2012-09-13

किसी शहर के बरक्स !

  • हाइवे से गुजरते  एक ओर ऊपर  मटमैली पहाडियों  के बीच  सीधी कुछ सीढिया किसी रस्ते का पता देती है  .लाल रंग का झंडा  इन  मंदिरों की नेम प्लेट सा  है .सोचता हूँ कैसे वक़्त काटता होगा पुजारी ओर उसका भगवान !
  •     किसी शहर में अकेले जाओ तो कितनी इमारतो पर पहली दफे नजर पड़ती है . ताज्जुब होता है इन्हें पहले क्यों नहीं देखा ? किसी दरवाजे खिड़की पर खड़ा तन्हा शख्स उतना ही  चुभता है जितना  खेल के मैदान में खड़ा कोई कोई खामोश बच्चा .
  • हाँ  दोपहरे  तपती  है ,कैसे करता होगा बैलेंस सूरज इस जानिब इतनी देर झुकूं उस जानिब इतनी देर ?  मेरा बस चले  तो हर शहर के बीच  एक नदी खींच दूँ  !!
  •   र मोहल्ले का खाली मकान बच्चो को कितने खेल देता है .  अधबने  कच्चे मकान की भी अपनी यादे होती है  सबके  हिस्सों में बँटी हुई  .पेंच दर पेंच घूमती गलिया ,ओर इन गलियों का जोड़ कैसे एक मोहल्ले की आयूटलाइन खींच देता है ना ? . इन मोहल्लो में रहने वालो ने सोचा है  किसने ओर कब इन्हें नाम दिया होगा ?
  •  धर उस पार कब्रिस्तान है . किसी कब्र पे कोई सर झुकाए बैठा है . कब्रे  ये सहूलियत तो देती है उसके पास जाकर कभी भी  रोया जा सकता है अपने गुनाह कबूले जा सकते है
  •   क सड़क अपने साथ कितनी चीज़े लेकर चलती है अजनबी चेहरे ,कोहराम मचाते  कारो के होर्न, धुंया उगलते ट्रक ,बद हवास दौड़े ! कितना सब्र होता है ना सड़क में  ! ! सरगोशियो में भी किसी से कुछ नहीं कहती !
  • श्वर को नकारना शायद सबसे आसान ऐब है .इतने सालो बाद भी आत्मा को कोई वैज्ञानिक  दृष्टि" लोकेट"  नहीं कर पायी .  पर रूह को किसी भी स्थान से  "लोकेट" किया जा सकता है  . तर्कशील मस्तिष्क के परे भी एक दुनिया है जिसकी कोई व्याख्या नहीं है !
  • क्या दुखो में निखरने  वाले व्यक्ति को दुखो से "एडिक्ट"  होने का खतरा बना रहता है
  • नुष्यता के पक्ष में खड़ा होना ही धर्म है .धार्मिक होते हुए ही धर्म निरपेक्ष हुआ जा सकता है .
  • स्मर्तियो में डूबना  उतरना ही शायद  मस्तिष्क के जीवित  रहने के प्रमाणों में से एक है  पर स्वपन ? स्वप्नों की कोई लक्ष्मण रेखा नहीं होती . जीवन के कौन से हिस्से को उठाकर कहाँ जोड़ देते है ..                          बारहा सोचता हूँ   कितने लोग है  जो  " बीत" जाने के बाद भी" बने" रहते है !


                                  बाज जगहों पर मुख्तलिफ नजर आती है
                                   रोजो -शब् एक सी नहीं गिरती बस्ती पर ....
 
                                   खाली जगहों पर गर थोडा खुदा फेंक दूँ

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