तब वक़्त चुराकर लाते थे हम दोनों
अब जब मिलते है जब फुर्सत होती है --- जावेद अख्तर
अजीब बात है आदमी गुजरे वक़्त की खिड़की में गाहे बगाहे झांकना नहीं छोड़ता है ...इस वास्ते नहीं के आज की दुनिया में उसे बड़े दुःख है .इस वास्ते के इतने सुखो के बाद भी ...
बेफिक्री ओर अल्ल्हड़पन की वो दुनिया मीलो पीछे छूट गयी है......... उस रोज हम दोनों ने सुबह से ही ही तय किया था की रात का खाना बाहर खायेंगे.... die hard पार्ट २ देखेगे
यूँ भी जब आप हॉस्टल में रहते है ..फिल्मे आप की दुनिया का एक बड़ा हिस्सा होती है ..... शहर मे दो ही हॉल ऐसे थे जो हॉलीवुड मूवी दिखाते थे ओर वे हम होस्टल मे खासे हिट थे.......
तब हमारे पास यामहा RX100 हुआ करती थी......हम सीडियो पर बैठे थे ओर जले भुने उनका इन्तजार किया उन साहब का एवेनिंग क्लीनिक था .वक़्त गुजर रहा था ओर वे लापता थे......
अचानक हमारे एक सीनियर को हमारी मोटरसाइकिल की दरकार हुई उनका नया नया अफेयर था ओर उन्हें डेटपर जाना था चलते चलते उन्होंने कुछ पैसे भी मांगे हमने अपने पास से (उन दिनों गिने चुने ही होते थे )निकालकर कुछ दे दिये उन्होंने हमें अपनी हरे रंग की लूना पकडाई ओर फ़ुर्र हो गये अब हम ओर लूना दोनों इन्तजार करनेलगे ..खैर हमारे दोस्त प्रकट हुए हमने उन्हें ढेरो गाली दी ओर लूना दौड़ा दी की मूवी छूट न जाये ।
अन्दर हॉल मे पहुंचे अंधेरे मे किसी तरह सीट टटोलते हम बैठे ,देखा अमिताभ साहब है,हमने सीट पर पैर फैलाएकी ट्रेलर ख़त्म हो ओर फ़िर ज़रा लुत्फ़ ले ...१० मिनट गुजरे .....वही कहानी ...हमने बराबर वाले से पुछा "भाईसाहेब पिक्चर कब शुरू होगी ?उसने हमें ख़ास नजरो से देखा "मियां ये क्या देख रहे हो ?
अबे तेरी...हॉल पर पुरानी डॉन दिखायी जा रही थी ओर die hard कल लगनी थी.....खैर हमने डॉन देखी ..बाहरनिकले तो भूख लग रही थी ओर लूना मे पेट्रोल ख़त्म ....साला ......उसे बारी बारी से घसीटते हूए हमें एक चय्नीसलारी दिखायी दी ,हमने फ़ौरन खाने का कुछ आर्डर दिया ,खाते खाते मैंने उससे पूछा जेब मे कितने पैसे है ?सौ सवासो होंगे ?अब दूसरी टेंशन शुरू हुई ...दोनों ने जेब टटोली कुल जमा १७० रुपये थे ..ज्यूँ त्यु खाना खाया ...बिल पूछा१६० रुपये ........
एक गोल्फ फ्लेक सिगरेट पे ओर आधा आधा मीठा पान खाया ओर लूना घसीटते हम होस्टल चल पड़े ......
तन्हाई भरे इस पर्स से मुफलिसी के वो सिक्के कितने अच्छे थे
....
अब जब मिलते है जब फुर्सत होती है --- जावेद अख्तर
अजीब बात है आदमी गुजरे वक़्त की खिड़की में गाहे बगाहे झांकना नहीं छोड़ता है ...इस वास्ते नहीं के आज की दुनिया में उसे बड़े दुःख है .इस वास्ते के इतने सुखो के बाद भी ...
बेफिक्री ओर अल्ल्हड़पन की वो दुनिया मीलो पीछे छूट गयी है......... उस रोज हम दोनों ने सुबह से ही ही तय किया था की रात का खाना बाहर खायेंगे.... die hard पार्ट २ देखेगे
यूँ भी जब आप हॉस्टल में रहते है ..फिल्मे आप की दुनिया का एक बड़ा हिस्सा होती है ..... शहर मे दो ही हॉल ऐसे थे जो हॉलीवुड मूवी दिखाते थे ओर वे हम होस्टल मे खासे हिट थे.......
तब हमारे पास यामहा RX100 हुआ करती थी......हम सीडियो पर बैठे थे ओर जले भुने उनका इन्तजार किया उन साहब का एवेनिंग क्लीनिक था .वक़्त गुजर रहा था ओर वे लापता थे......
अचानक हमारे एक सीनियर को हमारी मोटरसाइकिल की दरकार हुई उनका नया नया अफेयर था ओर उन्हें डेटपर जाना था चलते चलते उन्होंने कुछ पैसे भी मांगे हमने अपने पास से (उन दिनों गिने चुने ही होते थे )निकालकर कुछ दे दिये उन्होंने हमें अपनी हरे रंग की लूना पकडाई ओर फ़ुर्र हो गये अब हम ओर लूना दोनों इन्तजार करनेलगे ..खैर हमारे दोस्त प्रकट हुए हमने उन्हें ढेरो गाली दी ओर लूना दौड़ा दी की मूवी छूट न जाये ।
अन्दर हॉल मे पहुंचे अंधेरे मे किसी तरह सीट टटोलते हम बैठे ,देखा अमिताभ साहब है,हमने सीट पर पैर फैलाएकी ट्रेलर ख़त्म हो ओर फ़िर ज़रा लुत्फ़ ले ...१० मिनट गुजरे .....वही कहानी ...हमने बराबर वाले से पुछा "भाईसाहेब पिक्चर कब शुरू होगी ?उसने हमें ख़ास नजरो से देखा "मियां ये क्या देख रहे हो ?
अबे तेरी...हॉल पर पुरानी डॉन दिखायी जा रही थी ओर die hard कल लगनी थी.....खैर हमने डॉन देखी ..बाहरनिकले तो भूख लग रही थी ओर लूना मे पेट्रोल ख़त्म ....साला ......उसे बारी बारी से घसीटते हूए हमें एक चय्नीसलारी दिखायी दी ,हमने फ़ौरन खाने का कुछ आर्डर दिया ,खाते खाते मैंने उससे पूछा जेब मे कितने पैसे है ?सौ सवासो होंगे ?अब दूसरी टेंशन शुरू हुई ...दोनों ने जेब टटोली कुल जमा १७० रुपये थे ..ज्यूँ त्यु खाना खाया ...बिल पूछा१६० रुपये ........
एक गोल्फ फ्लेक सिगरेट पे ओर आधा आधा मीठा पान खाया ओर लूना घसीटते हम होस्टल चल पड़े ......
तन्हाई भरे इस पर्स से मुफलिसी के वो सिक्के कितने अच्छे थे
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