वो दिसंबर के आखिरी हफ्तों वाली सर्द रात थी ..आधी रात मोबाइल ने जगाया था
"दुनिया भर की लडकिया एक सी होती है प्यार दिल से करती है ओर फैसले दिमाग से ".......उस ओर नशे में रुंधी आवाज .....
"नीलाभ "??
......"तुम्हारी" डेस्टिनी" वाली सुई अब मुझपे आकर रुकी है " उदास हंसी !
"तू कहाँ पे है"? अकेला है या कोई साथ में है ? मै उनीदी आँखों से घडी देखी थी .. फोन के बैक ग्रायूंड में शोर था .वो बाहर था ...यू एस में इतने कडाके की ठण्ड में .
"मै उससे प्यार करता था यार ...."
इस सवाल का जवाब बरसो से जाने किस तहखाने में दफ़न है ! ! !
"मुझे लगा उपर वाला मुझे बाईपास कर जायेगा .....पर उसके पास भी मार्कर है शायद !"
कोई बात नहीं ,वक़्त ही है साला गुजर जाएगा ..नहीं तो धक्का दे देंगे इसे .....मैंने उसे झूठा दिलासा दिया
"साले खुदा के ओफ्फिस में घूस नहीं चलती तुझे तो मालूम ही है ."
बरसो बाद दुनिया के अपने अपने हिस्से में एक दूसरे को बिना बताये हम फोन के दूसरी तरफ रोये थे .!
बाज वक्तो में कुछ ग़म कित्ते बड़े ग़म मालूम होते है .....दिल के ग़म !
कोई डेड महीना गुजरा मैंने ऐहेतियातन ख़ामोशी ओढ़ ली ...वो वक़्त ऐसा ही होता है" इम्तेहानी किस्म" का ....बड़ा तकलीफ देह .....मीलो दूर तक फैली ठंडी सन्नाटो भरी सडको सा ..जो कहाँ ख़त्म होती है दिखता नहीं !
वो फिर फ़ोन पर था ......इस दफे संभला हुआ , थोडा संजीदा
."बैचैन रहा यहाँ वहां भटका .....हॉस्पिटल नहीं गया .....कुछ दिनों बाद हॉस्पिटल गया तो एक 16 साल की नीग्रो लड़की को देखा ....प्रेगनेंट....वो भी ट्विन्स .....हॉस्पिटल स्टाफ ने .बहुत समझाया एबोरशन के लिए ...नहीं मानी ...बोली लड़ लूंगी ...कर लूंगी .जी लूंगी ........16 साल की लड़की यार ! ओर हम साले पढ़े लिखे आदमी !!....दुनिया ख़त्म करे बैठे है ! मै किससे खौफ जदा हूँ यार ...किससे भाग रहा हूँ .....खुद से ."
बीच में वही गैप जो अक्सर सिगरेट के कश लेने के दौरान होता है ...
कई रोज से अस्पताल में एक बूढ़ा बीमार हालत में था ,आया था तो तीन दिन तक रोता रहा ..अपने बेटो को याद करके .वे उसे घर में नहीं रखना चाहते .........दो दिन पहले उसके बेटो को बुलाया गया .कायूँसिलिंग की ...जब वे तैयार हो गए तो अचानक उस रात बूढ़े ने मना कर दिया मुझसे बोला "डॉ वे अपने भीतर से मेरे लौटने का वेलकम नहीं करते .....प्रेशर में कर रहे है ,मै ऐसा रिश्ता नहीं चाहता .....
फिर वही गैप.....
" जानते हो उस रात घर लौटते वक़्त मुझे लगा मै भी तो ऐसा ही कर रहा हूँ ......".दूसरा शख्स उस रिश्ते को जारी नहीं रखना चाहता ..ओर मै उसे इस रिश्ते में रोकना चाहता हूँ क्यों ? क्यूंकि मै उससे प्यार करता हूँ...पर मै ये क्यों नहीं एक्सेप्ट करना चाहता की अब वो मुझसे प्यार नहीं करता ...ये तो एकतरफा प्यार जैसी जिद हुई ना ."
इस बार दो कश वाला गैप ...
"तय कर लिया उसकी फीलिंग की रेस्पेक्ट करूँगा ओर "वी वाल्क लाइक एडल्ट " ! (एक सांस ).....................मुश्किल था पर सच है ..."
.ऐसा लगा जैसे उसकी सिगरेट भी ख़त्म हो गयी है ...या उसने खाली जलने छोड़ दी है ...
"सुन ,डब्लू .एच .ओ में अपलाइ किया है ,,,कुछ पोसिटिव साइन है निकल जायूँगा"
"ओर अमेरिका .....तेरा तो सपना था ....अब पूरा होने वाला है फिर ....."
"कुछ है जो सपनो से अलग है ....क्या है ?एक्सप्लेन नहीं कर सकता ..टेम्परेरी है या परमानेंट ... नहीं जानता ..पर कुछ है "........
.वो संजीदा था उसकी संजीदगी के बेकग्राउंड में गम की मिलावट नहीं था ...एक अजीब सी मजबूती थी ....
"तू ठीक है ना ?
हाँ ....
जिंदगी की तलबो में फेरबदल लाजिमी है ..
उसके बाद मेरे मोबाइल में अजीब अजीब से नबर सेव होते फिर बदल जाते ! .अलग अलग देशो से अलग अलग वक्तो में कई देश अफ्रीका नाम्बिया .इथोपिया .. ..इराक ओर न जाने कहाँ कहाँ ...साल दर साल गुजरे....
उसकी बाते बदलनी लगी " जो दुःख "मेरे" के दायरे से बाहर हो वो हमारे लिए इंडिकेटर है ....ओर हम सोचते है कोई दूसरा रुक जायेगा"
अपने पिता की खबर सुनकर सिर्फ तीन दिन के लिए आया था वो...माँ उसकी पहले से नहीं थी....उसके शहर तक जाने में वक़्त लगता है .हम चार घंटे के लिए साथ थे उस दिन. पर बात सिर्फ कुछ मिनटों के लिए हो पायी थी ...उसके घर में कमरे की बालकोनी में ..... .मैंने सिगरेट छोड़ दी है पर मै उससे कहता नहीं . वो अपने हाथ की सिगरेट बात करते करते आगे बढाता है तो ...पी लेता हूँ
" ये देश बीमार है ... मर रहा है.... डाइगनोस सब कर लेते है ...कारणों को भी पहचान लेते है पर कमाल है इसे रोकने के लिए कोई कुछ करता दिखाई नहीं देता .....उसके पास कहने को बहुत कुछ है ,वो बहुत से चीजों को दुरस्त करना चाहता है !
तरकीबन सात महीने बाद
उसके भाई फोन पर है ..मुझे लगा उसकी शादी की बाबत या भारत लौट कर आने के बारे में मुझसे कहेगे.......पर उनकी नाराजगी दूसरी है ........ तुम्हारा दोस्त पगला गया है ...करोडो की जमीन ट्रस्ट को दे रहा है ....स्कूल चलायेगे ... ज़माना अब वैसा नहीं रहा है....इंडिया के हालात उसे पता नहीं है "
वे ओर भी बहुत कुछ कहते है ......पर मुझे सुनाई नहीं देता !
पिता से वसीयत में मिली जायदाद .को वो......
.दुनिया का एक्सपोज़र अपने आप में एक अलहदा किस्म की किताब है ! तमाम वक़्त गुजर जाते है ,ऐसे वक़्त भी जो लगता है गुजरेगे नहीं....
"दुनिया भर की लडकिया एक सी होती है प्यार दिल से करती है ओर फैसले दिमाग से ".......उस ओर नशे में रुंधी आवाज .....
"नीलाभ "??
......"तुम्हारी" डेस्टिनी" वाली सुई अब मुझपे आकर रुकी है " उदास हंसी !
"तू कहाँ पे है"? अकेला है या कोई साथ में है ? मै उनीदी आँखों से घडी देखी थी .. फोन के बैक ग्रायूंड में शोर था .वो बाहर था ...यू एस में इतने कडाके की ठण्ड में .
"मै उससे प्यार करता था यार ...."
इस सवाल का जवाब बरसो से जाने किस तहखाने में दफ़न है ! ! !
"मुझे लगा उपर वाला मुझे बाईपास कर जायेगा .....पर उसके पास भी मार्कर है शायद !"
कोई बात नहीं ,वक़्त ही है साला गुजर जाएगा ..नहीं तो धक्का दे देंगे इसे .....मैंने उसे झूठा दिलासा दिया
"साले खुदा के ओफ्फिस में घूस नहीं चलती तुझे तो मालूम ही है ."
बरसो बाद दुनिया के अपने अपने हिस्से में एक दूसरे को बिना बताये हम फोन के दूसरी तरफ रोये थे .!
बाज वक्तो में कुछ ग़म कित्ते बड़े ग़म मालूम होते है .....दिल के ग़म !
कोई डेड महीना गुजरा मैंने ऐहेतियातन ख़ामोशी ओढ़ ली ...वो वक़्त ऐसा ही होता है" इम्तेहानी किस्म" का ....बड़ा तकलीफ देह .....मीलो दूर तक फैली ठंडी सन्नाटो भरी सडको सा ..जो कहाँ ख़त्म होती है दिखता नहीं !
वो फिर फ़ोन पर था ......इस दफे संभला हुआ , थोडा संजीदा
."बैचैन रहा यहाँ वहां भटका .....हॉस्पिटल नहीं गया .....कुछ दिनों बाद हॉस्पिटल गया तो एक 16 साल की नीग्रो लड़की को देखा ....प्रेगनेंट....वो भी ट्विन्स .....हॉस्पिटल स्टाफ ने .बहुत समझाया एबोरशन के लिए ...नहीं मानी ...बोली लड़ लूंगी ...कर लूंगी .जी लूंगी ........16 साल की लड़की यार ! ओर हम साले पढ़े लिखे आदमी !!....दुनिया ख़त्म करे बैठे है ! मै किससे खौफ जदा हूँ यार ...किससे भाग रहा हूँ .....खुद से ."
बीच में वही गैप जो अक्सर सिगरेट के कश लेने के दौरान होता है ...
कई रोज से अस्पताल में एक बूढ़ा बीमार हालत में था ,आया था तो तीन दिन तक रोता रहा ..अपने बेटो को याद करके .वे उसे घर में नहीं रखना चाहते .........दो दिन पहले उसके बेटो को बुलाया गया .कायूँसिलिंग की ...जब वे तैयार हो गए तो अचानक उस रात बूढ़े ने मना कर दिया मुझसे बोला "डॉ वे अपने भीतर से मेरे लौटने का वेलकम नहीं करते .....प्रेशर में कर रहे है ,मै ऐसा रिश्ता नहीं चाहता .....
फिर वही गैप.....
" जानते हो उस रात घर लौटते वक़्त मुझे लगा मै भी तो ऐसा ही कर रहा हूँ ......".दूसरा शख्स उस रिश्ते को जारी नहीं रखना चाहता ..ओर मै उसे इस रिश्ते में रोकना चाहता हूँ क्यों ? क्यूंकि मै उससे प्यार करता हूँ...पर मै ये क्यों नहीं एक्सेप्ट करना चाहता की अब वो मुझसे प्यार नहीं करता ...ये तो एकतरफा प्यार जैसी जिद हुई ना ."
इस बार दो कश वाला गैप ...
"तय कर लिया उसकी फीलिंग की रेस्पेक्ट करूँगा ओर "वी वाल्क लाइक एडल्ट " ! (एक सांस ).....................मुश्किल था पर सच है ..."
.ऐसा लगा जैसे उसकी सिगरेट भी ख़त्म हो गयी है ...या उसने खाली जलने छोड़ दी है ...
"सुन ,डब्लू .एच .ओ में अपलाइ किया है ,,,कुछ पोसिटिव साइन है निकल जायूँगा"
"ओर अमेरिका .....तेरा तो सपना था ....अब पूरा होने वाला है फिर ....."
"कुछ है जो सपनो से अलग है ....क्या है ?एक्सप्लेन नहीं कर सकता ..टेम्परेरी है या परमानेंट ... नहीं जानता ..पर कुछ है "........
.वो संजीदा था उसकी संजीदगी के बेकग्राउंड में गम की मिलावट नहीं था ...एक अजीब सी मजबूती थी ....
"तू ठीक है ना ?
हाँ ....
जिंदगी की तलबो में फेरबदल लाजिमी है ..
उसके बाद मेरे मोबाइल में अजीब अजीब से नबर सेव होते फिर बदल जाते ! .अलग अलग देशो से अलग अलग वक्तो में कई देश अफ्रीका नाम्बिया .इथोपिया .. ..इराक ओर न जाने कहाँ कहाँ ...साल दर साल गुजरे....
उसकी बाते बदलनी लगी " जो दुःख "मेरे" के दायरे से बाहर हो वो हमारे लिए इंडिकेटर है ....ओर हम सोचते है कोई दूसरा रुक जायेगा"
अपने पिता की खबर सुनकर सिर्फ तीन दिन के लिए आया था वो...माँ उसकी पहले से नहीं थी....उसके शहर तक जाने में वक़्त लगता है .हम चार घंटे के लिए साथ थे उस दिन. पर बात सिर्फ कुछ मिनटों के लिए हो पायी थी ...उसके घर में कमरे की बालकोनी में ..... .मैंने सिगरेट छोड़ दी है पर मै उससे कहता नहीं . वो अपने हाथ की सिगरेट बात करते करते आगे बढाता है तो ...पी लेता हूँ
" ये देश बीमार है ... मर रहा है.... डाइगनोस सब कर लेते है ...कारणों को भी पहचान लेते है पर कमाल है इसे रोकने के लिए कोई कुछ करता दिखाई नहीं देता .....उसके पास कहने को बहुत कुछ है ,वो बहुत से चीजों को दुरस्त करना चाहता है !
तरकीबन सात महीने बाद
उसके भाई फोन पर है ..मुझे लगा उसकी शादी की बाबत या भारत लौट कर आने के बारे में मुझसे कहेगे.......पर उनकी नाराजगी दूसरी है ........ तुम्हारा दोस्त पगला गया है ...करोडो की जमीन ट्रस्ट को दे रहा है ....स्कूल चलायेगे ... ज़माना अब वैसा नहीं रहा है....इंडिया के हालात उसे पता नहीं है "
वे ओर भी बहुत कुछ कहते है ......पर मुझे सुनाई नहीं देता !
पिता से वसीयत में मिली जायदाद .को वो......
.दुनिया का एक्सपोज़र अपने आप में एक अलहदा किस्म की किताब है ! तमाम वक़्त गुजर जाते है ,ऐसे वक़्त भी जो लगता है गुजरेगे नहीं....