मैं उसकी हंसी से ज्यादा उसके गाल पर पड़े डिम्पल को पसंद करता हूँ । हर सुबह थोड़े वक्फे मैं वहां ठहरना चाहता हूँ । हंसी उसे फबती है जैसे व्हाइट रंग । हाँ व्हाइट मुझे ज्यादा पसंद है , व्हाइट में वो अच्छी भी लगती है खास तौर पर वो जूडा खोलती है तो मैं चाहता हूँ वो उसे पूरा दिन ना बांधे कम से कम जब तक मेरे साथ है । आपमें दफ़अतन तब्दीली नहीं आती ना उनकी आमद का पता चलता । खुले बाल जैसे जमीर का इम्तेहान लेते है । उसे बारिशें उतनी पसंद नहीं ,जितनी मुझे, उसे जुखाम हो जाता है अलबत्ता मुझे वो जुखाम में भी क्यूट लगती है । आज उसने ब्लैक पहना है वो उदास भी है और उसने जूडा भी बाँधा हुआ है गालिबन वो उदास नहीं रहती अलबत्ता जूडा जरूर बाँध कर रखती है ।वो अपनी उदासी का सबब कभी नहीं बताती ,मैं भी उससे कभी तफ्सील नहीं पूछता । मैं उसे बेवजह के बेफजूल के लतीफे सुनाता हूँ जिन पर शायद मुझे भी हंसी नहीं आती ।मुमकिन है वो मुझे संजीदगी से ना लेती हो ये भी मुमकिन है वो मेरे बारे में मेरी गैर मौजूदगी में कुछ सोचती ना भी हो । मुख्तलिफ लोग मुख्तलिफ वजहों से पसंद आते है मैं याद करने की कोशिश करता हूँ मैं उसे क्यों पसंद करता हूँ । मुझे एक जाहिर वजह समझ नहीं आती ।आज उसने ब्लू पहना है वो उसमे भी अच्छी दिख रही है ,वो आज भी उदास है सोचता हूँ उस पर एक मजमून लिखूं मेरी जबान उसे मुश्किल लगती है पर मैं चाहता हूँ आज से बीस साल बाद कोई उसे ट्रांसलेट करके उसके डिम्पल के बारे में बताये ।