दोपहर के सूरज भी अपनी दिहाड़ी करके जैसे सुस्ताने के मकाम पे था तब नॉएडा के ग्रेट इंडियन मॉल की बसेमेंट पार्किंग मे हम दाखिल हुए ,अन्दर घुसा तो ऐसा लगा उस पांच मंजिला माल पे आपकी जुदा-जुदा ख्वाहिशो को करीने से सजा कर रखा है..........लेडिस सेक्शन के किनारे पे एक कोफ़ी शॉप ..शीशे में चमकती पेस्ट्री ...मीनाक्षी शोपिंग में बिजी है मैं ओर आर्यन वहां कुर्सियों में बैठे है.. ,उन्ही कुर्सियों के पीछे किनारे पे दो सोफे पड़े थे ,जिन्हें शायद सुस्ताने के लिए रखा गया है ,वे इस तरह से रखे गए है की उस छोटी सी कोफ़ी शॉप से थोड़ा बाहर है .........,आर्यन ने दो मिन्टो मे मुझसे १५-१६ सवाल पूछे ओर तकरीबन उस पेस्ट्री को नकार दिया ,इसलिए मैंने सैंडविच का ऑर्डर दिया ओर इंतज़ार करने लगे ... फ़िर वो नजर आई ......पिंक ड्रेस मे ,नन्हें नन्हें पैरो मे आवाज करते हुए जूते पहनकर ,उन जूतों की आवाज पूरे शोपर स्टॉप मे गूंजती जब भी वो दौड़ती पर कानो को बहुत भली लगती ......गोरी चिट्टी ..बिल्कुल परी सी .उसके कंधे पे एक पानी की बोत्तल लटकी थी ओर माथे पे बिल्कुल नन्ही सी बिंदी ..एक दम बीचों बीच .वो आर्यन की तरफ़ बढ़ी ...."..मिष्टी "पीछे से आवाज आई
," लक्ष्मी मिष्टी को देखो "....
मैंने देखा ,एक उम्रदराज सी महिला ओर एक युवती ओर एक लगभग ३० -३५ के लपेटे मे महिला थी ,अंदाजा लगाया वही मिष्टी की माँ होंगी .उस किनारे पे रखी सोफे पे से एक १३ साल की दुबली पतली सांवले से भी कुछ गहरे रंग की एक लड़की उठी ओर मिष्टी को उठाकर गोद मे ले गई , ओर उसकी माँ के बराबर मे रखी खली कुर्सी पर उसे बिठा दिया मिष्टी की शरारती आंखो से ने जैसे आर्यन से कुछ बातें की ओर दो चार मिनट बैठने के बाद फ़िर उन्ही जूतों के परिचित से आवाज गुंजी ...
."मिष्टी " ...माँ ने फ़िर खीचकर बैठा लिया ,शायद तब तक उनका ऑर्डर आ चुका था वे कुछ खाने लगे थे .....लक्ष्मी तुम कुछ लोगी ?
उन उम्रदराज महिला ने उस १३ साल की लड़की से पूछा ....फ़िर उसका जवाब सुनने से पहले ही अपने प्याले को होठो से लगाकर बातचीत मे व्यस्त हो गई ..उस लड़की ने फुसफुसा कर कुछ अस्पष्ट सा कहा जो मेरी भी समझ नही आया ...कोफी अचानक कड़वी लगने लगी थी ..उसका एक घूँट भरकर .मैंने देखा मिष्टी अभी खाली प्लेट मे चम्मच बजा रही थी .....तीनो महिलाये बातचीत मे व्यस्त थी ,तभी वेटर मिष्टी का सैंडविच लेकर आया ....एक नजर अपनी प्लेट को देख उसकी आँखे सोफे पर गई ...".लक्ष्मी " उसने तोतले लफ्जों से पुकारा ,लक्ष्मी ने वही से उसे मुस्कान दी ."आराम से खायो ...."माँ ने अंग्रेजी मे हिदायत दी ,मिष्टी ने एक बार सोफे की ओर देखा फ़िर नीचे उतरी ओर अपनी सैंडविच वाली भारी सी प्लेट लेकर सोफे की तरफ़ बढ़ी ...."मिष्टी कम हियर"माँ ने पुकारा ...मिष्टी सीधी चलती हुई सोफे पे पहुँची .सोफा उसके कद से थोड़ा ऊँचा था,पहले प्लेट रखी......' मिष्टी कम हियर 'वापस वही आवाज ...मिष्टी ने अपने नन्हें पैर उचके ओर लगभग कसरत सी करती हुई सोफे पे चढ़ गई ..प्लेट मे से एक सैंडविच उठाया लक्ष्मी की दिया ओर एक अपने हाथो मे पकड़ खाने लगी....लक्ष्मी सहम गई थी ..'.खायो -खायो"मिष्टी ने लक्ष्मी से कहा फ़िर आर्यन की ओर मुस्कराते देख खाने लगी...