2010-05-25

खुरदुरी बायोग्राफी के दो खुरदुरे एबस्ट्रेक्ट.......

नोस्टेल्जिया भी  विस्थापित होता  है ....
वो हमसे दो साल बड़ा  था   ..जब  हम दसवी में थे   वो  ग्यारहवी  में ....मेथ्स की .ट्रिगनोमेट्री  अबूझ पहेली थी ..कुछ कुछ डरावनी भी ...उसने डर निकाला ..." बोर्ड के  मेथ्स  के एक्जाम  में ....हौसला देने सुबह   वो  अपनी साइकिल  से मेरे सेंटर तक मेरे साथ  आया था......उसके पिता  ने रायपुर में रहते रहते दूसरी शादी कर ली  थी..अचानक उसकी दुनिया  बढ़ी  हो गयी थी ....वो   भी....जब हम शाम को  पार्क में क्रिकेट  खेल रहे होते ..वो   ट्यूशन  पढ़ा रहा होता ......सन्डे के दिन .कुछ देर खेलने आता तो उसकी मां कोने से आवाज देती  "बब्बू ".....बड़ी चुभती  थी वो आवाज....दो साल बाद  ....पहले ही  अटेम्प्ट   में  इंजीयरिंग में उसका एडमिशन हुआ ....दो बहनों के  रहने का  डर मां पर हावी हो गया .ओर बब्बू ट्यूशन  में ऐसा  उलझा के फिर कभी निकल न सका ...... गाडी मोड़ते हुए देखता हूँ........ उसके घर के बाहर अब भी साइकिलो की लम्बी कतारे है…... वो अब  हमसे कई साल बड़ा है .....

समय की नोक पर टिके  आदमी..... तुम  किसी पहले का ही मेटा मोरफोसिस हो

हने वाले कहते है ....."ओरिजनल" मिडिल क्लास  नहीं  रहा ..इसकी भी कई क्लास हो गयी है  ..हर दो चार साल बाद    . नए एडिशन भी  निकल रहे  है  .... मध्यमवर्गीय ईगो" वो भी .ओरिजनल नहीं  रहा.... ...अब वाले में दिखावे ओर  छिछोरेपन की परसेंटेज़ ज्यादा  है "....... फिमेल वाइग्रा भी अब लौंच हो गयी है ....   भगवान्  अब स्लो मोशन में नहीं चलता है ...कलयुग .ओर सतयुग जैसे सौ सालो का कांसेप्ट चला गया है ..हर दस साल में भगवान्  कदम बढ़ा देता है ..  ओर दुनिया भी  बदल  जाती है ......जेनरेशन गेप अब भाइयो के बीच बैठ के हँसता है   ... ... प्रायश्चित करने के लिए  मंदिर मस्जिद के दरवाजे पे जाने के बजाय ..कंप्यूटर पे "एपोलोज़ी डोट कोम" पे अपने गुनाह लिखकर आराम से  मेगी नूडल्स खा कर सोया जा सकता है ....सन्डे के दिन राजमा छोंक कर चूल्हे पर चढ़ा कर नीता दीदी अख़बार फैलाकर "वधू चाहिए" वाले कोलम को ढूंढ कर उस पर गोल घेरा के निशान नहीं  लगाती है ......ना छोटी वाली  उनके सर पे से सफ़ेद बाल  चुन चुन के  निकालती है ...शादी डोट कोम पे दोनों बहने शीट -पिट करती है. मल्होत्राइन का. छोटा पिंकू .......स्कूल जाने के लिए .ए.सी वेन से जाता है उसके स्कूल के सारे कमरे  ए. सी  है ..... ..... . पिंकू को बड़े होकर "इन्डियन -आइडोल”  बनना  है....…….बारहवी में ग्रेस मार्क लेकर पास हुई मल्होत्राइन की    बड़ी बेटी.".बेबी ".एम् टी.वी के रोडिस में   अंग्रेजी -हिंदी की कई गलिया देकर   डी. जे बन लाखो रुपये महीना  कमाने लगी  है ..      अभी अभी एक टी वी कमर्शियल   भी मिला है .   . उसकी क्लास के टोपर.. .बिट्टू की आँखों पर बड़े बड़े मोटे चश्मे है.  रोज  पोस्ट ऑफिस में कई  कम्पीटीशन फ़ार्म  भरके रजिस्ट्री कराता है…....शर्माइन  को लगता है   ..... बिट्टू की बुरी सोहबत से उनका लड़का "डल' होने लगा है ...अब ज़माना स्मार्ट लोगो का है …." …..अंग्रेजी बोलना स्मार्टनेस की अनिवार्य शर्त है....
अपना बकाया लेने आयी. माया को पैसे देते वक़्त..मल्होत्राइन उसका "करेक्टर सर्टिफिकेट " पकड़ा रही है.....उनीस साल की माया ..हाथ में एक साल .ओर पेट  में  ४ महीने के बच्चे को लिए सुबह सात बजे काम पे आ जाती थी  .... जिस रोज  चेहरा सूजा होता है ..उस दिन दूर से नमस्ते नहीं करती थी ...नजर झुका कर गुजरती थी ... . ऐसी हिन्दुतानी औरते शानदार  पंचिंग बेग है .....आफ्टर इफेक्ट्स ऑफ़ शराब ...........मल्होत्राइन  रोज उसे झिड़कती थी  ...बच्चे को लाने पे.... .कहाँ छोड़े ?बाप को फेफड़ो का  टी.बी खा गया .....मां पिछले बरस गुजर गयी ...उससे ढाई साल छोटी खुद दूसरे घरो में  जाती है  ... बिना कोम्पप्लेन" पिये ही उसका बेटा  बड़ा हो रहा है....सुना है अपनी कोख किराये पे देने के लिए गुजरात के अनंद  में शिफ्ट हो रही  है ........तीन लाख रुपये  मिलेगे ...ओर गर्भवस्था तक मेंटेनेस के लिए कुछ हज़ार रुपये ..
कलजुग है .कलजुग.....मल्होत्राइन की सास कानो पे  हाथ रखके  युग बदलने की कन्फर्मेशन दे रही है ..... बेबी अपने मोबाइल से  कोई नॉन वेज़ जोक फोरवर्ड कर रही है  सामने वाले घर में  बिट्टू शर्मा जी  से  किसी फॉर्म पर साइन करवा रहा है . बराबर में धोबी भी खड़ा है ....फॉर्म साइन करते करते धोबी  के प्रेस के एक रुपये से डेड रुपये  बढाने  पर शर्मा जी उसे डांट रहे है …..सरकारी  मुलाजिम है शर्मा जी.... .गजेटेड ऑफिसर…. सरकार अब भी मानती है के केवल सरकारी अफसर सच बोलते है..
.टूटे हत्थे वाली  आराम कुर्सी पे बैठे त्यागी अंकल बाहर वाले  आँगन में   अपने पोते  से अखबार सुन रहे  है ...दोनों पोतो को डयूटिया अलग अलग दिन है ....काले पानी का असर दोनों आँखों पर है ... बारीक अक्षर धुंधले दिखते है ... इस बदलती दुनिया में उनके पोते उम्मीद के सी ऍफ़ एल   बल्ब जलाते है...

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