वो डे स्कोलर थी घर से कोलेज .......कोलेज से घर ....उस उम्र की ज्यादातर लडकियों की तरह .जो अपनी माँ को दिन भर की सारी बात बताती.है ...उन सहेलियो के साथ उसका ज्यादा वक़्त बिताती जो स्कूल टाइम से उसके साथ थी ...टोपर खानदान की टोपर बिटिया ... कुल जोड़ निकाले तो एक आदर्श लड़की ......ओर वो हॉस्टल वाला था ...उसका अपना बिगडैल गैंग ...पढाई में साधारण ....दुनिया की ज्यादातर बुरी आदते उसमे थी ... .वो हमेशा अगली बैंच पर बैठती ओर वो पिछली दो बैंचो के दरमियाँ रहता....... वो हमेशा क्लास टॉप करती वो बमुश्किल पास होता वो अपने में सिमटी ओर वो दुनिया भर के लिए खुला ...... अक्सर हॉस्पिटल के बाहर वाले कोने में सिगरेट पीते कभी कभी दिख जाता या अपनी "गर्ल फ्रेंड" के साथ किसी पिक्चर हौल में .....उसकी गर्लफ्रेंड जूनियर बैच में थी ...जो ज्यादा वक़्त जींस में रहती ...कोलेज के सारे लड़के जिस पर लट्टू रहते ...उसकी क्लास के भी ...कुल मिलाकर उन दोनों ने आपस में पूरे तीन सालो में शायद छह दफे बात की हो ..गोया वे न बेहद अच्छे दोस्त थे न दुश्मन .ओर हाँ उसे कभी प्यार नहीं हुआ था ओर वो आठवी क्लास में ही अपने टीचर के प्यार की पहली कम्पलसरी शर्त पूरी कर चूका था .
उनकी पहली मुलाकात ........जिसे मुलाकात कहा जा सकता है कोलेज के फेस्टिवल दिनों में हुई थी ..उस दिन वो जब घर से कोलेज के लिए निकली थी तो रेडियो पर "ओ हँसनी" बज रहा था ......उसकी "गर्लफ्रेंड "घर गयी हुई थी .... ...वो शायद .कही से भागा आया था हांफ रहा था .....तभी उसने उससे पूछा था
तुम मेरी पार्टनर बनोगी ?
गेम था मेल पार्टनर की शेव बनाकर दौड़कर दूसरे किनारे जाकर एक मेडिकल पज़ल सोल्व करनी है जो पहले करेगा वो जीत जाएगा .
"मैंने कभी शेव नहीं बनायी"
उसमे करना क्या है ...लेदर बना कर शेव करना है फटाफट .....कम ऑन !!
वो उसके साथ आयी है .
वो शेव करते वक़्त उसका चेहरा छील देती है ...पर पज़ल सोल्व पांच सेकण्ड में कर देती है
वे दोनों जीत गये है....उसे .उसके चेहरे पर खून देखकर अफ़सोस है वो रुमाल से पोछ रहा है.पर जीत से खुश है.
विनिंग गिफ्ट है ... शहर के फेमस चाइनाइज़ रेसटरोनेंट में लंच के दो कूपन अगले एक हफ्ते तक वेलिड है .
"सन्डे चलोगी .
"मम्मी से पूछना पड़ेगा सन्डे के लिए"
उसके दोस्त उसे आवाज दे रहे है,
"ये कूपन रखो ..अगर मम्मी हाँ बोले तो सन्डे मेरे साथ चलना नहीं तो अपनी किसी फेवरेट सहेली के साथ हो आना ...शनिवार को मेरा मैच है इंजीयरिंग कोलेज से ..
उसने सोच लिया था वो उसके साथ नहीं जायेगी ...कल ही उसे कूपन थमा देंगी .
अगले तीन दिन तक वो क्लास में नहीं आता .....अजीब अहमक है उसे गुस्सा आता है ....उसकी गर्लफ्रेंड दिखती है ..उससे पूछू क्या ? नहीं खामखाँ पता नहीं क्या सोचेगी ? पर ये है कहाँ ?
शनिवार सुबह वो अपना काइनेटिक कोलेज में पार्क कर रही है ....कोई मोटरसाइकिल आकर रूकती है
क्या कहा मम्मी ने ? वही है
वो सर हिलाती है
गुड ....कैंटीन के सामने ठीक एक बजे .......फुर्र से मोटरसाइकिल से गायब .
अजीब आदमी है ! पता नहीं वो इसके साथ क्यों जा रही है .. अपनी गर्लफ्रेंड को क्यों नहीं ले जाता ! वो अपनी "बेस्ट फ्रेंड "की शरण लेती है . डिफेंसिव मत रहना ...."अटैक इस बेस्ट डिफेन्स " वो तुम्हारी आँखों की तारीफ़ करेगा ,तुम्हारे कपड़ो की ....तुम्हारी बात बात में तारीफ़ करेगा भाव मत देना .
सन्डे दोपहर एक बजे कोलेज कैंटीन के सामने
तुम्हारी गर्ल फ्रेंड शहर में नहीं है क्या
गर्लफ्रेंड ?
वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं है ?
साथ घूमने से कोई गर्लफ्रेंड हो जाता है
वो उसे घूरती है ...आधा दिन तुम लोग साथ गुजारते हो .
हम्म .वो अपनी बाईक में झुककर नीचे कुछ चेक करता है
"साथ रहने से प्यार होने की प्रोबेबलिटी ज्यादा होती है ".....वो फिर कहती है
वो मुस्कराता है ."लडकियों में "
हाँ लडकियों में ...
जानती हो हम जिसके साथ वक़्त गुजारते है दिल के भीतरे हिस्से से उसके बारे में सब जानते है ."..सब !!
वैसे हम दोनों के बीच बहुत अच्छी अंडर स्टेंडिंग है वो किसी ओर को पसंद करती है ओर हम दोनों के बीच प्यार नहीं होने वाला
वो अब भी बाईक में नीचे झुक कर कुछ कर रहा है
तुम्हारे बारे में ज्यादातर लोगो की राय अच्छी नहीं है
उसे लगा वो बाईक छोड़कर गुस्से में खड़ा होकर कुछ कहेगा .पर वो नीचे झुका हुआ कहता है
"ओपिनियन पोल" हाईवे के ट्रक ड्राइवर की तरह होते है ..उन पर एतबार नहीं करना चाहिए ...ओर ये अच्छी बुरी चीज़े बड़ी कमाल की होती है ... शायद पंद्रह साल बाद अच्छा" बुरा" हो जाए ओर बुरा "अच्छा "
फिर नजरे उठकर उसकी आँखों में देखता है ....कभी ड्राइव किया है हाई वे पर
फिर साथ क्यों घूमते हो
हम दोनों एक दूसरे की कम्पनी रेलिश करते है ....दैट्स ईट .
उसने रास्ते में कही ब्रेक नहीं मारे ...बाइक भी तेज नहीं चलायी...वो पिछला हिस्सा पकड़ कर सेफ डिस्टेंस पर बैठी रही .पर उसके ड्यू की खुशबु अच्छी है
उसकी बाईक चाइनीज़ रेस्ट्रोरेन्ट के बाहर आकर रुकी है
....तुम नॉन वेज खाती हो ?
आई लव नॉन वेज .मम्मी के हाथ का खायोगे तो उंगलिया चाटते रह जाओगे
वो उसकी ओर देखता है " मैंने अभी अभी रेलिश करना सीखा है ...एक सीनियर हाँ ओर ना के बीच था तो अपना दुःख बांटने के लिए यहाँ ले आता था.....मै सिर्फ सूप पीता ओर उसकी बात सुनता धीरे धीरे जब टेस्ट डेवलप हुआ तो उसकी गर्लफ्रेंड ने हाँ बोल दी ओर .....आई ओ दिस टेस्ट टू देयर लव ...
"रेलिश "!! तुम चीजों को रेलिश बहुत करते हो
वो नोट करती है ..... उसकी एक दिन की बड़ी दाढ़ी है ग्रीन ग्रीन सी...... शेव बनाकर भी नहीं आया बेवकूफ ! वो होती तो ........
.रेस्तरा में "ओ हंसनी "का इंस्ट्रूमेंटल बज रहा है
मुझे ये गाना बहुत पसंद है वो कहती है
मुझे भी
वो बतलाना चाहता है वो अपनी सो काल्ड गर्लफ्रेंड के साथ दो बार आया है पर जाने क्यों रुक गया है .इस लड़की के अन्दर एक अजीब सा इनोसेंस उसे पसंद है ...घर लौटते वक़्त वो याद करती है उसने उसकी तारीफ़ बिलकुल नहीं की वो अपने मैच , क्रिकेट ओर इन्जियार्निंग ओर मेडिकल कोलेज के फर्क की बात करता रहा.....ओर जगजीत सिंह के बारे में ......उसे गजले समझ नहीं आती .
ओ हंसनी मेरी हंसनी
उसके बाद ....उसके काइनेटिक के पास से कोई तेजी से गुजरता ओर जोर से "हैलो" कहकर डरा देता,
एक सन्डे वो सुबह सुबह किसी गुरूद्वारे से निकालता टकरा गया .....यहाँ ?
गुरूद्वारे का प्रसाद बहुत अच्छा होता है ...उसने आँख मारी थी .....एक रोज शोर मचाने पर उसे क्लास से बाहर निकला गया ...बाहर कैंटीन के सामने वाली दीवार पर उसके पास गुजरते हुए उसने उसे कहा था "क्यों करते हो ऐसा "? बड़े अजीब ढंग से देखता रहा था वो बिना बोले उसे ...देर तक उसकी उन आंखो ने पीछा नहीं छोड़ा था लड़की का .......दिलवाले दुलहिनिया ले जायेगे के टिकट लायी थी उसकी बेस्ट फ्रेंड ...कितना खुश थी वे तीन चार सहेलिय ....पर पिक्चर हौल में उसे उसकी गर्लफ्रेंड के साथ देखकर जाने क्यों फिल्म में मन नहीं लगा था उसका .
तय कर लिया था उसने आगे से कभी बात नहीं करेगी उससे .
फिर उस रोज पीठ पर कोई बैग लादे सड़क पर बाईक घसीटता मिला था ...क्या हुआ ?
कुछ गड़बड़ है मुझे आगे तक ड्रॉप कर डौगी... मकेनिक तक
वही ड्यू की खुशबु .
उसका बैग उसके पास रह गया था .किसी का बैग खोलना गलत बात है पर रात को खोल ही लिया उसने .......
.दो नयी कैसट ..किशोर कुमार ओर जगजीत , एक रजिस्टर ...विवियन रिचर्ड्स की बायोग्राफी ओर एक सिगरेट लाइटर.....उस रात वो देर तक अपने बिस्तर पर वाल्क्मैन लगाकर सुनती रही......सोते वक़्त आखिरी गाना उसने दो बार सुना ......." ओ हंसनी .मेरी हंसनी "
AIIMS NEW DELHI
...दो दिन से बुखार था पर उसने पेरासिटामोल खा खा कर उसे चढ़ने नहीं दिया है ...मलेरिया की गोली भी खा ली है ..उसे यहाँ आना था ....पहली बार घर से इतनी दूर निकली है .बेस्ट फ्रेंड साथ है शायद इसलिए मम्मी ने भेज दिया है
देश भर के मेडिकल कोलेज कल्चरल फेस्टिवल के लिए जुटते है ....उसकी गर्लफ्रेंड भी है पर उसकी कोई रिलेटिव है इसलिए रात को ही आती है...उस रोज सब कुतुबमीनार देखने निकले थे..... उसकी तबियत खराब हुई है ..वो उसे छोड़ ने आया है ऑटो से उतारते वक़्त वो चक्कर सा महसूस करती है इसलिए उसकी बांह पकड़ लेती है ....कोलेज में आने के बाद भी वो उसे गर्ल्स हॉस्टल नहीं ले जाता ग्रायूँड के ठीक सामने पड़ी पत्थर की बेंचो पर दोनों बैठते है .बिना बात किये देर तलक ..वो अपनी जेब में हाथ डालकर अपनी हथेली फैलाता है .
"खाओगी "इन्हें हमारे यहाँ बूंदी कहते है
बूंदी ...वो पीले रंग के उन दानो को देखती है
जानती हो मै बचपन में एक वक़्त में हलवाई बनना चाहता था .....फिर पाइलट ओर कभी टीचर .......बचपन के हमारे मकान तक कुछ आवाजे .गुरूद्वारे से आती थी ..कितने घरो को पार करके .गली से मुडके उसकी खिड़की तक ..."गुरुबानी " है दार जी ने बताया था दार जी सब उन्हें दार जी कहते थे .उनका सब कुछ सफ़ेद था दाढ़ी ,भौंहे , मूंछे सर की पगड़ी .उसके घर से चौथे मकान पर रहते थे ..
."प्रार्थना रब से बातचीत का जरिया है ".वे कहते
"पर रब से रोज एक ही बातचीत क्यों होती है " मै उनसे पूछता था तो वो जोर जोर से हँसते थे दार जी बहुत अच्छे थे हर मंगलवार मुट्ठी खोलते तो हाथ में बूंदी के बड़े बड़े दाने निकलते..
वो महसूस करती है जैसे वो एक छोटा बच्चा है ....अपनी आँखों में चमक लेकर कुछ कुछ बताता है .....वो उसके पास ओर खिसक जाती है
"पहली बार दार जी के साथ मैंने गली का दूसरा कोना पार किया था गुरूद्वारे के वास्ते ...., हर इतवार जानी पहचानी गंधे वहां होती ....गंध का भी स्वाद होता है शायद ......आलू की गंध ,हलवे की गंध ,रोटी की गंध .हर इतवार वहां मेला सा लगता .बड़ी बड़ी भट्टिया बड़ी बड़ी कढाईया . चने हलवे से मिलकर कितना अच्छा स्वाद देती है .माँ ऐसे कभी नहीं बना पाती .एक रोज पतंग लूटते लूटते मै गाड़ी के टायर के बीच आ गया ....पैर की हड्डी गयी ..दार जी सीडिया नहीं चढ़ सकते थे...नीचे खिड़की से आवाजे देते ...एक रोज मेरे सोते सोते अपने रब के पास चले गए"
वो उसके नजदीक हो गयी है इतने की उसके बदन की खुशबु महसूस कर सकती है .एक अजीब सी गंध ...भली सी ..कभी कभी आप बरसो किसी शख्स के साथ एक तय समय गुजार कर उसे जान नहीं पाते ...हर शख्स के कितने हिस्से है उसका कौन सा हिस्सा कब खुलता है...वो उसकी बांह पकड़ कर उसके काँधे पे सर रखकर इस धूप में बैठना चाहती है ....बिना लोगो की परवाह किये.....दिल्ली की उस रोज की ये धूप उसके भीतर तक उतरती है .
पंद्रह दिन बाद का कोई एक बुधवार
वो कैंटीन में उसके पास आयी है
"कैसी हो" वो पूछता है .उसकी ग्रीन दाढ़ी ओर ग्रीन लगने लगी है
वो उसे घूर कर देखती है .....वो सैंडविच खाने में बिजी है" चाय पियोगी " वो पूछता है
उसे गुस्सा आता है .उसकी सैंडविच की प्लेट अपनी ओर खींचती है
. .".क्या हुआ ?"
तुम्हे वाकई कोई फर्क नहीं पड़ता ? वो गुस्से में है
किस बात का ?
मै पंद्रह दिनों से तुम्हे इग्नोर कर रही हूँ ...बात नहीं कर रही हूँ ..पूछोगे नहीं क्यों ?
वो उसकी ओर देखता है ...पर पूछता नहीं...... वो फिर भी बतलाती है
पंद्रह दिन पहले मै गर्ल्स हॉस्टल में गयी थी वहां लडकियों ने कहा .वो रुक गयी है ....सर नीचे झुकाए.....".के तुम "..........तुम कई लडकियों ............
"के साथ सो चूका हूँ " वो चाय के घूँट पीता पीता उसकी बात पूरी करता है ..
वो हामी में सर हिलाती है
"बिना किसी की मर्जी के उसके साथ सोया जा सकता है ? वो चाय का आखिरी घूँट हुए पूछता है
उसकी चाय आ गयी है .वो चाय में बेवजह चम्मच घुमा रही है .
तुम जिसे मेरी "गर्लफ्रेंड "कहती हो उसमे ओर तुममे यही अंतर है वो कभी मुझसे ये सवाल नहीं पूछती के मै तुमसे क्या बात करता हूँ ....क्यों करता हूँ
" गर्लफ्रेंड "का बेवाज़िब जिक्र जाने क्यों उसमे गुस्सा भरता है .....तुम उसे हर बार बीच में क्यों लाते हो ? वो घर से दूर हॉस्टल में है ....मै यहाँ लोकालाईट हूँ....मेरे अपने संस्कार है ....मेरी अपनी घर की कुछ वैल्यू .... मेरी अपनी इनहिबिशन ....मेरा अपना नजरिया है अच्छा ओर बुरा ....उसकी आवाज तेज हो गयी है ....कैंटीन में कुछ सर उनकी ओर मुड गये है
एक ख़ामोशी फिर उनके दरमियाँ पसर जाती है
इमोशन हमें "रिड्यूस" करते है....वो कहता है ...फिर उठ गया है ..
.वो परेशां हो गयी है .वो यहाँ लड़ने नहीं आई थी
वो बाईक स्टार्ट कर रहा है ...वो कैंटीन से बाहर निकल उसके पीछे पीछे आयी है .उसे "सोरी "कहना चाहती है
पर वो गुस्से में है
"हो सकता है वो बुरी हो ,पर उसमे एक अच्छी बात है उसने कभी तुम्हे" बुरा "नहीं कहा ......उसके पास अच्छे बुरे की कोई लिस्ट नहीं है जिसके साइड बार में राईट का ऑप्शन हो .........ओर हाँ मै "वर्जिन" नहीं हूँ !
वो बाईक स्टार्ट करके चला गया है ओर वो रो पड़ी है
ये प्यार भीतर से बीहड़ ओर खुरदुरा जंगल है जहाँ कई जगह अकेलापन है !
गर याद रहे
इक्जाम ख़त्म हुए है . इंटर्नशिप के पहले छह महीने इधर उधर की पोस्टिंग में निकल गए है ....अगले तीन महीने की
पोस्टिंग उसने दिल्ली ली है कहता है पापा का ओपरेशन होना है .इसलिए उसे तीन महीने वही रहना पड़ेगा इधर वो अपने लिए आये सब रिश्ते वो मना करती है ...एक...दो...तीन !
एक रिश्ता बाहर का है ,माँ के मन में वही अटका है
कही तुम उससे प्यार तो करने नहीं लगी ?
नहीं ! वो अपनी माँ से कहती है
शायद ! वो अपनी बुआ से कहती है
"हाँ" वो अपनी बेस्ट फ्रेंड से कहती है
"उसे मालूम है "?उसकी बेस्ट फ्रेंड पूछती है
शायद !
ओर वो तुझे प्यार करता है ?
शायद ?
"शब्बा खैर " उसकी बेस्ट फ्रेंड सांस लेती है
वो तुम्हारे लिए राईट चोयेस नहीं है ....उसकी बेस्ट फ्रेंड उसे कहती है ....उसकी बुआ भी ......बिना पूछे उसकी माँ भी .....उसका दिमाग भी !
बस उसका दिल अलग बाते कहता है
कुछ दो महीने अट्ठाईस दिन कितने अलग होते है
"वो मेरे ज़ज्बात के आधे हिस्से पर एक वक़्त से काबिज़ है बिना मेरी मर्जी के ."वो ट्रेन में अपनी गर्लफ्रेंड से उसके बारे में कहता है
तुम उससे कह क्यों नहीं देते
मै उसे डिज़र्व नहीं करता ...वो बहुत अच्छी है . मै उसे खराब नहीं करना चाहता
" ओर तुम बहुत बुरे " .पागल ! दिक्कत ये है के उसके दोस्तों की तरह तुमने भी उसे अच्छा होने का टैग लगा दिया है ..सब वक़्त को वही पॉज़ कर रहे है .वो उसे उसी तरह से देखना चाहते है जिस तरह से बरसो से देखते आये है ...सब भूल गए है उसके पास भी इमोशन है...... नोर्मल इमोशन
वो अपनी दोस्त की बात सुनता है ....ट्रेन के दरवाजे पर खड़े सिगरेट पीते पीते सोचता है कॉलेज पहुँचते ही उसे कह देगा !!
दो दिन से उसे ढूंढता है.....
वो लॉकर रूम के बाहर दिखती है .अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ
हाय ....कहाँ हो यार तुम
वो जवाब नहीं देती .उसकी बेस्ट फ्रेंड जवाब देती है
एक गुड न्यूज़ है ...... इसकी शादी तय हो गयी है ....अगले तीन महीने में अमेरिका जा रही है अभी सारे सरटीफिकेट इकठ्ठा करने है ओर तैयारी भी
.वो सर झुकाए खड़ी है
वो कोंग्रेट्स नहीं कहता
उसकी बेस्ट फ्रेंड आगे बढ़ गयी है ... आवाज दे रही है ....वो उसे देखना भी चाहती है पर अपनी आँखे दिखाना नहीं चाहती .आहिस्ता आहिस्ता चल देती है ......डरती है.. वो अभी पीछे से आवाज देगा ....रोकेगा ...पर .वो कुछ कहता नहीं .पार्किंग में अपने काइनेटिक के पास आकर वो रोती है .
कहते है उसके बाद उस लड़के ने कभी प्यार नहीं किया ,वो कोलेज की किसी लड़की के साथ नहीं सोया , कोई मैच नहीं खेला ... हॉस्टल वाले कहते थे अगले तीन साल हर सुबह उसके रूम में सबसे पहला गाना बजता "ओ हंसनी "!
विलुप्त नहीं होता प्यार ...न बंद होता किसी पैराग्राफ की आखिरी लाइनों में ......फुलस्टॉप लगाकर ,
बचा रह जाता है मेरे तुम्हारे भीतर थोडा थोडा .!!
(.ओर हाँ किसी भी कथा के पात्र काल्पनिक नहीं होते प्रेम कथाओ के तो बिलकुल नहीं)
उनकी पहली मुलाकात ........जिसे मुलाकात कहा जा सकता है कोलेज के फेस्टिवल दिनों में हुई थी ..उस दिन वो जब घर से कोलेज के लिए निकली थी तो रेडियो पर "ओ हँसनी" बज रहा था ......उसकी "गर्लफ्रेंड "घर गयी हुई थी .... ...वो शायद .कही से भागा आया था हांफ रहा था .....तभी उसने उससे पूछा था
तुम मेरी पार्टनर बनोगी ?
गेम था मेल पार्टनर की शेव बनाकर दौड़कर दूसरे किनारे जाकर एक मेडिकल पज़ल सोल्व करनी है जो पहले करेगा वो जीत जाएगा .
"मैंने कभी शेव नहीं बनायी"
उसमे करना क्या है ...लेदर बना कर शेव करना है फटाफट .....कम ऑन !!
वो उसके साथ आयी है .
वो शेव करते वक़्त उसका चेहरा छील देती है ...पर पज़ल सोल्व पांच सेकण्ड में कर देती है
वे दोनों जीत गये है....उसे .उसके चेहरे पर खून देखकर अफ़सोस है वो रुमाल से पोछ रहा है.पर जीत से खुश है.
विनिंग गिफ्ट है ... शहर के फेमस चाइनाइज़ रेसटरोनेंट में लंच के दो कूपन अगले एक हफ्ते तक वेलिड है .
"सन्डे चलोगी .
"मम्मी से पूछना पड़ेगा सन्डे के लिए"
उसके दोस्त उसे आवाज दे रहे है,
"ये कूपन रखो ..अगर मम्मी हाँ बोले तो सन्डे मेरे साथ चलना नहीं तो अपनी किसी फेवरेट सहेली के साथ हो आना ...शनिवार को मेरा मैच है इंजीयरिंग कोलेज से ..
उसने सोच लिया था वो उसके साथ नहीं जायेगी ...कल ही उसे कूपन थमा देंगी .
अगले तीन दिन तक वो क्लास में नहीं आता .....अजीब अहमक है उसे गुस्सा आता है ....उसकी गर्लफ्रेंड दिखती है ..उससे पूछू क्या ? नहीं खामखाँ पता नहीं क्या सोचेगी ? पर ये है कहाँ ?
शनिवार सुबह वो अपना काइनेटिक कोलेज में पार्क कर रही है ....कोई मोटरसाइकिल आकर रूकती है
क्या कहा मम्मी ने ? वही है
वो सर हिलाती है
गुड ....कैंटीन के सामने ठीक एक बजे .......फुर्र से मोटरसाइकिल से गायब .
अजीब आदमी है ! पता नहीं वो इसके साथ क्यों जा रही है .. अपनी गर्लफ्रेंड को क्यों नहीं ले जाता ! वो अपनी "बेस्ट फ्रेंड "की शरण लेती है . डिफेंसिव मत रहना ...."अटैक इस बेस्ट डिफेन्स " वो तुम्हारी आँखों की तारीफ़ करेगा ,तुम्हारे कपड़ो की ....तुम्हारी बात बात में तारीफ़ करेगा भाव मत देना .
सन्डे दोपहर एक बजे कोलेज कैंटीन के सामने
तुम्हारी गर्ल फ्रेंड शहर में नहीं है क्या
गर्लफ्रेंड ?
वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं है ?
साथ घूमने से कोई गर्लफ्रेंड हो जाता है
वो उसे घूरती है ...आधा दिन तुम लोग साथ गुजारते हो .
हम्म .वो अपनी बाईक में झुककर नीचे कुछ चेक करता है
"साथ रहने से प्यार होने की प्रोबेबलिटी ज्यादा होती है ".....वो फिर कहती है
वो मुस्कराता है ."लडकियों में "
हाँ लडकियों में ...
जानती हो हम जिसके साथ वक़्त गुजारते है दिल के भीतरे हिस्से से उसके बारे में सब जानते है ."..सब !!
वैसे हम दोनों के बीच बहुत अच्छी अंडर स्टेंडिंग है वो किसी ओर को पसंद करती है ओर हम दोनों के बीच प्यार नहीं होने वाला
वो अब भी बाईक में नीचे झुक कर कुछ कर रहा है
तुम्हारे बारे में ज्यादातर लोगो की राय अच्छी नहीं है
उसे लगा वो बाईक छोड़कर गुस्से में खड़ा होकर कुछ कहेगा .पर वो नीचे झुका हुआ कहता है
"ओपिनियन पोल" हाईवे के ट्रक ड्राइवर की तरह होते है ..उन पर एतबार नहीं करना चाहिए ...ओर ये अच्छी बुरी चीज़े बड़ी कमाल की होती है ... शायद पंद्रह साल बाद अच्छा" बुरा" हो जाए ओर बुरा "अच्छा "
फिर नजरे उठकर उसकी आँखों में देखता है ....कभी ड्राइव किया है हाई वे पर
फिर साथ क्यों घूमते हो
हम दोनों एक दूसरे की कम्पनी रेलिश करते है ....दैट्स ईट .
उसने रास्ते में कही ब्रेक नहीं मारे ...बाइक भी तेज नहीं चलायी...वो पिछला हिस्सा पकड़ कर सेफ डिस्टेंस पर बैठी रही .पर उसके ड्यू की खुशबु अच्छी है
उसकी बाईक चाइनीज़ रेस्ट्रोरेन्ट के बाहर आकर रुकी है
....तुम नॉन वेज खाती हो ?
आई लव नॉन वेज .मम्मी के हाथ का खायोगे तो उंगलिया चाटते रह जाओगे
वो उसकी ओर देखता है " मैंने अभी अभी रेलिश करना सीखा है ...एक सीनियर हाँ ओर ना के बीच था तो अपना दुःख बांटने के लिए यहाँ ले आता था.....मै सिर्फ सूप पीता ओर उसकी बात सुनता धीरे धीरे जब टेस्ट डेवलप हुआ तो उसकी गर्लफ्रेंड ने हाँ बोल दी ओर .....आई ओ दिस टेस्ट टू देयर लव ...
"रेलिश "!! तुम चीजों को रेलिश बहुत करते हो
वो नोट करती है ..... उसकी एक दिन की बड़ी दाढ़ी है ग्रीन ग्रीन सी...... शेव बनाकर भी नहीं आया बेवकूफ ! वो होती तो ........
.रेस्तरा में "ओ हंसनी "का इंस्ट्रूमेंटल बज रहा है
मुझे ये गाना बहुत पसंद है वो कहती है
मुझे भी
वो बतलाना चाहता है वो अपनी सो काल्ड गर्लफ्रेंड के साथ दो बार आया है पर जाने क्यों रुक गया है .इस लड़की के अन्दर एक अजीब सा इनोसेंस उसे पसंद है ...घर लौटते वक़्त वो याद करती है उसने उसकी तारीफ़ बिलकुल नहीं की वो अपने मैच , क्रिकेट ओर इन्जियार्निंग ओर मेडिकल कोलेज के फर्क की बात करता रहा.....ओर जगजीत सिंह के बारे में ......उसे गजले समझ नहीं आती .
ओ हंसनी मेरी हंसनी
उसके बाद ....उसके काइनेटिक के पास से कोई तेजी से गुजरता ओर जोर से "हैलो" कहकर डरा देता,
एक सन्डे वो सुबह सुबह किसी गुरूद्वारे से निकालता टकरा गया .....यहाँ ?
गुरूद्वारे का प्रसाद बहुत अच्छा होता है ...उसने आँख मारी थी .....एक रोज शोर मचाने पर उसे क्लास से बाहर निकला गया ...बाहर कैंटीन के सामने वाली दीवार पर उसके पास गुजरते हुए उसने उसे कहा था "क्यों करते हो ऐसा "? बड़े अजीब ढंग से देखता रहा था वो बिना बोले उसे ...देर तक उसकी उन आंखो ने पीछा नहीं छोड़ा था लड़की का .......दिलवाले दुलहिनिया ले जायेगे के टिकट लायी थी उसकी बेस्ट फ्रेंड ...कितना खुश थी वे तीन चार सहेलिय ....पर पिक्चर हौल में उसे उसकी गर्लफ्रेंड के साथ देखकर जाने क्यों फिल्म में मन नहीं लगा था उसका .
तय कर लिया था उसने आगे से कभी बात नहीं करेगी उससे .
फिर उस रोज पीठ पर कोई बैग लादे सड़क पर बाईक घसीटता मिला था ...क्या हुआ ?
कुछ गड़बड़ है मुझे आगे तक ड्रॉप कर डौगी... मकेनिक तक
वही ड्यू की खुशबु .
उसका बैग उसके पास रह गया था .किसी का बैग खोलना गलत बात है पर रात को खोल ही लिया उसने .......
.दो नयी कैसट ..किशोर कुमार ओर जगजीत , एक रजिस्टर ...विवियन रिचर्ड्स की बायोग्राफी ओर एक सिगरेट लाइटर.....उस रात वो देर तक अपने बिस्तर पर वाल्क्मैन लगाकर सुनती रही......सोते वक़्त आखिरी गाना उसने दो बार सुना ......." ओ हंसनी .मेरी हंसनी "
AIIMS NEW DELHI
...दो दिन से बुखार था पर उसने पेरासिटामोल खा खा कर उसे चढ़ने नहीं दिया है ...मलेरिया की गोली भी खा ली है ..उसे यहाँ आना था ....पहली बार घर से इतनी दूर निकली है .बेस्ट फ्रेंड साथ है शायद इसलिए मम्मी ने भेज दिया है
देश भर के मेडिकल कोलेज कल्चरल फेस्टिवल के लिए जुटते है ....उसकी गर्लफ्रेंड भी है पर उसकी कोई रिलेटिव है इसलिए रात को ही आती है...उस रोज सब कुतुबमीनार देखने निकले थे..... उसकी तबियत खराब हुई है ..वो उसे छोड़ ने आया है ऑटो से उतारते वक़्त वो चक्कर सा महसूस करती है इसलिए उसकी बांह पकड़ लेती है ....कोलेज में आने के बाद भी वो उसे गर्ल्स हॉस्टल नहीं ले जाता ग्रायूँड के ठीक सामने पड़ी पत्थर की बेंचो पर दोनों बैठते है .बिना बात किये देर तलक ..वो अपनी जेब में हाथ डालकर अपनी हथेली फैलाता है .
"खाओगी "इन्हें हमारे यहाँ बूंदी कहते है
बूंदी ...वो पीले रंग के उन दानो को देखती है
जानती हो मै बचपन में एक वक़्त में हलवाई बनना चाहता था .....फिर पाइलट ओर कभी टीचर .......बचपन के हमारे मकान तक कुछ आवाजे .गुरूद्वारे से आती थी ..कितने घरो को पार करके .गली से मुडके उसकी खिड़की तक ..."गुरुबानी " है दार जी ने बताया था दार जी सब उन्हें दार जी कहते थे .उनका सब कुछ सफ़ेद था दाढ़ी ,भौंहे , मूंछे सर की पगड़ी .उसके घर से चौथे मकान पर रहते थे ..
."प्रार्थना रब से बातचीत का जरिया है ".वे कहते
"पर रब से रोज एक ही बातचीत क्यों होती है " मै उनसे पूछता था तो वो जोर जोर से हँसते थे दार जी बहुत अच्छे थे हर मंगलवार मुट्ठी खोलते तो हाथ में बूंदी के बड़े बड़े दाने निकलते..
वो महसूस करती है जैसे वो एक छोटा बच्चा है ....अपनी आँखों में चमक लेकर कुछ कुछ बताता है .....वो उसके पास ओर खिसक जाती है
"पहली बार दार जी के साथ मैंने गली का दूसरा कोना पार किया था गुरूद्वारे के वास्ते ...., हर इतवार जानी पहचानी गंधे वहां होती ....गंध का भी स्वाद होता है शायद ......आलू की गंध ,हलवे की गंध ,रोटी की गंध .हर इतवार वहां मेला सा लगता .बड़ी बड़ी भट्टिया बड़ी बड़ी कढाईया . चने हलवे से मिलकर कितना अच्छा स्वाद देती है .माँ ऐसे कभी नहीं बना पाती .एक रोज पतंग लूटते लूटते मै गाड़ी के टायर के बीच आ गया ....पैर की हड्डी गयी ..दार जी सीडिया नहीं चढ़ सकते थे...नीचे खिड़की से आवाजे देते ...एक रोज मेरे सोते सोते अपने रब के पास चले गए"
वो उसके नजदीक हो गयी है इतने की उसके बदन की खुशबु महसूस कर सकती है .एक अजीब सी गंध ...भली सी ..कभी कभी आप बरसो किसी शख्स के साथ एक तय समय गुजार कर उसे जान नहीं पाते ...हर शख्स के कितने हिस्से है उसका कौन सा हिस्सा कब खुलता है...वो उसकी बांह पकड़ कर उसके काँधे पे सर रखकर इस धूप में बैठना चाहती है ....बिना लोगो की परवाह किये.....दिल्ली की उस रोज की ये धूप उसके भीतर तक उतरती है .
पंद्रह दिन बाद का कोई एक बुधवार
वो कैंटीन में उसके पास आयी है
"कैसी हो" वो पूछता है .उसकी ग्रीन दाढ़ी ओर ग्रीन लगने लगी है
वो उसे घूर कर देखती है .....वो सैंडविच खाने में बिजी है" चाय पियोगी " वो पूछता है
उसे गुस्सा आता है .उसकी सैंडविच की प्लेट अपनी ओर खींचती है
. .".क्या हुआ ?"
तुम्हे वाकई कोई फर्क नहीं पड़ता ? वो गुस्से में है
किस बात का ?
मै पंद्रह दिनों से तुम्हे इग्नोर कर रही हूँ ...बात नहीं कर रही हूँ ..पूछोगे नहीं क्यों ?
वो उसकी ओर देखता है ...पर पूछता नहीं...... वो फिर भी बतलाती है
पंद्रह दिन पहले मै गर्ल्स हॉस्टल में गयी थी वहां लडकियों ने कहा .वो रुक गयी है ....सर नीचे झुकाए.....".के तुम "..........तुम कई लडकियों ............
"के साथ सो चूका हूँ " वो चाय के घूँट पीता पीता उसकी बात पूरी करता है ..
वो हामी में सर हिलाती है
"बिना किसी की मर्जी के उसके साथ सोया जा सकता है ? वो चाय का आखिरी घूँट हुए पूछता है
उसकी चाय आ गयी है .वो चाय में बेवजह चम्मच घुमा रही है .
तुम जिसे मेरी "गर्लफ्रेंड "कहती हो उसमे ओर तुममे यही अंतर है वो कभी मुझसे ये सवाल नहीं पूछती के मै तुमसे क्या बात करता हूँ ....क्यों करता हूँ
" गर्लफ्रेंड "का बेवाज़िब जिक्र जाने क्यों उसमे गुस्सा भरता है .....तुम उसे हर बार बीच में क्यों लाते हो ? वो घर से दूर हॉस्टल में है ....मै यहाँ लोकालाईट हूँ....मेरे अपने संस्कार है ....मेरी अपनी घर की कुछ वैल्यू .... मेरी अपनी इनहिबिशन ....मेरा अपना नजरिया है अच्छा ओर बुरा ....उसकी आवाज तेज हो गयी है ....कैंटीन में कुछ सर उनकी ओर मुड गये है
एक ख़ामोशी फिर उनके दरमियाँ पसर जाती है
इमोशन हमें "रिड्यूस" करते है....वो कहता है ...फिर उठ गया है ..
.वो परेशां हो गयी है .वो यहाँ लड़ने नहीं आई थी
वो बाईक स्टार्ट कर रहा है ...वो कैंटीन से बाहर निकल उसके पीछे पीछे आयी है .उसे "सोरी "कहना चाहती है
पर वो गुस्से में है
"हो सकता है वो बुरी हो ,पर उसमे एक अच्छी बात है उसने कभी तुम्हे" बुरा "नहीं कहा ......उसके पास अच्छे बुरे की कोई लिस्ट नहीं है जिसके साइड बार में राईट का ऑप्शन हो .........ओर हाँ मै "वर्जिन" नहीं हूँ !
वो बाईक स्टार्ट करके चला गया है ओर वो रो पड़ी है
ये प्यार भीतर से बीहड़ ओर खुरदुरा जंगल है जहाँ कई जगह अकेलापन है !
गर याद रहे
इक्जाम ख़त्म हुए है . इंटर्नशिप के पहले छह महीने इधर उधर की पोस्टिंग में निकल गए है ....अगले तीन महीने की
पोस्टिंग उसने दिल्ली ली है कहता है पापा का ओपरेशन होना है .इसलिए उसे तीन महीने वही रहना पड़ेगा इधर वो अपने लिए आये सब रिश्ते वो मना करती है ...एक...दो...तीन !
एक रिश्ता बाहर का है ,माँ के मन में वही अटका है
कही तुम उससे प्यार तो करने नहीं लगी ?
नहीं ! वो अपनी माँ से कहती है
शायद ! वो अपनी बुआ से कहती है
"हाँ" वो अपनी बेस्ट फ्रेंड से कहती है
"उसे मालूम है "?उसकी बेस्ट फ्रेंड पूछती है
शायद !
ओर वो तुझे प्यार करता है ?
शायद ?
"शब्बा खैर " उसकी बेस्ट फ्रेंड सांस लेती है
वो तुम्हारे लिए राईट चोयेस नहीं है ....उसकी बेस्ट फ्रेंड उसे कहती है ....उसकी बुआ भी ......बिना पूछे उसकी माँ भी .....उसका दिमाग भी !
बस उसका दिल अलग बाते कहता है
कुछ दो महीने अट्ठाईस दिन कितने अलग होते है
"वो मेरे ज़ज्बात के आधे हिस्से पर एक वक़्त से काबिज़ है बिना मेरी मर्जी के ."वो ट्रेन में अपनी गर्लफ्रेंड से उसके बारे में कहता है
तुम उससे कह क्यों नहीं देते
मै उसे डिज़र्व नहीं करता ...वो बहुत अच्छी है . मै उसे खराब नहीं करना चाहता
" ओर तुम बहुत बुरे " .पागल ! दिक्कत ये है के उसके दोस्तों की तरह तुमने भी उसे अच्छा होने का टैग लगा दिया है ..सब वक़्त को वही पॉज़ कर रहे है .वो उसे उसी तरह से देखना चाहते है जिस तरह से बरसो से देखते आये है ...सब भूल गए है उसके पास भी इमोशन है...... नोर्मल इमोशन
वो अपनी दोस्त की बात सुनता है ....ट्रेन के दरवाजे पर खड़े सिगरेट पीते पीते सोचता है कॉलेज पहुँचते ही उसे कह देगा !!
दो दिन से उसे ढूंढता है.....
वो लॉकर रूम के बाहर दिखती है .अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ
हाय ....कहाँ हो यार तुम
वो जवाब नहीं देती .उसकी बेस्ट फ्रेंड जवाब देती है
एक गुड न्यूज़ है ...... इसकी शादी तय हो गयी है ....अगले तीन महीने में अमेरिका जा रही है अभी सारे सरटीफिकेट इकठ्ठा करने है ओर तैयारी भी
.वो सर झुकाए खड़ी है
वो कोंग्रेट्स नहीं कहता
उसकी बेस्ट फ्रेंड आगे बढ़ गयी है ... आवाज दे रही है ....वो उसे देखना भी चाहती है पर अपनी आँखे दिखाना नहीं चाहती .आहिस्ता आहिस्ता चल देती है ......डरती है.. वो अभी पीछे से आवाज देगा ....रोकेगा ...पर .वो कुछ कहता नहीं .पार्किंग में अपने काइनेटिक के पास आकर वो रोती है .
कहते है उसके बाद उस लड़के ने कभी प्यार नहीं किया ,वो कोलेज की किसी लड़की के साथ नहीं सोया , कोई मैच नहीं खेला ... हॉस्टल वाले कहते थे अगले तीन साल हर सुबह उसके रूम में सबसे पहला गाना बजता "ओ हंसनी "!
विलुप्त नहीं होता प्यार ...न बंद होता किसी पैराग्राफ की आखिरी लाइनों में ......फुलस्टॉप लगाकर ,
बचा रह जाता है मेरे तुम्हारे भीतर थोडा थोडा .!!
(.ओर हाँ किसी भी कथा के पात्र काल्पनिक नहीं होते प्रेम कथाओ के तो बिलकुल नहीं)