2008-05-17

आवारा बारिश .......

उस मोड़ पे हम दोनों कुछ देर बहुत रोये
जिस मोड़ से दुनिया को एक रास्ता जाता है ---बशीर बद्र

आज बारिश हो रही है बड़ी तेज बारिश....बारिशे कभी बता कर नही आती इसलिए अच्छी लगती है ....ये उन शै मे से एक है जो अब तक अच्छी लगती है ....वरना हर रिश्ता , ,हर फलसफा अपना चेहरा बदल चुका है .....जिंदगी का sign board इस बारिश मे भी चमक रहा है.......
कोई इस रस्ते मे जाना नही चाहता है उसे मालूम है एक बार गया तो फ़िर जिंदगी की इन पेचीदा गलियों मे गुम हो जाएगा .फ़िर भी हर शख्स ये सोचकर रास्ता शुरू करता है की वो खोयेगा नही ..लेकिन हर शख्स खो जाता है....
तेज हवा चली है ओर कोई किताब नीचे गिरी है ,उसे उठाता हूँ...कुछ नीचे अभी भी उसमे से निकलकर गिरा है .एक सरसरी निगाह डालता हूँ....जगजीत सिंह के औटोग्राफ है.. पीछे मुड़कर देखता हूँ तो सोचता हूँ की ज़िंदगी कहाँ खीच लायी है वक़्त हमेशा एक कदम आगे रहा है.. उन दिनों खुशिया ढूँढने के लिए मेहनत नही करनी पड़ती थी ओर कच्चे-पके फलसफे आसमान से थोक के भाव गिरते थे ,जिंदगी मे E.M.I नाम को कोई चीज़ शामिल नही थी ,ओर महीने के सारे दिन एक जैसे लगते थे , अपने जग्गू दादा एक बार सूरत आये थे ,टिकटों का जुगाड़ हमने भी किया , कुछ गजल चली माहोल बना ,फ़िर बारिश हुई ...खुले मे प्रोग्राम्म था ..बीच मे रुका . हम किसी तरह जुगाड़ लगा कर उनके पास पहुँच गये वो कही जाम की चुसकिया ले रहे थे, पर ज़ाल्दबाज़ी मे कोई काग़ज़ ले जाना भूल गये अब औटोग्राफ़ किस पर ले? डरते-डरते सिगरेट का पैकेट निकाला. जग्गू दादा मुस्कराए ओर उसी पर कलम चला दी.......... कई सालो तक हमारे रूम की दीवार पर चिपका रहा........ अक्सर लोग उसे हाथ से सहलाकर चले जाते थे ....आज वही हाथ आया है, उस दिन भी ऐसी बारिश थी. ऐसी बारिशे रोज़ रोज़ नही होती.



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