सब ठीक तो है …ना ….मै बेवकूफी भरा सवाल पूछता हूं ….
हाँ सब ठीक ही होगा …बिस्तर में जो हूं ….वो हंसती है ..एक आध फ्रेक्चर है बस वो .फोन पे कहती है
….
उसके पास चेस बोर्ड का एक बड़ा कलेक्शन है ...अपने जन्म दिन पर वो सामने से हम दोस्तों से मांगती थी.."मुझे एक यूनिक चेस बोर्ड गिफ्ट करो..."उसके मेरे बीच एक अजीब सी अंडरस्टेंडिंग है ..साल में एक दो बार ही फोन पे बात करते है .वो भी ज्यादातर पेशेवर ...होली दीवाली पे एक दो एस एम एस इधर उधर हो जाते है . वो ऐसी ही है ..अपनी मर्जी से आपकी जिंदगी में दाखिल हो जायेगी ...अपनी मर्जी से गायब .... जब दाखिल होगी तो पूरी बेतकल्लुफी से …..
मेरे पिता के अलावा वो दूसरी ऐसी शख्स है जिसे मै अब तक चेस में हरा नहीं पाया ...विश्नाथन .आनंद की तगडी वाली फेन है......फिलहाल .वो डब्लू एच ओ में किसी बड़े ओहदे पर है .....
.बीच में एक बार ली मेरिडियन में टकरा गयी....डब्लू एच ओ के किसी प्रोजेक्ट के तहत आयी थी ...
".चल इकठे लंच करते है.."...मुझे सी एम इ से उठा कर ले गयी....
"लिखने पढने का शौक अभी बाकी है या सिर्फ पैसे कमा रहे हो ….....खाना खाते खाते वो पूछती है...
खाते खाते मै अचानक रुक जाता हूं ....".आज तो करवा चौथ है न....."
तो ....तुम तो ऐसे रुक गए हो जैसे अमेरिका में दूसरी कोई इमारत उडी हो .. .तुम भी तो खा रहे हो !
नहीं.....मै ....!!
मेरे मियां ने तो कभी इस दिन शराब नहीं छोडी ..!
मै हक्का बक्का उसका चेहरा देखता हूं …..
चिंता मत करो …… …..मेरा डाइवोर्स हो गया है....!
आई ऍम सॉरी …!
वो मुस्कराती है …"लेप टॉप लेकर घूमेगे …. जेब में नया लेटेस्ट मोबाइल …पर मन में वही करवा चौथ …"
हंस कर सच बाते कहना उसकी फितरत है
.जानता था उसकी शादी शुदा जिंदगी में पिछले कुछ सालो से कुछ उथल - पुथल है पर कुछ चीजे बेहद निजी होती है उनमे यूं ही एंट्री नहीं ली जाती ....ओर कुछ सवाल पूछना उनके जवाब सा ही मुश्किल होता है
उसने मेरी आँखों के सवाल को शायद पढ़ लिया है .....…इसलिए वो दो वक़्त को एक साथ जोड़कर लाती है......
"ज्यादा पढ़े लिखे लोगो के नाखून अद्रश्य होते है . साथ रहकर ही दिखते है …....कभी कभी .औरत अपने भीतर रुक जाती है....मै भी कुछ साल रुकी रही...."...पर फिजिकल वोइलेंस…के साथ शराब …उसे डाइजेस्ट करना मुश्किल था ….सो ...एक रोज … मैंने भी दो जोरदार पंच .... गिर पड़ा …... हगामा मच गया....
"इन शोर्ट ….बाहर " … वो हंसती है ....
सब कुछ उसकी हंसी जैसा आसान नहीं था …उन खरोंचो से बाहर निकलना .... दोबारा पी एच डी करना ..पढने के लिए बाहर जाना !
"अब ! .....मै पूछता हूं.....
.हर खाने की अपनी मुश्किलें है …नाते रिश्तेदार ..कभी कभी तो ऐसा लगा जैसे कन्फेशन बोक्स में खड़ी हूं.....वो जिसे हम समाज कहते है ना... इसका बड़ा तंग जुगराफिया है यार .....एक तलाक़ के बाद औरत "सेकंड हेंड "हो जाती है....
उसे चाइनीज पसंद है ...ओर बीच बीच में ब्लेक कोल्ड ड्रिंक के घूंट भरना ....
औरतो को यूटीलाइज करने के लिए कंडीशंड करने वाले समाज के फोर्मेट हर तबके हर क्लास के अलग है ..जब भी सामने वाले को पता लगता है अकेली हूं... .डाईवोरसी ..उसका बिहेवियर बदल जाता है . जैसे साला कोई नोटिस बोर्ड टंगा हो "अवलेबल "....तुम अस्सी प्रतिशत मर्द एक सा सोचते है ...आँख की स्क्रीन पे लिखा आ जाता है...”पकड़ लो.”... वो किसी ने कहा था ना....... …... जिस्म पे गोश्त चढ़ते ही आदमी की नीयत बदल जाती है........... ठीक लिखा था ..
पीछे फिश पोंड में तैरती मछली एक पल को रुक गयी है .जैसी उसकी बात की तसदीक कर रही है …
घर !!
वो बिस्तर पे है ...मुझे देख मुस्कराती है..चेस बोर्ड उसके किनारे रखता हूं......
थोबडे की सूरत ज्यादा तो नहीं बिगडेगी ना ....वो पूछ रही है .....
फिर एक्सीडेंट का खुलासा होता है ...
....रात को गाड़ी से लौट रही थी तो पीछे कुछ शोहदे लग गये ....बदतमीजी करने लगे … सो गुस्सा आ गया ... अपनी कार उनकी मोटरसाइकिल में मार दी..पर ..…
कुछ देर वहां बैठकर मै निकलने के लिए उठा हूं....आंटी कहती है .
"समझा उसको...….सरफिरी है …."...
सरफिरी! मै बाहर निकल आया हूं.....
ऐसे सरफिरे हालात की बिसात पे बरसो से मात खा रहे है.!
त्रिवेणी-
फलांग जाता है कुछ किस्से...... कही देर तक रुकता है
शोहरत के मोडो पर मगर अक्सर चौपाले लगती है.......
एक कमज़ोर लम्हा मेरे माजी का अक्सर मुस्कराता है