2012-10-11

"चल जिंदगी ढूंढें "

क जीवन  से आप कितने संवाद  कर सकते है .? हर जीवन एक लगातार घटती  घटना है .कभी कभी ऐसा लगता है जैसे एक समय सीमा पर आकर जीवन पर  ईश्वर का भी नियत्रण छूट गया है या वो छोड़ देता  है ? उन्ही अनियंत्रित समयों में व्यक्ति का चरित्र तय होता है जीवन की दिशा भी  . विज्ञान धर्म ओर कला तीनो सत्य को खोजने के उपकरण है . तो क्या जीवन सत्य को खोजना भर ही है ? फिर हर क्षण का एक सत्य होता है ! आखिर मनुष्य योनि  में होने का प्रयोज़न कुछ तो होगा ? ईष्या, प्रेम, वासना इन रसायनों को शरीर में डालने का कोई तो अर्थ होगा ?  पर जीवन सिर्फ बौद्धिक ड्योढ़ी पर बैठे चिंतको के लिए नहीं है .किसी  की अंतिम यात्रा से लौटकर ऐसे त्वरित अस्थायी   विचारो का उठना  स्वाभाविक प्रक्रिया है .जो कई बार मन ने दोहराई है.
"मै बहादुर   होते होते थक गयी हूँ  "चाय पीते पीते ग्लेडिएटर फिल्म की हेरोइन का संवाद सुन कर वापस इस जीवन में लौटता हूँ .रोता हुआ मनुष्य कितना  मौलिक होता है ,असली ! बिना किसी  आवरण के  !
पूरे जीवन में हम कितने समय मौलिक रहते है ?अपनी सामर्थ्य ओर सीमाओ का कितना उपयोग हम मनुष्य बने रहने के लिए करते है
"तुम्हारी  भाषा  तुम्हारे  इस वस्त्र का एक बड़ा  रेशा  है जो तुम्हारे  बाहरी आवरण को बुनता है " मेरा दोस्त मुझे अक्सर कहता है . जानता हूँ  ठीक ही कहता है !
शाम की ओ पी डी में वही है . २८  साल की खूबसूरत लड़की है  उसकी  छह साल की बच्ची को विटिलिगो है .दवा के शेड्यूल के बारे में वो  हर विजिट में  पूछती  है  उस दिन थोड़ी उदास है  दिन अपना  करसर उसकी उदासी पे रखकर सबब बतलाता है   दुःख इकहरा नहीं होता ,उसे पढना था पर उसके माँ बाप को शादी करनी थी .शादी भी हो गयी  पर पति एब्युजिव है ,एक साल बीतते बीतते जेठ जेठानी का एक्सीडेंट होता है ...म्रत्यु... उनकी चार साल की बच्ची की जिम्मेवारी उस पर आती है .निश्चल प्रेम ..हालत ये के डाइवोर्स मुहाने पर है .पिता घर ले आना चाहते है बच्ची उसे अपनी माँ समझती है    लिपट कर कहती है
 " मम्मी आप मुझे छोड़ कर नहीं जाओगी" ..पति से प्यार नहीं है ...पिता दूसरे की बच्ची अपने घर ले जाना नहीं चाहते ...वही कमीना .दिल !!.
कुछ दिल के  कैनवस्  में कई रंग नहीं होते  सिर्फ दो रंग मौजूद रहते है .सफ़ेद ओर काला .प्यार सीधी रेखा में नहीं बढ़ता . इसके दायरे जटिल  है .
जीवन का ये कौन सा रसायन है जिसका  कम्पोजीशन अभी भी अबूझ है  ?

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