जब एअरपोर्ट के बाहर प्रशांत ने गाड़ी रोकी तो मैं उससे गर्मजोशी से गले मिलना चाहता था पर पीछे गार्ड की सीटिया बजने लगी तो हम दोनों ने मुस्कराते हुए हाथ मिलाया , प्रशांत मेरा सहपाठी था फिलहाल मुम्बई मे नेत्र रोग विशेषग के तौर पे प्रक्टिस कर रहा है ... दिसम्बर का महीना था ,पर मुम्बई मे मौसम महीनों की बात नही मानता है ।मेरे साथ देहरादून के एक डोक्टर थे गहरे मित्र नही थे पर हाँ इस तरह की कांफेरेंस मे अक्सर मुलाकात के बाद बेतकल्लुफ जरूर हो गए थे ,हमउम्र थे इसलिए एअरपोर्ट तक वे भी साथ आए थे ,हमे delhi आना था,पर उनकी flight इंडियन एयर लाइन से थी तो वे भी अपनी clearing के लिए अलग हो गए ,मैंने घड़ी देखी सवा घंटा बाकी था ,सन्डे होने की वजह से शायद ट्रैफिक उतना नही मिला था इसलिए उम्मीद से पहले पहुँच गए थे ।साडी औपचारिक ताये निपटा कर हमने कुछ अखबार ओर कुछ किताब खरीदने की सोचे ,एक अखबार लेकर हम किसी सीट की जुगाड़ कर बैठे अखबार मे घुस गये. "अनुराग ये तुम हो ?...आवाज सुनकर हम पलटे तो मुस्कराती हुई ,शर्ट जींस ओर कोट मे एक लेडी थी ,पहचानने की कोशिश मे मैंने अपने दिमाग के सारे घोडे खोल दिये॥नही पहचाना ....चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था पर...... "शशि " याद है ......शशि .......हरियाणा के जींद की वो दुबली पतली सी छोटी सी लड़की ,पूरी बांहों का सलवार कुरता पहने हुए ,हमेशा कोई जर्नल हाथ मे लिए हुये .आंखो मे एक अजीब सी परेशानी ओर बाल बिल्कुल चिपके हूए ... हम्म्म गाँव वाली लगती है ...चंडीगढ़ से आई हुई गोरी गोरी स्लीव लेस पहनने वाली वो लड़की अपनी सहेलियों से कहती ...तब हम कुल जमा ८ लोग थे जो सीबीएसई के अल इंडिया एक्साम से सूरत भेजे गये थे ,ओर मेरे ओर जाट के अलावा सारी लड़किया थी ,जिनमे एक हट्टी कट्टी सरदारनी थी ओर २ बिल्कुल शहरी ओर २ की सूरत हमने नही द्खी थी ,रही एक बेचारी निरीह गाय सी ये लड़की ...पिता जी के मातहत कम करने वाले किसी कर्मचारी की रिश्तेदारी मे थी इसलिए हमसे कहा गया कि उनका ध्यान रखे ....अलबत्ता उस वक़्त हम ख़ुद किसी स्थिति मे नही थे ,हॉस्टल अलौट नही हुआ था ओर मुझे ओर जाट को एक सरदार ओर उसके रूम पार्टनर के रूम मे फिलहाल किसी शरणार्थी कि तरह रात गुजरनी पड़ती थी ,जिसमे कि ये बताया गया कि सरदार के साथ रहने वाला चुपचुप गम सुम गोरा सा घुंघराले बालो वाला अंग्रेजी दा लड़का "होमो " है ,इसलिए सारी रात हम जागते हूए काटते (अलबत्ता बाद मे मालूम चला कि वे साहब १४४ i. q वाले निहायत ही सीधे सादे बन्दे है जो अपने मे फक्कड़ हाल मे रहते हूए मस्त रहते है ओर ये सब हमे यानि कि नए नए मुर्गो को डराने के लिए फैलाया गया षड़यंत्र था ) इन बातो का जाट पर तो कोई असर नही पड़ता ,पर हम अगर बाथरूम जाने के लिए भी उठते तो डर डर के ....तब हमारे पास एक बिस्तर बंद था जिसकी इजाजत सरदार जी ने अपने रूम मे लाने कि नही दी थी सो हमने इन्ही शशि के रूम मे रखवा दिया था चूँकि लड़कियों को रूम मिल गये थे .हर सुबह हमे स्टू डेंट सेक्शन के उस खडूस क्लार्क से जिराह्बजी ओर मिन्नत करनी पड़ती जिसे गुजरात से बाहर आए हूए हर सतुदेंट से कुछ खास खुन्नस थी ,हमारे कागजो मे वो रोज एक कमी निकाल देता ओर रोज हमे यूनिवर्सिटी के कई चक्कर काटने पड़ते ....रोज सुबह जब हम इन शशि के पास अपने बिस्तर-बंद से समान लेने जाते "क्लास मे नही आयोगे ? नही यूनिवर्सिटी जाना है ॥खैर हम टुकडों टुकडों मे क्लास attend करते ..कभी कभी केन्टीन मे उन हाई-फाई लड़कियों कि संगत पा लेते जिनके महंगे महंगे ड्यू कि महक अक्सर मेरी चाय मे घुल जाती ....तब शशि अक्सर लंच टाइम मे किसी जर्नल या नोट्स मे उलझी रहती ......उसके बालो ओर पहनावो पर वे अक्सर कमेंट मारती,हाँ अलबत्ता वो लम्बी चौडी सरदारनी जरूर खामोश रहती ओर शशि से भी कई बार बतियाती मिलती ....."मैं यहाँ नही रहने वाली...मैंने दूसरे स्टेशन के लिए अप्प्लिकेशन दे दी है....मुझे गाँव वालो के साथ नही रहना .....वो चंडीगढ़ अक्सर यही कहती मिलती....तुम परेशां न हो मैं तुम्हारी जर्नल पूरी कर दूँगी ?शशि को लगता मैं पढाई कि वजह से परेशां हूँ....बातो बातो मे उसने बताया कि हरियाणा का मेडिकल का रिजल्ट अभी आना बाकी है शायद उसमे उसका सेलेक्शन हो जाये.... एक हफ्ते मे हमे हमारा रूम मिल गया ,मैं ओर जाट रूम पार्टनर बन गये ....पहले ३ दिन तोमे सोता ही रहा ......फ़िर ख़बर आयी कि ४ लड़किया वापस जा रही है ,चंडीगढ़ वाली "सेक्सी" भी (जाट उसे इसी नाम से बुलाता था ) ओर शशि भी ,उसका सेलेक्शन हरियाणा मे हो गया था इसलिए वो भी जा रही थी .....तुम इन जर्नल को अपने पास रख लो ....ओर इन नोट्स को भी.....मैं बस २ मिनट के लिए उससे मिला था ,उसके पापा उसके साथ थे........
ओर आज १८ साल बाद
॥थोड़े मोटे हो गये हो ?कुछ बाल भी उड़ गये है ?उसने कहा तो मैंने मुस्करा के अपनी बालो को माथे पे खींच लिया ...बातो बातो मे पता चला कि वो आजकल अमेरिका मे है ,किसी रिसर्च फेल्लो शिप मे जुड़ी हुई ,वाही एक साउथ इंडियन से मुलाकात हुई ओर दोनों ने शादी कर ली ...फिलहाल छुट्टियों मे घर आयी है ....उसका कांफिडेंस,बातचीत करने का अंदाज ,हाथ की स्टाइलिश घड़ी कितना बदल गया है पर उसकी आंखो मे वो सच्चाई ,मासूमियत ओर गर्मजोशी अभी तक वही थी.... तब तक मेरी flight का टाइम हो गया था ,हमने सम्पर्क सूत्र लिए ....ओर मैं उससे विदा लेकर अपना बेग उठा कर आगे बढ़ा ....पीछे मुड़कर उसे देखा तो बुदबुदाया .....
पता नही सेक्सी कहाँ होगी ?