बारिश की बूंदे जब किसी शाम को भिगोती है .. विंडस्क्रीन पर एक तलब उभरती है .. ... माजी की गलियों की इक तस्वीर.... ... कितने रंग है उसमे ..गिनने की कोशिश ... .. .. वाइपर खामोश रहता है...जैसे किसी की आमद का इंतज़ार हो... ......सिगरेट के धुंये की चादर में धुंधले से कुछ अक्स उभरते है ...ओर गुम हो जाते है....
इत्तेफ़ाकॉ के मोडो पे,
कुछ खवाहिशे छोड़ आया हूँ,
एक रिश्ता अब भी दरमियाँ है
उसके
ओर लफ्जो के बीच
बे-इरादा
कुछ कोरे कागज
छोड़ आया हूँ
बड़ी खुश्क हुआ करती थी वो आँखे,
बादल का इक टुकड़ा
काट के घर लाया हूँ
साल की पहली बारिश है आज .........
इत्तेफ़ाकॉ के मोडो पे,
कुछ खवाहिशे छोड़ आया हूँ,
एक रिश्ता अब भी दरमियाँ है
उसके
ओर लफ्जो के बीच
बे-इरादा
कुछ कोरे कागज
छोड़ आया हूँ
बड़ी खुश्क हुआ करती थी वो आँखे,
बादल का इक टुकड़ा
काट के घर लाया हूँ
साल की पहली बारिश है आज .........