2009-12-23

हर दिन साहूकार सा,...हर लम्हे का कुछ मोल है .



"सुन तू पापा से बात कर  ना .....मुझे अभी शादी नहीं करनी ...मुझे अभी पढना है यार ....वो  रुआंसी   हो उठी   दी  को देखता   है ...
अचानक दी छोटी हो उठी  है ....८ साल   की दी....स्कर्ट पहने उसका हाथ पकडे ...उसका स्कूल में पहला दिन है ..उम्र  तकरीबन .तीन साल   ....
"मैडम मै अपने पास बिठा लूं  इसे? .....रोयेगा "...दी मैडम से विनती सी कर रही है ...मैडम  उसे प्री नर्सरी में बैठा कर आने को कह रही  है ...दी उसे  बैठा रही  है ..
"मै यही हूं  इस दीवार के पार "...उसके बाल ठीक करके दी जा रही है .....
वो अपने आस पास के बच्चो को देखता है ...फिर दरवाजे को....दी वही खड़ी  है दरवाजे पे....
"तू सुन रहा है "...दी उसे आवाज  . दे रही है ........दी अब भी दरवाजे  पे है ....
..."वो मुस्कराता है ... चिंता   मत  कर ... अपुन दोनों फाइट करेगे ....


"जाने क्या निस्बत है कि शब जाते जाते
रोज याद का कासा छोड़ जाती है .....
हर सुबह एक लम्हा पड़ा मिलता है"

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