2008-06-27

खामोशी
















जी
चाहता है
हल्के से हाथो की जुम्बिश से
उस लम्स को
जो ठहरा हुआ है
तेरी चूड़ियो के काँच पर,
गिरा दूं ,
धड़कनो क़ी चादर को उठाकर
दिल मे गहरे तक
उतर जाउ
ओँधी पड़ी हसरतो को
खींच कर बाहर निकालू
ओर
उठाकर रख दूं
तेरी गोद मे
शायद
तेरे लबो पर
फिर कोई सदा आये

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