उसका ब्रेक अप हुआ था जाहिर था वो उस फेज में था जब लड़कियो में दिलचस्पी कम हो जाती है । इधर पिता चाहते थे वो उनकी पसंद की किसी लड़की को हाँ बोल कर कही ठहर जाये । हाँ लड़को की ज़िंदगी में भी ऐसे वक़्त आते है अलबत्ता इनका जिक्र ज्यादा नहीं होते। वो जब भी घर फोन करता पिता दो चार एड्रेस बता कर उसे किसी लड़की से मिलने की बात कहते और उनकी फोन पर लड़ाई हो जाती। उन दिनों एस टी डी के पीले रंग वाले फोन होते वो फोन पटक कर गुस्से में बाहर निकलता और लाइन में लगे लोग उसे हैरत से देखते,हम दोस्त भी
हफ्तों ये सिलसिला चला !
जाहिर था मां रेफरी बनी।
मां अच्छी रेफरी थी !
उन दिनों अपनी मोहब्बत और दिल टूटने के बारे में घर पर बताने का रिवाज नहीं था ,सारे गम दोस्तों के हिस्से आते थे
तय हुआ उसे एक लड़की से मिलने जाना था।
वो जिस शहर में ऑप्थेलोमोलॉज़ी में पी। जी कर रही थी वहां हमारा दोस्त किसी और ब्रांच में पी जी कर रहा था।
उसने तय किया वो उस लड़की से मिलेगा और इस तरह से के वो उसे फ़ौरन रिजेक्ट कर देगी
हमने हॉस्टल में ये याद करने की कोशिश की किसके पास प्रिंट वाली लाल कलर ,बैगनी वाली शर्ट है। फिर उसने दो बेहूदा किस्म की शर्ट रखी और एक टाईट सी पेंट पहनकर रिहर्सल की और इफेक्ट देने के लिए हमने अपने एक क्लास मेट का एक अजीब सी स्मेल वाला तेल भी उधर लिया जिसे उसकी मां इसलिए देती थी उसे जल्द जल्द जुखाम हो होता है अलबत्ता इतने सालो में हमने कभी उसे बिना जुखाम के नहीं देखा था। उसने तीन दिन की शेव मुल्तवी की और उस शहर रवाना हुआ जिसमे उसे उस लड़की से मिलना था।
उस शहर में रहने वाला हमारा दोस्त तभी मशवरा देता था जब उससे माँगा जाता अलबत्ता सिगरेट बिना मांगे पीते हुए पकड़ा देता। वो भी छोटी गोल्ड फ्लेक जो सीधी फेफड़ो तक जाती थी।
अगले दिन शाम को मिलना तय हुआ वो भी उस शहर के किसी मार्केट में। उसने दोस्त की मोटरसाइकिल ली और उस लड़की को हॉस्पिटल के किसी मोड़ से पिक अ प किया।
वो एक जहीन लड़की थी ,उसका चश्मा इस बात की गवाही देता था। वो बाकायदा एक सेफ डिस्टेंस बना कर बैठी
पहले उसने सोचा शोहदों की तरह तेज मोटरसाइकिल चलाये फिर जाने क्यों इरादा बदल दिया।
उसने अजीब सी शर्ट पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी उससे वो बहुत ज्यादा मायूस हुआ था
तुम्हारा फेवरेट हीरो कौन है
"गोविंदा"
"और आपका "?
"जॉर्ज क्लूनी "
"वो कौन है "?
"तुम इंग्लिश फिल्मे नहीं देखते "?
"नहीं "
"क्यों "
"उनमे गाने नहीं होते "
वो हंसी थी
अजीब बात थी वो आप कहकर बात नहीं कर रही थी जबकि वो आप कहकर बात कर रहा था !
उस पूरी मुलाकात के दौरान उसने इस बात का एहतियात रखा के उसकी किसी भी हरकत से वो मुत्तासिर ना हो ,वापसी में उसने डिस्टेंस नहीं रखा अलबत्ता उसे कंधे से पकड़ कर बैठी उस अजीब से तेल के लगे होने के बावजूद.
कुल मिलाकर वो इत्मीनान में वापस लौटा
तीन दिन बाद उसने मां को फोन किया
"कैसी लगी ?"
पहले उससे तो पूछो ?
उसने तो" हाँ "कर दी है
हम शॉक्ड थे !
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