2008-05-19

रेड लाइट एरिया ओर कुछ तजुर्बे .... भाग एक

स दिन ओ .पी . डी मे काफी भीड़ थी ....  मेरी  कुलिग़  ने   आवाज  दी  .... अन्दर  एक्सामिन रूम  में एक लड़की  थी .......उम्र तकरीबन उन्नीस - बीस  के  दरमियां ...  सांवला रंग .आंखो में डर ओर कई सवाल. .  .
जेनाईटल वार्ट्स....मेरी कुलीग ने कहा
स्टेटस .....?मैंने पूछा 
पता नही ?मेरी  कुलीग  ने  सर  हिलाया  था   .
व्यासायिक रूप से तेजी से देश के पटल पर प्रगति करने के कारण सूरत शहर   न केवल अपनी सूरत बदल रहा था .....कामकाजी माइग्रेशन पॉपुलेशन को  भी आकर्षित कर रहा था ...डायमंड इंडस्ट्री ...साडी उधोग ...पर इस सबके साथ एक ओर अनचाही चीज़  का ग्राफ   आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ रहा  थी ..एच आई वी.मरीजो का  ..
"कुछ बताती है ?" मैंने पूछा .
शायद 
लेंग्वेज नही समझ पाती ? मेरी कुलिग़ ने कहा ...
वो एक सेक्स वर्कर है  .....

यहाँ कौन लाया ?मैंने पूछा ,
 बाहर खड़ा है …

कई लोग बस पहली नजर में  पसंद नहीं आते ......बेवजह! .....सफ़ेद शर्ट   बड़ी बड़ी  मूंछे ....मुंह में पान- मसाला ...शरीर   में अजीब सी गंध .उसे मैंने कोने में बुलाया ....
"कुछ खून की जांच जरूरी है .बीमारी बढ़ी हुई है ....तभी कुछ होगा ...."
साहेब कुछ इंजेक्शन -विन्जेक्शन दे दो ..टेस्ट के लफ़डो  में काहे को पड़ता है ? मैंने उसे घूरा
साहेब बहुत टाइम खोटी होता है इधर आने में .दोबारा नहीं भेजेगे  इसको....."
"देख भाई.बीमारी तेरी मेरी मरजी  से नहीं चलती है .मेरी आवाज में थोड़ी तल्खी आ गयी थी......
जो काम है हिसाब से होगा...
उसने कमरे के एक कोने मे खड़ी दूसरी महिला को देखा …..मैं उसे पहचानता था  जया  बेन   वो  उस  एन .जी .ओ से  जुड़ी   सक्रिय कार्यकर्त्ता थी  जो खास  तौर से रेड लाईट एरिया मे काम करता था  .
वो मेरे पास आयी ...”अनुराग भाई बड़ी मुश्किल से लेकर आयी हूँ ,आने नही दे रहे थे …तीन दिन बाद कह नही सकते की इसे भेजेगे या नही...आपने उसकी हालत देखी ही है ?
आप कुछ करो तभी मैं औरो को लेकर आ सकती हूँ ,,,,,..मैं जानता था   वो  सच  कह  रही  है
,"पर सब कुछ मेरे हाथ मे नही है जया बेन इसका मामला कुछ गड़बड़ लगता है .. .” उसका टेस्ट होना जरूरी है "
 पर तब तक कुछ तो करो ..उसने कहा …"सर से पूछना पड़ेगा .जया बेन ".मैंने कहा …..
 
मै उन्हें लेकर सर के पास पहुंचता हूं .....वे हाथो मे कोई फाइल लिये निकल रहे थे ,मुझे देखकर रुके .. सुपरिडेंट ऑफिस मे मीटिंग है ….पहले ही लेट हूँ .....उन्होंने घड़ी देखकर  कहा ..

समस्या ब्रीफ की गयी...सर बहुत ज्यादा वार्ट्स है जेनाईटल एरिया मे …..मैंने कहा .
अगर लगता है "
पोजीटिव ."है   तो रिपोर्ट का इंतज़ार करो ?नही तो जितना हो सके निकाल दो .वे  

वे इंग्लिश में बोले ....फ़िर मुझे पास बुलाया ओर  धीमे से कहा “इन लोगो को डिसकरेज नही करना ..बाकी जो तुम ठीक समझो ....पर पूरे प्रिकाशन लेना ……कहकर वो निकल गए ।
वो सफ़ेद शर्ट वाला बाहर ही खड़ा था … “साहिब जल्दी ख़त्म करो …धंधे का टाइम खोटी हो रहा है …
मैंने उसे अनसुना कर अपनी कुलिग़ से कहा

'कुछ वार्ट्स निकलने होगे ...ग्लोव्स डबल पहनना ….उसने सर हिलाया ,जब उसको "माइनर ओ.टी "मे लिटाया ....
    ..”नाम क्या है तुम्हारा ?
उसकी आँखे फ़िर मुझसे चिपक गई.........नाम  -नाम ?   मैंने कई  बार  दोहराया    पर वो ना जाने   क्यों   आँखों से   देखती रही ......  ....बाहर  भीड़ बहुत थी इसलिए  मैंने जल्दी जल्दी इंजेक्शन लगाया ओर हम दोनों प्रोसीज़र करने लगे ,उस एक घंटे मे वो कभी दर्द से सिसकिया भरती ओर कभी कस कर मेरा हाथ पकड़ लेती,फ़िर कई बार डांटने के बाद हाथ छोडती ....
.. एक घंटे बाद जब मैं बाहर निकला तो सफ़ेद शर्ट वाला बैचैनी से टहल रहा था ,मैंने देखा भीड़ काम
नही
हुई थी ओर मेरे दूसरे कुलीग मरीजो से उलझे हुए थे वो मेरी तरफ़ लपका 
..ख़त्म हो गया ?
"पूरी तरह नही ..मैंने कहा ."एक बार ओर आना पड़ेगा ....
काहे कू? उसका मुंह बिगड़ गया ....
अबे मर जायेगी. मैं झल्ला कर बोला ..उसने जैसे कुछ सुना नही
" रोज रोज आयेगी तो धंधा कब करेगी ?
 इस बीमारी मे उससे धंधा करवयोगे....मैंने कहा ....
"अभी तक कर ही रही थी न ..
.....उसकी टोन मुझे पसंद नहीं आयी थी.....

अभी १० दिन तक वो इस हालत मे नही है ,वैसे भी ये रोग वो ग्राहकों को ही देगी....
"१०दिन् ....आपने पहले तो नही बोला अब मैं मैडम को क्या जवाब देगा ...ऐ जया बेन ..वो जया बेन की तरफ़ लपका ....
मैंने जया बेन को किनारे पे बुलाया "इसका टेस्ट करवा देना जया बेन ....ओर 5 दिन बाद लेकर आना .....जया बेन उसे डपट कर मेरे पास आयी
"शुक्रिया अनुराग भाई ..... बंगलादेशी है ',उसने मुझे बताया ….तभी जबान नही समझती ….मैंने कहा" कुछ जवाब नही देती' .... …।
हाँ अब कुछ कुछ समझने लगी है ….पर दूसरी मुश्किल भी है … बेचारी गूंगी है !
...मैंने     मुड़कर    उसे    देखा ......जाते जाते   वक़्त  आँखे एक पल को मुझसे मिली ....फ़िर धीरे धीरे भीड़ मे गुम हो गयी.....
पां दिन बाद मेरी कुलिग़ मेरे पास आयी .
"कोई प्रिक नही लगा था ना?उसकी रिपोर्ट आयी है ,एच .आई .वी . पोसिटिव है "
.वो गूंगी गुडिया वापस फ़िर कभी नही आयी , बाद मे जया बेन ने बताया उसे बोम्बे भेज दिया गया है ................एक शहर मे ज्यादा दिन नही रखते ........!
 

2000-2001 ...नेशनल एड्स कंट्रोल सोसिएटी (नाको) ,ब्रिटिश गवर्मेंट ओर गुजरात सरकार के साझा प्रयास से H.I.V के ख़िलाफ़ एक अभियान चलाया गया जिसमे कई N.G.O को भी जोडा गया ओर इसे" प्रोजेक्ट फॉर सेक्सुअल हैल्थ " का नाम दिया गया ,सूरत गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज को मोडल बनाया गया ...जो सफल रहा ओर बाद मे बरोदा ओर दूसरे शहरो मे भी ये प्रोजेक्ट चलाया गया ...उसमे रेसीडेंसी के साथ साथ मैंने मेडिकल ऑफिसर के तहत एक साल तक काम किया ... उसी दौरान कुछ अनुभवो मे से एक......


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