बेतरतीब सी कई सौ ख्वाहिशे है ...वाजिब -गैरवाजिब कई सौ सवाल है....कई सौ शुबहे ...एक आध कन्फेशन भी है ...सबको सकेर कर यहां जमा कर रहा हूं..ताकि गुजरे वक़्त में खुद को शनाख्त करने में सहूलियत रहे ...
2009-09-25
गुफ्तगू !!!!
देर रात .....आसमान में
उन पहाडियों के ऊपर....
वादियों के तारे .....
जब जमा होते है
दिन भर की दास्तां बांटने को....
नीचे ........
एक खाली तम्बू की ओर
इशारा करके कोई एक कहता है
"लगता है मेरे वाले को आज गोली लगी है "!
आर्मी के खुले ट्रक जब फौजियों से लदे फदे गुजरते है ...सड़क किनारे खड़े तकरीबन पांच छह साल के तीन चार बच्चे उन्हें सेल्यूट करते है ....मन में पता नहीं क्यों ख्याल आता है ..अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा गौतम जाने क्या सोचता होगा