होस्टल की लोबी से तैयार होकर निकलने वाला मैं आखिरी बन्दा था , सीडियों पे पहुँचा ही था की सामने से नैनेश अपने स्कूटर पर आता दिखा .वो मेरा जूनियर था ,खुदा का बंदा अमोल पालेकर जैसा सीधा. वो लोकालाइट था ओर होस्टल यदा कदा ही आता था ,इतनी सुबह!!
"वो वार्ड मे लफडा हुआ है , बुंदू को सुबह सिस्टर ने बाहर निकाल दिया था रात को दारू पी कर हंगामे कर रहा था .... पता नहीं किसने N.G.O वालो को फोन कर दिया वो आकर हंगामा मचा रहे है.
क्या टाइम हुआ है ? ८.२० ......
सर बलसाड से ट्रेन पकड़ कर आते थे ,उनके आने मे अभी पौन घंटा था ,मोबाइल वो रखते नही थे .
हमारी A.P. छुट्टी पे थी..मैंने मोटर साईकिल पर किक मारी ओर वार्ड पहुँचा ...बाहर वर्षा बेन खड़ी थी ,
तुम्हारे सर कहाँ है "मुझे देखते ही बोली . मुझे उनसे बात करनी है ..
सर के आने में वक़्त है.
वर्षा बेन उन NGO मे से एक थी जिनके साथ मेरी कभी बनी नही ओर मैंने अपनी नापसंदगी को कभी छुपाया भी नही. सुबह सुबह वे लिपस्टिक ओर परफ्यूम लगा कर वार्ड के बाहर आ कर खड़ी हो गई थी .
"तुम्हारे सीनियर कहाँ है "
वे एक्साम गोइंग थे इसलिए मैं उन्हें परेशां नही करना चाहता था.
"बात क्या है ?
मैंने पूछा .....
बात ? तुम्हारा कुछ मनेज्मेंट है या नही ? इस हॉस्पिटल मे ? पेशेंट को बाहर निकाल देते हो ? ये S.T.D का पेशेंट है....सिस्टर ने इसे बाहर निकाल दिया है ओर तुम्हारे जूनियर ने थप्पड़ मारा है ..
मैंने अरोरा को देखा वो जूनियर मोस्ट था ओर गर्म मिजाज था उसकी आंखो मे र्देखते ही मैं समझ गया की थप्पड़ लग गया है.....मैं वर्षा बेन को जानता था वो फसाद खडा करने वाले लोगो मे से एक थी ,मनीषा बेन की तरह नही.
“ओर ऊपर से ये लोग झूठ अपनी गलती छिपाने के लिए गरीब आदमी पर इल्जाम लगा रहे है.,इसके पास पैसे कहाँ से आयेगे , अगर पैसे आ भी गये तो शराब कहाँ से पियेगा बतायो ?.वर्षा बेन बोली .
बूंदु वही सर झुकाकर खड़ा था ... बुन्दु अपने आप मे कमाल का करेक्टर था ,ओर उतना ही बड़ा एक्टर भी ...हम सब उसके फन से वाकिफ थे , ओस्कर जीतने वाली परफोर्मेंस वो पिछले दो सालो से हमारी ओ पी.डी मे दिखाने आता था हर बार कसम खाकर जाता था की साहब इस बार नही....
.नतीजन ,उस पेशेंट को genital fungative ulcer था जो बेहद बू मारता था इतनी की पूरे वार्ड मे उसकी बू भरी रहती थी . वार्ड के दूसरे मरीज उसकी बू से परेशां थे ओर सिस्टर उसे संभावित H.I.V समझकर सैम्पल के लिए उसका ब्लड नही लेती थी ऐसे मरीजो मे रेसीडेंट को ही ये काम करने पड़ते थे ,हमे उसकी biopsy की रिपोर्ट का इंतज़ार था ,सिस्टर उसे infectious disease वार्ड मे भेजने की जिद पे थी .उसकी रोज सुबह ड्रेसिंग होती थी जिसे करना अपने आप मे एक मुश्किल काम था ,कई बार मैंने भी उसकी ड्रेसिंग की थी .
ऐसे मे रात को उसने पीकर वार्ड मे हंगामा मचा दिया था..
बुन्दु सर झुकाये खड़ा था
इतने में वार्ड का फोन बजा सिस्टर बोली अनुराग भाई प्रिस्नर वार्ड से फोन है .वहां एक बिगडा रईसजादा भरती था , रईसजादों के सारे गुण थे उसमे शौकीनी ,अय्याशी . कही पी कर रिवाल्वर चला बैठे थे ,अगला अल्लाह को प्यारा हो गया . ये साहब जेल में . मामूली से कोई स्किन रेश थे . जाहिर है अस्पताल रेफर हो गए . बाप रसूखदार ओर पोलिटिक्स में सो इनकी सेवा पानी में ३ -४ लोग रहते थे . मैंने पुलिस वालो को भी उनके साथ कई बार हँसी मजाक करते देखा था.
मै भी सर के साथ रायूँड पर होता . आज उनका डिस्चार्ज का दिन था ओर वे जेल नही जाना चाह रहे थे प्रिस्नर वार्ड में रेसिडेंट को अधिकार नही था की जाकर मरीज को देखे .सिवाय इमर्जेंसी के या ड्रेसिंग वगैरह छोड़कर .इसलिए मुझे सर का इंतज़ार ही करना था .
आपको बुलाया है "एक ओर पंगा .....मैं बुदबदाया "यार ये हमारे सर मोबाइल क्यों नही खरीदते "?
इस हंगामे के बीच हमने राउंड लिया फ़िर O.P .D शुरू हो गई ,जब सर आये तो चुपचाप सारा किस्सा बताया गया उस वक़्त कमरे में मै ओर सर ही थे ....उन्होंने खामोशी से सारी बाते सुनी ..फ़िर .अरोरा को तलब किया गया ..अरोरा जी की डर के मारे घिघी बनी हुई थी
....उसने पी थी ? सर ने पूछा...
जी अरोरा ने सर हिलाया .....
जब मारा करो तो इतनी जोर से मारा करो की आदमी शिकायत लेकर मेरे पास ना आये या फ़िर मारा मत करो....वे बोले .
समझे ....जी अरोरा ने सर हिलाया ..तभी दरवाजे पर वही वोयलेट लिपस्टिक दिखी....वो कुछ बोलने वाली ही थी की हमारे सर ने उनसे चाय के लिए पूछा ...नही...३ मिनट तक उनका कहानी नॉन स्टाप चली.
आप वार्ड में चलिये मै आता हूँ.....सर ने कहा.
ड्रेसिंग रूम में बुन्दू को बुलाया गया . मै अरोरा ,नैनेश , सिस्टर भी साथ है.
तुमने बुन्दू को बताया के नही ? सर ने मुझसे कहा ..
मेरे जवाब का इन्तजार किए बगैर उन्होंने मेरे जूनियर से कहा
नैनेश तुने बताया ? तुममे से किसी ने इसे नही बताया ? वे हम पर गुस्सा होते है..
हम सब सर झुका लेते है.
तुझे कुछ बताया रिपोर्ट के बारे में ....वे बुन्दु से पूछते है.
बुन्दु पहले ही ऐड्स के डर से परेशां है.ओर इंजेक्शन का खौफ खाता है "क्या साहब ?" वो पूछता है.
तेरी एक रिपोर्ट आ गई है..कुछ गड़बड़ है ...साहब उठकर चिंतित मुद्रा में खिड़की के पास जाकर खड़े हो गए है . दो मिनट का मौन .
बुंदु इस मौन से थोडा बैचैन हो गया है .
सर पीछे मुड़े फिर आहिस्ता से टेबल पर बैठ गए है . ठीक बुंदु के नज़दीक
"अब तेरी बीमारी में क्या है अगर अंग्रेजी पी तो बचने के चांस थोड़े है . देसी पी तो "काटना" भी पड़ सकता है ये लड़के लगता है तुझे बताना भूल गये .
.हम सब ने सर थोड़ा ओर नीचे झुका लिए.
मैडम की कुछ समझ नही आ रहा था .वो हैरान खड़ी देख रही थी.
बुन्दू साहब के पैरो में गिर पड़ा है
"मुझे बचा लो साहब , देसी पी थी.
मैडम के चेहरे पर पसीना आ गया है .वे बाहर की ओर चलने लगी है .
सर बड़ी विनम्रता से उन्हें रुकने को कहते है . ओर अरोरा को ड्रेसिंग खोलने को इशारा करते है .
अरोरा तेजी से ड्रेसिंग खोलता है
वर्षा बेन उबकाई लेती है ओर मुंह बंद करे बाहर भागी है . बाहर से उलटी करने की आवाजे सुनाई दी है
सिस्टर मुस्कराती है "साहेब तमे भी '.
सर भी मुस्कराते है.
"इसको इंजेक्शन शाम से शुरू कर देना."
वे अरोरा से कहते है.
अरोरा मुझे देखता है. मुझे मालूम है कि multi vitamin का इंजेक्शन लगना है.. बाहर निकलते है तो वर्षा बेन मुंह पर दुपट्टा रख के खड़ी है.
'केम छो? सर पूछते है.
वो हाथ से इशारा करती है कि ठीक है.
सर बाकी लोगो को o.P.d में जाने को कहकर मेरे साथ प्रिस्नर वार्ड में जाते है .
वो फर्स्ट फ्लोर पर है.
"साहेब" रास्ते में ही कोई नेता टाइप सीढिया पार करते ही मिल गया है ." सुप्रिडेंट साहेब से बात हो गयी है . कुछ भी दिखा के एक हफ्ता रोक लो , फिर कोर्ट से जमानत ले लेगे "
सर मुस्कराते है .
वार्ड में घुसते है तो रईसजादे को पोलिस वाले कोई पान मसाला अपनी हथेली में पीस कर दे रहे है
वो रईसजादा बैठे बैठे कहता "साहेब कुछ करो"
"क्या करूँ तू ठीक तो हो गया "सर कहते है.
आहिस्ता आहिस्ता ठीक करना था.साहेब "
कोई इंजेक्शन देकर कोई छोटी बीमारी नही आ सकती ?
छोटी तो नही पर बड़ी बीमारी आ सकती है.!
सर मुझे देख मुस्कराते है.
बड़ी .वो सकपका सा जाता है .
"देखता हूँ. "सर उससे कहते है ,फ़िर बाहर निकल आते है.
ऐसा करो शाम को बुन्दु को यहाँ शिफ्ट कर देना . रात भर रखना .सुबह ६ बजे ,वापस वार्ड में ले आना .पर ध्यान से .
मै समझ गया हूँ.
रात ११.३० बजे
होस्टल की लोबी में मेरे लिए फोन है ..सिस्टर है...
अनुराग भाई प्रिस्नर वार्ड से बार बार फोन आ रहा है.
कोई बात नही सिस्टर..आप वार्ड देखो....मै कहता हूँ....नीचे उतर कर कमरे में आता हूँ...नवाबजादे अपने आप अस्पताल छोड़ देंगे
सिगरेट के पैकेट को उठकर झांकता हूँ आखिरी सिगरेट है . जग्गू दा को देर रात शिरकत करने के लिए टेप ऑन करता हूँ सिगरेट सुलगाकर बौल्कोनी में खड़ा हो जाता हूँ . पैकेट को फेंकने से पहले उस पर लिखे शेर को पढता हूँ जो जाने किस मूड में लिखा था
" कुछ ग़म भी चाहिये, कुछ गिले भी, कुछ शिकवे भी
खुशियों से भरा रहे दिल, तो दिल सा नही रहता"
"वो वार्ड मे लफडा हुआ है , बुंदू को सुबह सिस्टर ने बाहर निकाल दिया था रात को दारू पी कर हंगामे कर रहा था .... पता नहीं किसने N.G.O वालो को फोन कर दिया वो आकर हंगामा मचा रहे है.
क्या टाइम हुआ है ? ८.२० ......
सर बलसाड से ट्रेन पकड़ कर आते थे ,उनके आने मे अभी पौन घंटा था ,मोबाइल वो रखते नही थे .
हमारी A.P. छुट्टी पे थी..मैंने मोटर साईकिल पर किक मारी ओर वार्ड पहुँचा ...बाहर वर्षा बेन खड़ी थी ,
तुम्हारे सर कहाँ है "मुझे देखते ही बोली . मुझे उनसे बात करनी है ..
सर के आने में वक़्त है.
वर्षा बेन उन NGO मे से एक थी जिनके साथ मेरी कभी बनी नही ओर मैंने अपनी नापसंदगी को कभी छुपाया भी नही. सुबह सुबह वे लिपस्टिक ओर परफ्यूम लगा कर वार्ड के बाहर आ कर खड़ी हो गई थी .
"तुम्हारे सीनियर कहाँ है "
वे एक्साम गोइंग थे इसलिए मैं उन्हें परेशां नही करना चाहता था.
"बात क्या है ?
मैंने पूछा .....
बात ? तुम्हारा कुछ मनेज्मेंट है या नही ? इस हॉस्पिटल मे ? पेशेंट को बाहर निकाल देते हो ? ये S.T.D का पेशेंट है....सिस्टर ने इसे बाहर निकाल दिया है ओर तुम्हारे जूनियर ने थप्पड़ मारा है ..
मैंने अरोरा को देखा वो जूनियर मोस्ट था ओर गर्म मिजाज था उसकी आंखो मे र्देखते ही मैं समझ गया की थप्पड़ लग गया है.....मैं वर्षा बेन को जानता था वो फसाद खडा करने वाले लोगो मे से एक थी ,मनीषा बेन की तरह नही.
“ओर ऊपर से ये लोग झूठ अपनी गलती छिपाने के लिए गरीब आदमी पर इल्जाम लगा रहे है.,इसके पास पैसे कहाँ से आयेगे , अगर पैसे आ भी गये तो शराब कहाँ से पियेगा बतायो ?.वर्षा बेन बोली .
बूंदु वही सर झुकाकर खड़ा था ... बुन्दु अपने आप मे कमाल का करेक्टर था ,ओर उतना ही बड़ा एक्टर भी ...हम सब उसके फन से वाकिफ थे , ओस्कर जीतने वाली परफोर्मेंस वो पिछले दो सालो से हमारी ओ पी.डी मे दिखाने आता था हर बार कसम खाकर जाता था की साहब इस बार नही....
.नतीजन ,उस पेशेंट को genital fungative ulcer था जो बेहद बू मारता था इतनी की पूरे वार्ड मे उसकी बू भरी रहती थी . वार्ड के दूसरे मरीज उसकी बू से परेशां थे ओर सिस्टर उसे संभावित H.I.V समझकर सैम्पल के लिए उसका ब्लड नही लेती थी ऐसे मरीजो मे रेसीडेंट को ही ये काम करने पड़ते थे ,हमे उसकी biopsy की रिपोर्ट का इंतज़ार था ,सिस्टर उसे infectious disease वार्ड मे भेजने की जिद पे थी .उसकी रोज सुबह ड्रेसिंग होती थी जिसे करना अपने आप मे एक मुश्किल काम था ,कई बार मैंने भी उसकी ड्रेसिंग की थी .
ऐसे मे रात को उसने पीकर वार्ड मे हंगामा मचा दिया था..
बुन्दु सर झुकाये खड़ा था
इतने में वार्ड का फोन बजा सिस्टर बोली अनुराग भाई प्रिस्नर वार्ड से फोन है .वहां एक बिगडा रईसजादा भरती था , रईसजादों के सारे गुण थे उसमे शौकीनी ,अय्याशी . कही पी कर रिवाल्वर चला बैठे थे ,अगला अल्लाह को प्यारा हो गया . ये साहब जेल में . मामूली से कोई स्किन रेश थे . जाहिर है अस्पताल रेफर हो गए . बाप रसूखदार ओर पोलिटिक्स में सो इनकी सेवा पानी में ३ -४ लोग रहते थे . मैंने पुलिस वालो को भी उनके साथ कई बार हँसी मजाक करते देखा था.
मै भी सर के साथ रायूँड पर होता . आज उनका डिस्चार्ज का दिन था ओर वे जेल नही जाना चाह रहे थे प्रिस्नर वार्ड में रेसिडेंट को अधिकार नही था की जाकर मरीज को देखे .सिवाय इमर्जेंसी के या ड्रेसिंग वगैरह छोड़कर .इसलिए मुझे सर का इंतज़ार ही करना था .
आपको बुलाया है "एक ओर पंगा .....मैं बुदबदाया "यार ये हमारे सर मोबाइल क्यों नही खरीदते "?
इस हंगामे के बीच हमने राउंड लिया फ़िर O.P .D शुरू हो गई ,जब सर आये तो चुपचाप सारा किस्सा बताया गया उस वक़्त कमरे में मै ओर सर ही थे ....उन्होंने खामोशी से सारी बाते सुनी ..फ़िर .अरोरा को तलब किया गया ..अरोरा जी की डर के मारे घिघी बनी हुई थी
....उसने पी थी ? सर ने पूछा...
जी अरोरा ने सर हिलाया .....
जब मारा करो तो इतनी जोर से मारा करो की आदमी शिकायत लेकर मेरे पास ना आये या फ़िर मारा मत करो....वे बोले .
समझे ....जी अरोरा ने सर हिलाया ..तभी दरवाजे पर वही वोयलेट लिपस्टिक दिखी....वो कुछ बोलने वाली ही थी की हमारे सर ने उनसे चाय के लिए पूछा ...नही...३ मिनट तक उनका कहानी नॉन स्टाप चली.
आप वार्ड में चलिये मै आता हूँ.....सर ने कहा.
ड्रेसिंग रूम में बुन्दू को बुलाया गया . मै अरोरा ,नैनेश , सिस्टर भी साथ है.
तुमने बुन्दू को बताया के नही ? सर ने मुझसे कहा ..
मेरे जवाब का इन्तजार किए बगैर उन्होंने मेरे जूनियर से कहा
नैनेश तुने बताया ? तुममे से किसी ने इसे नही बताया ? वे हम पर गुस्सा होते है..
हम सब सर झुका लेते है.
तुझे कुछ बताया रिपोर्ट के बारे में ....वे बुन्दु से पूछते है.
बुन्दु पहले ही ऐड्स के डर से परेशां है.ओर इंजेक्शन का खौफ खाता है "क्या साहब ?" वो पूछता है.
तेरी एक रिपोर्ट आ गई है..कुछ गड़बड़ है ...साहब उठकर चिंतित मुद्रा में खिड़की के पास जाकर खड़े हो गए है . दो मिनट का मौन .
बुंदु इस मौन से थोडा बैचैन हो गया है .
सर पीछे मुड़े फिर आहिस्ता से टेबल पर बैठ गए है . ठीक बुंदु के नज़दीक
"अब तेरी बीमारी में क्या है अगर अंग्रेजी पी तो बचने के चांस थोड़े है . देसी पी तो "काटना" भी पड़ सकता है ये लड़के लगता है तुझे बताना भूल गये .
.हम सब ने सर थोड़ा ओर नीचे झुका लिए.
मैडम की कुछ समझ नही आ रहा था .वो हैरान खड़ी देख रही थी.
बुन्दू साहब के पैरो में गिर पड़ा है
"मुझे बचा लो साहब , देसी पी थी.
मैडम के चेहरे पर पसीना आ गया है .वे बाहर की ओर चलने लगी है .
सर बड़ी विनम्रता से उन्हें रुकने को कहते है . ओर अरोरा को ड्रेसिंग खोलने को इशारा करते है .
अरोरा तेजी से ड्रेसिंग खोलता है
वर्षा बेन उबकाई लेती है ओर मुंह बंद करे बाहर भागी है . बाहर से उलटी करने की आवाजे सुनाई दी है
सिस्टर मुस्कराती है "साहेब तमे भी '.
सर भी मुस्कराते है.
"इसको इंजेक्शन शाम से शुरू कर देना."
वे अरोरा से कहते है.
अरोरा मुझे देखता है. मुझे मालूम है कि multi vitamin का इंजेक्शन लगना है.. बाहर निकलते है तो वर्षा बेन मुंह पर दुपट्टा रख के खड़ी है.
'केम छो? सर पूछते है.
वो हाथ से इशारा करती है कि ठीक है.
सर बाकी लोगो को o.P.d में जाने को कहकर मेरे साथ प्रिस्नर वार्ड में जाते है .
वो फर्स्ट फ्लोर पर है.
"साहेब" रास्ते में ही कोई नेता टाइप सीढिया पार करते ही मिल गया है ." सुप्रिडेंट साहेब से बात हो गयी है . कुछ भी दिखा के एक हफ्ता रोक लो , फिर कोर्ट से जमानत ले लेगे "
सर मुस्कराते है .
वार्ड में घुसते है तो रईसजादे को पोलिस वाले कोई पान मसाला अपनी हथेली में पीस कर दे रहे है
वो रईसजादा बैठे बैठे कहता "साहेब कुछ करो"
"क्या करूँ तू ठीक तो हो गया "सर कहते है.
आहिस्ता आहिस्ता ठीक करना था.साहेब "
कोई इंजेक्शन देकर कोई छोटी बीमारी नही आ सकती ?
छोटी तो नही पर बड़ी बीमारी आ सकती है.!
सर मुझे देख मुस्कराते है.
बड़ी .वो सकपका सा जाता है .
"देखता हूँ. "सर उससे कहते है ,फ़िर बाहर निकल आते है.
ऐसा करो शाम को बुन्दु को यहाँ शिफ्ट कर देना . रात भर रखना .सुबह ६ बजे ,वापस वार्ड में ले आना .पर ध्यान से .
मै समझ गया हूँ.
रात ११.३० बजे
होस्टल की लोबी में मेरे लिए फोन है ..सिस्टर है...
अनुराग भाई प्रिस्नर वार्ड से बार बार फोन आ रहा है.
कोई बात नही सिस्टर..आप वार्ड देखो....मै कहता हूँ....नीचे उतर कर कमरे में आता हूँ...नवाबजादे अपने आप अस्पताल छोड़ देंगे
सिगरेट के पैकेट को उठकर झांकता हूँ आखिरी सिगरेट है . जग्गू दा को देर रात शिरकत करने के लिए टेप ऑन करता हूँ सिगरेट सुलगाकर बौल्कोनी में खड़ा हो जाता हूँ . पैकेट को फेंकने से पहले उस पर लिखे शेर को पढता हूँ जो जाने किस मूड में लिखा था
" कुछ ग़म भी चाहिये, कुछ गिले भी, कुछ शिकवे भी
खुशियों से भरा रहे दिल, तो दिल सा नही रहता"