पता नहीं अदालत में जिरह करने वाला उस रात कैसे सोता होगा जो जानता है जुर्म का ए "तिराफ़ करने वाले शख्स ने वो गुनाह किया नहीं है। शायद फैसला सुनाने वाले भी अक्सर नींद की गोलिया लेते होंगे। नींद भी एक बड़ी नेमत है। हर शहर हर रात से अपने वजूद के लिए मुख्तलिफ तरीको से लड़ने की तरकीबे सीख लेता है!।
-------------------------- ----------
वो अपनी बालकॉनी के गमलो में अपने कसबे की मिटटी डालता है कहता है " जानते हो मैंने अपनी बीवी को नहीं बताया ये मिटटी कहाँ से आयी वो मुझे पागल समझेगी। डॉ ने प्रेस्क्रिप्शन में कई किस्म की दवाये लिखी पर ठीक मै इस मिटटी की सोहबत से ही हुआ ,बड़े शहरों में शजर का क़त्ल लीगल है पहाड़ो में रहने वाले आदमी का इन शहरी फ़्लैट में बीमार ही तो होगा।
"सर्वाइवल ऑफ़ फिटेस्ट" की लड़ाई के नये साइड इफेक्ट्स है। मुझे नानावती के वो उम्रदराज डॉ याद आते है जो मुझसे नामालूम क्यों बेटे की तरह मोहब्बत करते थे। एक रोज शिवास पीकर इमोशनल होकर बोले थे
"घर भी अम्ब्लिकल कॉर्ड की तरह होते है "
__________________
वियेना के एक रेलवे स्टेशन पर एक आदमी मिला था शायद सीरिया से था उसके साथ उसकी बीवी और दो छोटे बच्चे थे ,वो कुछ कागज दिखाकर किसी जगह का पता पूछ रहा था। मै उसके छोटे छोटे बच्चो को देख रहा था । उसका कोई स्थायी पता नहीं रह गया था ,बिना किसी पते का आदमी होना कितना डरा देने वाला होता है
____________________
पिछले कुछ सालो में जमीर ख़ासा इम्म्यून हो गया है ,कई चीज़ो से पहले की तरह पशेमां नहीं होता। एक उम्र तक आते आते शायद ये फितरत आ ही जाती है .ज़िंदगी की रफ़्तार देख कुछ ख्वाबो को रिमाइंडर पर लगा रखा है ताकि याददाश्त में रह सके। एक दोस्त कहता है लिखना सबसे आसां काम है अब तो कागज और कलम का मोहताज भी नहीं रहा।
--------------------------
वो अपनी बालकॉनी के गमलो में अपने कसबे की मिटटी डालता है कहता है " जानते हो मैंने अपनी बीवी को नहीं बताया ये मिटटी कहाँ से आयी वो मुझे पागल समझेगी। डॉ ने प्रेस्क्रिप्शन में कई किस्म की दवाये लिखी पर ठीक मै इस मिटटी की सोहबत से ही हुआ ,बड़े शहरों में शजर का क़त्ल लीगल है पहाड़ो में रहने वाले आदमी का इन शहरी फ़्लैट में बीमार ही तो होगा।
"सर्वाइवल ऑफ़ फिटेस्ट" की लड़ाई के नये साइड इफेक्ट्स है। मुझे नानावती के वो उम्रदराज डॉ याद आते है जो मुझसे नामालूम क्यों बेटे की तरह मोहब्बत करते थे। एक रोज शिवास पीकर इमोशनल होकर बोले थे
"घर भी अम्ब्लिकल कॉर्ड की तरह होते है "
__________________
वियेना के एक रेलवे स्टेशन पर एक आदमी मिला था शायद सीरिया से था उसके साथ उसकी बीवी और दो छोटे बच्चे थे ,वो कुछ कागज दिखाकर किसी जगह का पता पूछ रहा था। मै उसके छोटे छोटे बच्चो को देख रहा था । उसका कोई स्थायी पता नहीं रह गया था ,बिना किसी पते का आदमी होना कितना डरा देने वाला होता है
____________________
पिछले कुछ सालो में जमीर ख़ासा इम्म्यून हो गया है ,कई चीज़ो से पहले की तरह पशेमां नहीं होता। एक उम्र तक आते आते शायद ये फितरत आ ही जाती है .ज़िंदगी की रफ़्तार देख कुछ ख्वाबो को रिमाइंडर पर लगा रखा है ताकि याददाश्त में रह सके। एक दोस्त कहता है लिखना सबसे आसां काम है अब तो कागज और कलम का मोहताज भी नहीं रहा।