2008-04-16

तजुरबो का एक ओर दिन.....


पहला तजुर्बा

(1)रोटी दाल की फ़िक्र मे गुम गये
मुफलिसी ने कितने हुनर ज़ाया किये



दूसरा तजुर्बा

(2)अहले-सियासत का इन दिनों कुदरत मे दख़ल देखिये
फ़सादो का मौसम भी अब हर साल आता है


तीसरा तजुर्बा

(३)कुछ काँटो से चुभते है
सब रिश्ते गुलाब नही होते


चौथा तजुर्बा

(४)अपनी हथेलियो को आज खोले बैठा है
रोज़ पढ़ कर जो बताता था सबका मुक्कद्दर
अब चलते चलते ........
मीडिया परेशां है की प्रियंका गाँधी नलिनी से क्यों मिली ?हर चीज़ मे राजनीति छिछोरी लगती है .एक मूवी देखि थी जिसमे एक औरत अपने पति के हत्यारे से मिलना चाहती है ओर उससे से मिलकर उसकी नफरत ओर ghrna उस व्यक्ति के लिए कम हो जाती है ,ये प्रियंका का एक बेहद निजी मामला है,जिसमे मीडिया ओर बाकि राज्नातिक पार्टियों को अपने कयास नही लगाने चाहिए .....सुना है कि मल्कोम स्पीड साहेब को कानपूर कि पिच से परेशानी है ,जरूर होगी साहेब ,ऑस्ट्रिलिया ओर साउथ अफ्रीका कि पिचो से कभी नही होगी ,टी. वी वाले रखी सावंत को फ़िर फुटेज दे रहे है.......चाय ठंडी हो रही है ...सो पी लेते है.......पता नही कल का दिन कौन से तजुर्बे लेकर आये? ओ आस्मान मे रहने वाले भगवन ......चाय वाय पीते हो या नही ?ब्रेक नही लेते क्या?

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