2008-05-08

वो मोटर साईकिल अक्सर याद आती है......

उस मोटर साईकिल को शायद हीरो होंडा वालो ने पिछले २० सालो मे एक ही बार बनाया होगा.....सड़क पे चलते चलते झटके खाकर रुक जाती ओर फ़िर ढक्कन खोल कर फूंक मार कर फ़िर कुछ किलोमीटर चल जाती ....फ़िर बीच मे रुक जाती ओर इस बार उसे लिटा कर आडी टेडी तिरछी करके फ़िर फूंक मारी जाती ,फ़िर नशे मे कुछ देर चलती .....अपनी मेडिकल कोल्लेज के पहले दो साल हमने इस मोटर साईकिल पे काटे...उसका मालिक भी अपने आप मे एक विलक्षण व्यक्ति था .....उसने भी कभी इस टंकी को फुल पेट्रोल को सुख नही दिया ....तब तक हम पिता जी से हर बार फोन पर एक यामहा खरीदने के लिए फुसफुसाती आवाज मे गुहार लगते ..जिसे अनसुना कर दिया जाता ...कई बार जब हमे किसी ख़ास बर्थ डे पार्टी मे पहुँचना होता ...बीच सड़क पे ये अचानक रुक जाती.......ओर फ़िर उस सुनसान इलाके मे हम फूंक मार कर उसे कुछ किलोमीटर दौड़ते... उन दिनों सिगरेट पीना शुरू नही किया था  पर शायद उन फूंको ने जितना नुकसान फेफ्डो को पहुँचाया उतना उन कम्बख्त सिगरेटो ने भी नही... .अलबत्ता हम अक्सर लेट पहुँचते ओर हमारे जाट भाई अक्सर ये कहते हुए पार्टी से लौटते ...."साला भूखा रह गया मैं तो .....कई बार तो हम देर रात को उन पेट्रोल पम्प पे हाँफते उस गाड़ी को पहुँचते ओर  बंद हो चुके उस पेट्रोल पम्प के कर्मचारी से मिन्नत करते .....सिविल हॉस्पिटल से है....बेचारा जब कोई नींद से उठकर पेट्रोल भरने के लिए राजी होता .....तो ये कहते १० रूपये का भर दो........उसकी नींद खुल जाती....पर ये  साहब पेट्रोल भरवा कर शान से  किक मारते..ओर हमे बैठा कर फुर्र होते ...सिविल हॉस्पिटल सूरत को जितना बदनाम इन्होने  चुप चाप   इन  पेट्रोल पम्पो   पे किया ..शायद यही  कारण   है की आज की तारिख मे भी कोई पेट्रोल पम्प वाला अपना इलाज कराने सिविल हॉस्पिटल ना जाता हो ....(ओर ये भी इसी कारण अपनी स्विफ्ट गाड़ी को C.N.G कराके घूम रहे है..)....इनसे  विशेष प्रेरित होकर हमारे जाट भाई.भी एक दिन एक मूवी के ब्लेकिये से पूछ बैठे "सिविल के डोक्टर है कुछ डिसकाउंट मिलेगा ?
खैर बाइक के मालिक ....एक लड़की के प्रेम में गोता लगा बैठे ......पर एक साल तक दरिया   किनारे ठहलते रहे .दरिया......वो इश्क का दरिया ....फिर हम सबके . बेहद उकसाने के बाद इन्होने खैर उसे प्रपोज़ कर दिया ...लड़की क्या कहती......ये रोजाना   गांधी के सत्यग्रही की तरह नियमित तौर पे ... उससे जवाब सुनने लायब्रेरी पहुँच जाते ....ऐसा कई महीनों चला ...... फ़िर तो यही होता....अक्सर कमरे मे जगजीत चलते ....जुगाड़ से जुटाई गई बोतल खुलती (गाँधी का देश होने के कारण गुजरात  ओफिशयली नशा  मुक्त प्रदेश है )ओर कई हाँ ओर ना मे उलझे आशिक अपने अपने दुखडे रोते ..ऐसी पार्टियों मे एक मह्श्य अक्सर बिन बुलाये पहुँचते ओर एक सिगरेट का बहाना लेकर तेजी से ३ ४ पैग गटक जाते ....ओर बिन मांगे कई सलाह भी डे डालते ....ओर जाते जाते मुझसे कहते यार ये केसेट कल मुझे देना ..जगजीत क्या गाता है .......... 
.खैर   लब्बे लुआब ये के उस लड़की ने हाँ बोल ही दिया ..... इनकी पहली डेट पर हम दोस्तो ने इन्हे आधी टंकी भरवा कर दी......बाद के दिनों मे इन्हे अक्सर उस लड़की के किनेटिक होंडा स्कूटर पे देखा गया ,हमारे पिता जी हमारी फरियाद सुन ली ओर यामहा आने के बाद हमे अपनी  फटफटिया हीरो पुक से छुटकारा मिल गया ....जिसका स्टैंड अक्सर टूट जाता ओर हम उसे खड़ी करने के लिए कई दिनों तक खम्भा ढूंढते फिरे....ओर die -hard पार्ट ३ के शो को जब हम देखने पहुंचे तो स्टेंड वाले ने हमसे एक खम्भे पे टिकाने के १५ रुपये एक्स्ट्रा लिए थे....दरअसल हमारा मिस्त्री उसका ओरिजनल पार्ट रोज लाने का कहकर हमे कई महीनों बरगलाता रहा था .....




कभी भीड़ मे कभी तन्हाई मे
अपने लड़कपन के लम्हो को
वो अक्सर खीच लाता है
कुछ सिगरेट
ओर अधजली तीलियो के साथ बैठकर
वो उनसे कुछ देर
बतियाता है,
लबो पर मुस्कान लिए
नम आँखो से फिर
उन्हे छोड़ आता है

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