2010-03-09

के .....खुदगर्जी का सफ़र तो जारी रहेगा .....

स्टोर  भी बड़ी अजीब शै है .... ....सजायाफ्ता  मुजरिम सा  अलहदा   किसी कोने में  खामोश खड़ा रहता है ..... भीतर कई  अफ़साने छिपाये..... .हर सामान जैसे एक  रिश्ते का नाम लिए बैठा है.....यूं भी  जो चीज   ढूँढने जाओ वो  मिलती नहीं ... उधर  कुछ गिरा है ..... बायो  केमिस्ट्री की किताब  है    ..दो चार पर्चिया झाँक रही है ..किसी फ़ॉर्मूले  का पता देती  सी... एक साथ कितनी तस्वीरे.. फ्लेश  करती है  दिमाग में .....   वक्त  में जरा भी सेन्स नहीं है  .....कुछ भी फ्लेश कर देता है  दिमाग में .....   ..मोबाइल" व्हिसल" दे रहा  है ...किसी का जन्मदिन बताता है ...अब जन्मदिन याद रखने .की सहूलियत के वास्ते कई सिस्टम  है . साइंसदान  कहते है...साइंस   दिमाग  को ओवरलोड  से  बचाती   है ... पर दिल ….वो साला   साइंस  के इशारो को  नहीं समझता ...  ओवर टेक   करता   है.... कही अटका रहता है…….जिंदगी की  इन  तंग  गलियों  के  मोड़ो से ....इत्ते  सालो   बाद  भी वाकिफियत  नहीं है..........पता नहीं दिल के वास्ते कोई "पॉवर स्टेरिंग  "  कब ईजाद होगा .....


आओ दराजे  टटोले कुछ.....
कुछ सफ्हे पलटे ...
दीवार के पेंट को खुरचे थोडा सा
मुमकिन है
के
शायद सांस लेते
या ओंधे पड़े सुस्ताते
कोई नया पैरहन पहने
 वे कही ...
मिल जाये
अरसे  से ……
एक शुक्रिया  मुझ पर  बाकी है



अलमारी के दरवाजो पर इम्तिहान  के दौरान लिखे कोटेशन ......ढेरो .न्युमोनिक्स ओर पिछले गुजरे सालो  से मौजूद  कई  जुदा शक्लो में मौजूद  लफ्जों को .....जो कलेजे भर का हौसला देते थे .....गैर इम्तिहानो दिनों में भी...नाजुक मौको पे ......
 गोया खुदगर्जी का सफ़र तो जारी रहेगा

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails