कूटी से उलझे रहे थे !
मेरा सारा गुस्सा काफूर हो गया था
मैंने उस वक़्त दो ही दुआ की थी
एक मेरी स्कूटी स्टार्ट ना हो
दूसरी बारिश बंद ना हो
अजीब बात है ऊपर वाले ने मेरी दोनों बाते सुन ली थी।
तुमने ग्रीन कलर की टी शर्ट पहनी थी जिसमे ब्लू स्ट्रिप्स थी। कुछ देर जूझने के बाद ,
"मै आपको हॉस्टल तक छोड़ देता हूँ "तुमने कहा था
आज भी सोचती हूँ सबको "तुम" बोलने वाले तुमने मुझे "आप "क्यों कहा था
तुम मुझे पीछे बैठा कर हॉस्टल तक छोड़ने आये थे। पहली दफा मुझे अफ़सोस हुआ के कॉलेज के गेट से हॉस्टल का रास्ता इतना कम क्यों है
तुम अंदर तक छोड़ने आये थे। मै पागलो सी तुम्हारी मोटरसाइकिल रुकने के बाद भी एक मिनट तक बैठी रही थी। मैं तुम्हे "थैंक क्यू" भी नहीं कह पायी थी ! तुम्हारा सिगरेट का पैकेट मेरे हाथ में रह गया था। मुझे लगा तुम उसे वापिस लेने लौटोगे। पर तुम आये नहीं। शायद तुम्हे लगा होगा कही गिर गया है।
पता नहीं तुम कहाँ गुम हो गए थे उसके बाद !
मैंने एक हफ्ते तक वो अपने पास छिपा कर रखा था अपनी रूम मेट्स के हाथ लगने तक। उसने "स्मोकिंग" की बाबत जाने क्या क्या लेक्चर दिए थे मुझे ! उसके बाद से इंटर्नशिप शुरू थी अलग अलग जगहों पर पोस्टिंग। मैंने भी दूसरी लड़कियों की तरह घर के पास पोस्टिंग ली थी।
तुम मुझे कभी नहीं मिले !
इत्तेफ़ाक़ से भी नहीं !!
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आज भी बारिश है ! ऊपर से फरीदा खानम गा रही है "जान जाती है जब उठकर जाते हो तुम "
सचमुच जान जाती है।!
लिखने वाले ने मोहब्बत में ही लिखा होगा ,
कम्बखत बड़ी बुरी शै है !!










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